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The Test Of My Life
Introduction:-
” द टेस्ट ऑफ़ माई लाइफ ” फेमस इंडियन बैट्समेन युवराज सिंह की ऑटोबायोग्रेफी है.ये बुक को पढकर कई लोग इंस्पायर हुए है . अपनी इस बुक के जरिये युवी ने क्रिकेट के लिए अपने प्यार और अपनी कैंसर की बिमारी के स्ट्रगल को शेयर किया है। आप इस बुक में युवराज सिंह के क्रिकेट के शौकीन से टीम इंडिया के प्लेयर बनने तक की पूरी स्टोरी पढ़ेंगे और ये भी जानेंगे कि उन्हें यहाँ तक पहुँचने में कितने स्ट्रगल करने पड़े।
युवराज सिंह जब अपने करियर के पीक पर थे तो उन्हें अपनी कैंसर की बिमारी का पता चला जिसका उनकी लाइफ और करियर में काफी इम्पेक्ट पड़ा . लेकिन इन सबके बावजूद युवराज सिंह ने कभी हार नही मानी . युवराज सिंह कैंसर को हराकर क्रिकेट की दुनिया में वापस कैसे लौट कर आए ,ये सब आपको इस बुक में पढने को मिलेगा।
उन्होंने एक बुक लिखी है और कैसंर पेशेंट्स के लिए “ यूवीकैन ” नाम से एक फाउंडेशन भी स्टार्ट किया जो कैंसर जैसी गंभीर बिमारी को लेकर अवेयरनेस क्रिएट करती है और यहाँ पर कैंसर पेशेंट्स को फ्री चेक – अप भी प्रोवाइड किया जाता है। अगर आप एक क्रिकेट फैन है या फिर आप एक इंस्पायरिंग स्टोरी पढना चाहते हो तो ये बुक आपको एक बार जरूर पढनी चाहिए।
The Test Of My Life Ke Lekhak(लेखक):-
इसके मुख्य लेखक एवम किरदार भारतीय टीम के खिलाड़ी युवराज सिंह है। लेकिन इसमेंनिशांत जीत अरोड़ा,शरद उग्र का भी सहयोग है।
All the Way to India :-
बचपन से ही मेरा स्पोर्ट्स में इंटरेस्ट रहा है . स्कूल टाइम में मुझे हमेशा रीसेस और फिजिकल ट्रेनिंग का वेट रहता था , बाकि सब्जेक्ट्स मुझे ज्यादा पसंद नहीं थे।इसलिए मेरे ग्रेड्स भी अच्छे नहीं आते थे . मेरी फ्रेंड आंचल मुझे स्टडीज़ में हेल्प करती थी बावजूद इसके मेरा स्कोर हमेशा एवरेज से कम ही रहा . एक बार की बात है , मै अपने फ्रेंड्स के साथ बैटिंग कर रहा था तो गलती से शॉट एक आदमी लगा जो स्कूटर से जा रहा था . बॉल उसे बड़े जोर से लगी थी . वो आदमी स्कूटर से नीचे गिरा और तुरंत उठकर हमारे पीछे भागा . ये बात मुझे आज तक क्लियर याद है।
मेरे फादर ने यादविंद्र पब्लिक स्कूल में मेरा एडमिशन करा दिया था . उस वक्त महारानी क्लब में इण्डिया के फेमस बैट्समेन नवजोत सिंह सिद्धू प्रेक्टिस करते थे . एक दिन मेरे फादर मुझे उनके पास लेकर गए और सिद्धू से पुछा कि क्या वो मेरी बैटिंग देखेंगे . मेरे बैटिंग करने के बाद सिद्धू ने मेरे फादर को बोला ” ये लड़का क्रिकेट के लिए नहीं बना है ” लेकिन मेरे फादर भी हार मानने वालो में से नहीं थे।
The Top – of – the – World Cup:-
2017 वर्ल्ड कप हमारे लिए किसी एपिक एडवेंचर से कम नहीं था . हम इंगलैंड के खिलाफ खेल रहे थे . 2010 में मेरी गर्दन में एक स्ट्रेन आ गया था जिसकी वजह से बड़ा पेन हो रहा था , दर्द इतना ज्यादा था कि मै सर घुमा कर देख भी नहीं पा रहा था। एमआरआई में डिस्क बल्ज आया था . हमारे टीम फिजियोथेरेपिस्ट नितिन पटेल को मेरी गर्दन ठीक करने के लिए बुलाया गया पर कोई फायदा नहीं हुआ . मेरी बारी नंबर 4 पर थी।
मैंने दो बॉल खेले थी कि अचानक लगा गर्दन में एक झटका लगा है , उसके बाद तो जैसे कमाल हो गया , मैंने धुनांधार खेलना शुरू कर दिया और काफी बढ़िया स्कोर बनाए . मै सचिन तेंदुलकर से काफी इंस्पायर था , ये मेरे लिए एक ग्रेट अचीवमेंट था कि हम टीममेट्स थे . वर्ल्ड कप खेलने से पहले सचिन ने मुझसे बोला था कि मुझे किसी ऐसे एक लिए टूर्नामेंट खेलना चाहिए जिसकी मै रिस्पेक्ट देता हूँ या प्यार करता हूँ . सचिन ने मुझे और मेरे टीममेट्स को हमेशा मोटिवेट किया . एक बार मेक्सिको में हमारी टीम डिनर कर रही थी , तो एक फैन रविन्द्र जड़ेजा के पास आकर उस पर शाउट करने लगा . वो चिल्ला रहा था ‘ तुम इतनी जल्दी आउट कैसे हो गए ? ‘
और गंदी गालिया दे रहा था . मामला काफी बिगड़ गया और न्यूज़ में भी आ गया था . हम पर ओवरपेड और गैरजिम्मेदार होने का ठप्पा लगा . इस घटना के बाद मै टीम से बाहर हो गया था . लेकिन फिर जुलाई में मुझे श्रीलंका खिलाफ मैच खेलने के लिए सेलेक्ट कर लिया गया था . वर्ल्ड कप से पहले मैंने दो बैट सेलेक्ट किये।
एक में मैंने वर्ल्ड कप नंबर 1 लिखा और दुसरे में वर्ल्ड कप नंबर 2 साउथ अफ्रीका के खिलाफ़ जो मैच था उसमे मैंने नंबर 1 वाले बैट से खेला . ढाका के लिए जाते वक्त मुझे मेरा बैट नंबर 2 नही मिल रहा था . लेकिन मुझे ये नही मालूम था कि मेरी मदर ने किसी को वो बैट चंडीगढ़ अपने पास मंगा लिया था . माँ उस बैट को बाबा जी आशीर्वाद दिलवाने संगत में लेकर गयी संगत में काफी भीड़ थी।
जब बाबजी ने बैट देखा तो एकदम बोल पड़े ” ये तो युवी का बैट है ” उन्होंने मेरे बैट पहचान लिया था . ये वही बैट था जिससे मैंने वर्ल्ड कप में खेला था . बाबाजी ने सबको बोला कि वो इस बैट को ब्लेस करे . मेरी मदर बेंगलोर मैच शुरू होने से पहले ही पहुँच गयी थी . उसने मुझे मेरा बैट नंबर 2 वापस दिया . वर्ल्ड कप में मैंने टोटल 352 रन बनाए जिसमे चार चौके और एक सेंचुरी थी।
Change : from Cricket to Cancer:-
हेल्थ बिजनेस में जिसे मै सबसे ज्यादा ट्रस्ट करता हूँ वो है जतिन चौधरी . वो एक फिजियोथेरेपिस्ट और एक्यूपंचर स्पेशलिस्ट है . मै उसे 2006 में पहली बार तब मिला जब एक बार मुझे लेफ्ट घुटने के पास चोट लगी थी . फिर 2008 में मुझे जब शोल्डर इंजरी हुई तो मेरा उस पर ट्रस्ट और बढ़ गया . जब मुझे फर्स्ट टाइम अपने ट्यूमर का पता चला तो उस वक्त भी मैंने औरो से ज्यादा जतिन की थेरेपी और ओपिनियन को इम्पोर्टस दी . मेरी खांसी की वजह से डॉक्टर कोहली ने मुझे एक्स – रे कराने को बोला . जब मै निकल रहा था तो जतिन ने मुझे रोक लिया और एक्स – रे प्लेट्स चेक करने को बोला . डॉक्टर के माथे पर शिकन थी और जतिन काफी टेन्श लग रहा था।
एक्स – रे में एक व्हाईट ब्लर साफ़ दिख रहा था . डॉक्टर ने मुझे बोला कि मै एक ऍफ़एनएसी टेस्ट करवाऊं . अगले दिन मैंने अपना सीटी स्कैन करवाया . बाद में डॉक्टर कोहली ने मुझे कॉल किया , उन्होंने मुझे बोला ” तुम्हारे लिए एक बेड न्यूज़ है ” मेरे लंग्स में ट्यूमर था . डॉक्टर कोहली ने ये भी कहा कि ये ट्यूमर कैंसर की शुरुवात हो सकती है . उस टाइम मेरी मोम गुरुद्वारे गयी हुई थी . जतिन ने उन्हें फोन करके ये न्यूज़ दे दी . माँ जब वापस आई और हमने एक दुसरे को देखा तो वो मुझे देखते ही रोने लगी।
मैंने अपने क्लोज फेंड्स को भी ये न्यूज़ शेयर कर दी . डॉक्टर परमेश्वरन ने मुझे तुरंत होस्पिटल में एडमिट होने को बोला . मै कुछ भी खाता या पीता , मेरी बॉडी रीजेक्ट कर देती . कुछ खाते ही मुझे तुरंत उलटी आ जाती थी . इसी बीच प्यूमा ब्रांड ने मुझसे शूटिंग की डेट्स मांगी . ये एक इंडोर्समेंट डील थी जो मैं बोल्ट , अलोंसो और अगुएरो के साथ करने वाला था . ये मैंने डील पहले ही साईंन कर रखी थी . उसेन बोल्ट ( Usain Bolt ) एक जमैइकन स्प्रिंटर है . फ़र्नांडो अलोंसो एक स्पेनिश रेस कार ड्राईवर है और सर्जियो अग्यूरो ( Sergio Aguero ) अर्जेंटीना के फुटबालर है।
मैंने प्यूमा वालो को जनवरी 2012 की डेट्स दी थी जब मै फ्री हो सकता था . लेकिन जब मुझे अपने कैंसर का पता चला तो मैंने प्यूमा को इस बारे में इन्फॉर्म किया . लेकिन उन्होंने ये डील मुझसे वापस नहीं ली बल्कि ये बोला कि वो मेरे ठीक होने का वेट करेंगे . लेकिन मुझे अपना प्रोमिस पूरा करना था। इसलिए मै शूट करने चला गया . वहां एक ट्रेडमिल पर हमे दौड़ना था . अलोंसो ने मुझे मेरी कैप पर ऑटोग्राफ दिया . यही कैप पहनकर मै उसे रेस करते हुए देखता था . पर मुझे बोल्ट से मिलने का चांस नहीं मिल सका . अपना पार्ट शूट करके वो निकल चूका था . मुझे मालूम था कि बोल्ट क्रिकेट का बहुत बड़ा फैन है, अगर वो मिलता तो मुझे उससे मिलकर बहुत खुशी होती।
उन्होंने सोच लिया था कि वो मुझे नेशनल टीम में जगह दिलवा कर रहेंगे . वो कभी भी डिसकरेज नहीं हुए और ना ही मुझे होने दिया . एक दिन सुबह – सुबह मेरे फादर ने मुझे प्रेक्टिस करने को बोला . उस दिन काफी ठंड थी . मै बेड में लेटा रहा . मै बहाने कर रहा था कि मैंने उनकी आवाज़ नही सुनी . थोड़ी देर बाद मेरे फादर मेरे रूम में आए और एक बाल्टी ठंडा पानी मेरे सर पे उड़ेल दिया . उस दिन मुझे उन पर बहुत गुस्सा आया।
लेकिन जिस दिन मै अच्छा परफॉर्म करता था , मुझे लगता था कि मेरे फादर का एक ही सपना है कि वो मुझे एक ग्रेट क्रिकेटर बनता हुए देखे . मुझे भी यही लगता था कि क्रिकेट ही वो चीज़ है जो मुझे फ्रीडम दे सकती है . मेरे पेरेंट्स के आपस में रिलेशनशिप अच्छे नहीं थे . मेरा छोटा भाई जोरावर मुझसे 8 साल छोटा है . मेरे पेरेंट्स के बीच जो भी प्रोब्लम थी , उससे बचने के लिए मैंने अपना पूरा फोकस क्रिकेट में लगा दिया था . पर मेरा छोटा भाई जोरावर माँ – बाप के झगड़ो के बीच पिस रहा था . मेरी मदर ने अपनी मैरिड लाइफ की प्रोब्लम्स सोल्व करने की कभी कोशिश भी नहीं की थी . मुझे ये बात बहुत परेशान करती थी क्योंकि मेरी माँ मेरे लिए सपोर्ट सिस्टम है।
क्रिकेट को लेकर मेरे फादर शुरू से ही काफी स्ट्रिक्ट रहे थे . मेरी पूरी टीनएज तक उन्होंने मुझे काफी स्ट्रिक्ट डिसपलीन में रखा था . एक बार रणजी प्रेक्टिस मैच खेलते वक्त मै 39 में आउट हुआ तो मेरे फादर बहुत गुस्सा हुए . उन्होंने मुझे फोन पे बोल दिया था ‘ अब घर मत आना वर्ना तुम्हे जान से मार दूंगा ‘ . और मुझे पूरी रात घर के बाहर खड़ी अपनी कार में सोना पड़ा था।
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अगली सुबह जब मै घर के अंदर आया तो फादर ने मुझे देखते ही मेरे मुंह पे दूध का गिलास देकर मारा . एक और बार की बात है , बैक में फ्रेक्चर आने की वजह से मुझसे फील्डिंग में मिस्टेक हो गयी थी . उस रात जब मै घर पहुंचा तो देखा फादर ने मेरी कार का साउंड सिस्टम तोड़ रखा था। ऊपर से मेरे सिनियर के नेगेटिव कमेंट्स सुन – सुनकर मेरा जीना मुश्किल हो गया था . फाइनली रणजी ट्रॉफी में मैंने 100 का स्कोर किया . मेरे फादर ने मुझे कॉल किया और पुछा ” मैच कैसा रहा ” ? ‘ मैंने सेंचुरी मारी ” मै प्राउडली बोला. इस पर मेरे फादर बोले ” तुमने 200 रन क्यों नहीं बनाये ? उनकी बातो से मै डिसअपोइन्ट हो गया।फिर फादर ने मुझे दुबारा फ़ोन करके बोला कि उन्होंने मेरी कार की चाबियां कहीं छुपा दी है . इसके बाद मै अंडर 19 वर्ल्ड कप खेलने चला गया . मुझे प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट सेलेक्ट किया गया . और इस तरह इन्डियन नेशनल टीम में मेरी एंट्री हुई . अपने फर्स्ट मैच में मैंने 84 का स्कोर बनाया और मेन ऑफ़ द मैच बन गया . अपने पहले पे – चेक से मैंने अपनी मदर के लिए घर खरीदा।
इन वर्ल्ड फेमस एथलीट्स के साथ मिलकर और इनके साथ काम करने के बाद कुछ वक्त के लिए मै भूल ही गया था कि मुझे लंग ट्यूमर है . पर जब भी मुझे खांसी आती मेर मुंह से ब्लड निकलता था . एक एथलीट के तौर पर मुझे दर्द बर्दाश्त करना सिखाया गया था . मुझे ग्रेट इंडियन क्रिकेटर अनिल कुंबले याद है, जिसने टूटे हुए जबड़े के साथ वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ मैच खेला था।
The Test of My Life:-
मै लन्दन गया और डॉक्टर हार्पर से मिला . उन्होंने बताया कि मुझे किमोथेरेपी के फोर साइकल्स से गुजरना होगा . उन्होंने ये भी कहा कि कीमोथेरपी से मेरा बाल निकल जायेंगे पर बाद में वापस उग जायेंगे . फिर एक लास्ट मिनट प्लान चेंज की वजह से मै इंडिआनापोलिस आ गया . यहाँ डॉक्टर एंहोर्न ( Dr Einhorn ) मेरा ट्रीटमेंट करने जा रहे थे . ये वही डॉक्टर थे जो पहले लेंस आर्मस्ट्रांग का ट्रीटमेंट कर चुके थे . लांस एक अमेरिकन रेसिंग साइकिलिस्ट है जिसे कैंसर हुआ था।मैंने डॉक्टर हार्पर को अपने प्लान चेंज के बारे में बता दिया और माफ़ी मांगी . तो डॉक्टर हार्पर ने कहा कि लन्दन में भी मुझे सेम ट्रीटमेंट मिलेगा . लेकिन उन्होंने भी यही कहा कि अगर उनके बेटे को कैंसर होता तो वो उसे भी डॉक्टर एंहोर्न के पास ही भेजते . डॉक्टर एंहोर्न एक जाने – माने एक्सपर्ट है . उन्होंने मुझे बताया कि दो महीने में तीन किमोथेरेपी साइकल्स के बाद मै एकदम ठीक हो जाऊँगा जैसे कि कभी मुझे कैसंर हुआ ही नहीं था।
मैंने उनसे पुछा क्या किमोथेरेपी के बाद मै बाप बन पाउँगा . तो उन्होंने बताया कि किमोथेरेपी से फर्टिलिटी रेट 60 % तक घट जाती है लेकिन अभी ये सिर्फ 10 % कम है . यानी मेरे फादर बनने की अभी उम्मीद बची थी . मैंने लांस आर्मस्ट्रांग की बुक ” इट्स नोट अबाउट द बाइक ” पढ़ी . जब मैंने इसे फर्स्ट टाइम पढ़ा तो सोचा काफी बुक डिप्रेसिंग होगी।
पर जब दुबारा पढ़ा तो पता चला आर्मस्ट्रांग स्पर्म बैंक गए थे जहाँ उन्होंने अपना स्पर्म प्रीज़र्व करवाया था . बाद में उनके तीन बच्चे हुए . वो भी तब जब लांस को टेस्टीकूलर कैंसर था . जिन दिनों मेरी किमोथेरेपी हो रही थी उन दिनों मुझे भूख नहीं लगती थी और ना ही नींद आती थी . मै अपनी वीडियो बनाता रहता था . मैंने एक डायरी भी बना रखी थी।
अब तक इण्डिया में मिडिया के द्वारा सबको मेरी इस बिमारी का पता लग चूका था , बाद में पता चला कि जिन दो लोगो पर मुझे काफी ट्रस्ट था , उन्होंने मेरे बारे में मिडिया में खबर फैला दी थी . उनमे से एक इन्डियन जर्नलिस्ट था जिसने मेरे ब्लैकबैरी अपडेट्स यूज़ करके न्यूज़ डिलीवर कर दी थी . दूसरा था जतिन चौधरी . उसने एक न्यूज़ चैनल के पास जाकर मेरे बारे में सब कुछ बता दिया . मेरे कैसंर की न्यूज़ फैलते ही मुझे फैन्स के कई सारे कॉल्स आने स्टार्ट हो गए , जिनमे बच्चो से लेकर फिल्म एक्टर्स तक थे।
फिर मैंने सोचा मै सबको ट्विटर के द्वारा ऑफिशियली इन्फॉर्म करूँगा . अपनी बिमारी के दिनों में मै वीडियो गेम्स खेलता था या नेट सर्किंग करता था। मेरी माँ ग्रोसरीज़ खरीद कर लाती और मेरे लिए खुद खाना पकाती थी . किमोथेरेपी लेने के कोई 15 दिनों बाद एक दिन जब मै उठा तो अपने बेड पर बालो का गुच्छा देखा . मेरे बाल गिरने लगे थे , तुरंत मैंने डिसाइड किया कि मै गंजा हो जाऊँगा और मैंने हेड शेव कर लिया . मैंने अपनी एक पिक ली और ट्विटर पर पोस्ट कर दी . मेरे मैनेजर निशांत ने मुझे बताया कि अनिल कुंबले बोस्टन में है और मुझे मिलना चाहते है।
मुझे लगा शायद वो नही आ पायेगा पर अनिल मुझसे मिलने आया . उसने मुझे यूट्यूब पर अपनी ओल्ड क्रिकेट वीडियोज देखने से मना किया . और ये भी कहा कि एक दिन क्रिकेट मेरी लाइफ में वापस लौट कर जरूर आएगा . अनिल ने मुझे हिम्मत बंधाते हुए कहा कि इस वक्त मुझे सबसे पहले अपनी रीकवरी पर फोकस करना चाहिए . थ्रेड साइकिल के टाइम पर डॉक्टर एंहोर्न ( Dr Einhorn ) ने मुझे बोला कि उस दिन कोई किमोथेरेपी नहीं होगी।
मेरे रीज्ल्ट्स देखने के बाद उन्होंने बताया कि ट्यूमर चला गया है बस कुछ बचे – खुचे टिश्यू रह गए है . डॉक्टर एंहोर्न ने ड्रग शेड्यूल चेंज करने का फैसला किया . लास्ट साइकिल अब फाइव डेज बाद की थी। ये न्यूज़ सुनकर अचानक मुझे फील हुआ जैसे अब मै गा सकता हूँ , हंस सकता हूँ और जो चाहे वो कर सकता हूँ !
Taking Guard Again:-
मेरे ट्रीटमेंट के बाद जो इंसान सबसे पहले मुझे मिलने आया वो था सचिन तेंदुलकर . उसने कसकर मुझे गले लगाया और हौसला दिया . डॉक्टर एँहोर्न ( Dr Einhorn ) ने बताया कि मुझे रीकवरी के लिए अभी और 10 दिन होस्पिटल में रहना होगा . उस वक्त मेरी हालत ऐसी थी कि मै ठीक से खड़ा नहीं हो पा रहा था , मेरे मन में बार – बार मरने के ख्याल आते थे . जल्दी ही मै वापस इण्डिया लौटा . मै गुरगांव में अपने घर पंहुचा।मैंने वहां एक आदमी देखा जिसने मुझसे हाथ मिलाया . मैंने उसे बोला ” सॉरी , मैंने आपको पहचाना नही . वो मेरा लॉयर था . दरअसल किमो थेरेपी के बाद से मुझे शोर्ट टर्म मेमोरी लोस हो गया था जो अक्सर कैसंर पेशेंट्स को होता है . जब मेरी फ्लाईट थी तो जेटएयरवेज़ के क्रू मेंबर्स ने मेरा काफी ख्याल रखा . सब मुझे देखकर हैरान थे लेकिन वो प्रोफेशनल वे में बिहेव करते रहे।
अपनी ड्यूटी के बीच में ही उन लोगो ने मेरे लिए एक कार्ड बनाया . सबने उस पर साईंन किये . इस कार्ड में लिखा था ” वेलकम होम युवी , गेट वेल सून ” ऐसे ही एक बार जब मै मॉल गया तो वहां एक इन्डियन कैफे के अंदर चला गया . लोगो ने मुझे पहचान लिया था , सब मेरे पास आकर बेस्ट विशेस दे रहे थे . यहाँ तक कि जिन्हें मै जानता नहीं था , वो लोग भी मुझे फूड पैकेट दे रहे थे।
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जो उन्होंने मेरे लिए आर्डर किये थे , लोगो के इस रिएक्शन से मै काफी इमोशनल हो गया . घर आकर मैंने अपनी मदर को इन्डियन कैफे की बात बताई . वो स्माइल करते हुए बोली कि उसे मालूम है कि लोग मुझे सपोर्ट करते है . मैंने अपने बदर जोरावर को देखा तो लगा कि अब मेरी एक बड़ी टेंशन दूर हो गयी है।इतने दिनों तक वो माँ और मेरे बिना रहना सीख चूका था . मै अपने गुरूजी से मिलने चंडीगढ़ भी गया . इनफैक्ट मैं जहाँ भी गया सबने मुझे खूब सारा प्यार और ब्लेसिंग्स दी . दुबारा सिरियस ट्रेनिंग शुरू करने से पहले मैं अपने फ्रेंड्स के साथ 10 दिन के वेकेशन पर चला गया . हम लोग स्पेन घूमने गए , वहां हम लॉन्ग ड्राइव एन्जॉय करते थे , पूल पार्टीज और डिनर्स पर जाया करते थे . इण्डिया वापस आकर मैंने नोटिस किया कि मेरा वेट बढ़ गया है . मै आलरेडी 103 केजी का था . वक्त आ चूका था कि अब मै ट्रेनिंग स्टार्ट करूँ और वापस फील्ड में आ जाऊं।
The Battle for Confidence:-
एक दिन जब मै अपने घर की छत पर गया तो वहां एक पीकॉक देखकर हैरान रह गया . पीकॉक को लेकर काफी सारी मान्यताए है जैसे कुछ लोग बोलते है घर पे मोर आना शुभ है तो कुछ लोग इसे बेड लक बताते है . मैंने अपनी माँ को आवाज़ दी कि जल्दी आओ , छत पे मोर आया है . लेकिन नीचे उसे मुझे उनकी आवाज़ सुनाई दी ” सेलेक्शन , सेलेक्शन ” .
मेरी मदर को न्यूज़ मिली थी कि वर्ल्ड टी 20 के लिए इन्डियन टीम में मेरा सेलेक्शन हो गया है . लेकिन उन दिनों मेरी एन्डूरेंस लेवल कम था और मेरी कार्डियो – वैस्कुलर स्ट्रेंग्थ भी ऑलमोस्ट जीरो थी . टीम ट्रेनर्स ने मुझे वापस फिट होने में काफी हेल्प की . उन्होंने मुझे कहा कि मै भूल जाऊं कि मुझे कभी कैसंर हुआ था . वो लोग मुझे किसी ऐसे रेगुलर प्लेयर्स की तरह ट्रीट कर रहे थे जिसने 6 महीने वर्क आउट नही किया हो . ट्रेनिंग इतनी हार्ड चल रही थी कि कई बार तो मै खुद से ही सवाल करने पर मजबूर हो जाता था कि क्या मै कभी इंटरनेशनल क्रिकेट में लौट भी पाऊंगा।
बीसीसीआई या बोर्ड ऑफ़ कण्ट्रोल फॉर क्रिकेट इन इण्डिया ने मेरा काफी ख्याल रखा . मेरी प्राइवेसी का उन्हें पूरा ध्यान था और वो मेरे सारे एक्स्पेंसेस पे कर रहे थे , मेरी प्रोग्रेस चेक करते थे और फील्ड में उतरने का मुझे हर मौका दिया . ट्रेनिंग के वक्त मुझे यही डर रहता था कि कहीं बॉल मुझे हिट ना कर दे या कहीं चोट ना लग जाये . शुरू – शुरू में हमने टेनिस बॉल से प्रेक्टिस की और फिर बाद में क्रिकेट बॉल से . टी -20 में मेरा सेलेक्शन हो गया है , ये न्यूज़ एकदम से वाईरल हो गयी थी . लोगो के जो कमेंट्स आए , वो इमोशनल करने वाले थे।
मेरी तीन महीने की प्रेक्टिस और मेहनत काम आई . हालाँकि मुझे ये अच्छा नही लगा कि मेरे सेलेक्शन को मुझ पर एक एहसान की तरह देखा जा रहा था . अपने फर्स्ट मैच के लिए मुझे विशाखापत्तनम जाना था . वहां जिसने भी मुझे देखा , मेरे टीममेट्स से लेकर बस के ड्राईवर और सड़क पर बच्चो ने सब के सब मुझसे हैण्ड शेक करने के लिए आये . रवि शाश्त्री मेरे साथ एक लाइव इंटरव्यू करना चाहते थे।
मैंने वहां पर नर्स लगे देखे जिनमे लिखा था ” गुड बाई कैंसर , वेलकम सिक्सर ” जब मै स्टेडियम में पहुंचा तो क्राउड ने खड़े होकर मेरे लिए चीयर किया और तालियाँ बजाई . उस दिन काफी बारिश हो रही थी जिससे फील्ड में पानी भर गया था , हमें मैच पोस्टपोन करना पड़ा . मै काफी निराश हुआ तो मेरी फेमिली और फ्रेंड्स मुझे हौसला देने पहुंच गए ताकि मै अच्छे से खेल सकू . इसके एक रात पहले ही मैंने डॉक्टर एंहोर्न ( Dr Einhorn ) को मेल लिखकर कहा कि मेरी जान बचाने के लिए मै उनका बहुत शुक्रगुज़ार हूँ।
अब मैच रीशेड्यूल होकर चार दिन बाद होना था . हमने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टॉस जीता और पहले फील्डिंग करने की फैसला किया . टीम में ब्रेडन मैकुलमके होने से न्यूजीलैंड का स्कोर काफी बढ़िया था . ये मैच हम एक रन से हारे थे . लेकिन मैंने 14 के लिए दो ऑवेर्स तक बोलिंग की और 24 बॉल्स में 32 रन बनाए जिसमे चोक्के और दो छक्के थे . पकिस्तान के खिलाफ हम एक रन से जीते थे . लेकिन टूर्नामेंट में हम नॉक आउट हो गए . इस मैच में मै “ प्लेयर ऑफ़ द मैच था।
कैंसर के बाद , मेरी लाइफ में काफी कुछ बदल गया था . इससे पहले मेरा सारा फोकस सिर्फ गेम पर होता था , मैंने कभी अपनी हेल्थ को सिरियसलीं नहीं लिया था . मैंने सोच लिया था कि मै एक कैसंर चेरिटी स्टार्ट करूँगा , और मैंने एक फाउंडेशन स्टार्ट की जिसका नाम है यूवीकैन . क्रिकेट से रीटायर लेने के बाद मैं यूवीकैन के लिए फुल टाइम काम करना चाहता हूँ . अपने इस चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए मै कैसंर पेशेंट्स की हेल्प के लिए फंड रेज करूंगा और इस बिमारी के प्रति लोगो में अवेयरनेस क्रिएट करूँगा।
लाइफ में मैंने जो कुछ अचीव किया है , मेरे फ्रेंड्स , फेमिली और क्रिकेट उसके लिए मै शुक्रगुज़ार हूँ . अगर मै फिर कभी फेल हुआ तो मुझे मालूम है कि मै एक टू फाइटर की तरह फिर से खड़े होकर पूरी ताकत फाईट कर सकता हूँ।
Conclusion:-
इस बुक में आपको वो सारी स्टोरीज़ मिलेंगी जो आपको इंस्पायर तो करेगी ही साथ ही हिम्मत , पक्का इरादा और हीरोइज्म की फीलिंग भी आपके अंदर जगाएगी . आप इस बुक में युवराज सिंह की पहले की लाइफ और स्पोर्ट्स के लिए उनके प्यार और पैशन के बारे में पढ़ेंगे . क्रिकेट को लेकर वो कितने पक्के इरादों वाले थे और टीम इण्डिया में जगह पाने के लिए उन्होंने कितना स्ट्रगल किया ये सब आपको इस बुक में पढने को मिलेगा।
इस बुक से आप जानेंगे कि इन्डियन क्रिकेट टीम में आने के बाद युवी की लाइफ कैसी थी और उन्हें कब अपने कैसंर का पता चला . युवी ने कैंसर से एक लंबी फाईट की और लास्ट में एक विनर बनकर इस बिमारी से बाहर आये , इन सब बातो का जिक्र इस बुक में है जो आप पढेंगे . ये एक मोटिवेशनल बुक है उन लोगो के लिए जो अपनी लाइफ में कई तरह के चेलेंजेस फेस कर रहे है।