अलीबाबा के जैक मा के अमीर बनने की कहानी|The House That Jack Ma Built Duncan Clark

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अध्याय 1: द आईरन ट्राएंगल ( Chapter One : The Iron Triangle )

क्या आप जानते है कि यूनाइटेड स्टेट्स की दो तिहाई अर्थव्यवस्था एवरेज अमेरिकन हाउसहोल्ड्स के ख़र्चे के बराबर है , जबकि चाइना में ये मुश्किल से इकोनोमी का तीसरा हिस्सा है ? ऐसा लगता है कि शायद बाकि विकासशील देश के मुकाबले चाइनीज लोग ज्यादा दोहन नहीं करते . ये लोग अपनी एजुकेशन , मेडिकल खर्चे , या रिटायरमेंट के लिए पैसा बचा करके रखते है।

अलीबाबा के जैक मा के अमीर बनने की कहानी|The House That Jack Ma Built Duncan Clark

लेकिन पुरानी आदतें मुश्किल से छूटती है . लेकिन अब एक नयी आदत ऑनलाइन खरीददारी , चाइना के लोगो के बेवहार में बदलाव ला रही है . और अलीबाबा इसके पीछे का मेन कारण है। क्यों ? क्योंकि अलीबाबा ने 2003 में पहली बार ताओबाओ ( Taobao ) लॉन्च किया था जोकि आज चाइना की थर्ड मोस्ट विजिटेड वेबसाईट है और संसार की 12वी . Then five years later , it became its own .

Jack Ma अपनी कंपनी की सक्सेस को एक एक्सीडेंट ही मानते है . अपने शुरुवाती सालो में , उसने अपनी कंपनी के टॉप तक पहुँचने के तीन रीजन बताये : “ हमारे पास पैसा नहीं था , टेक्नोलोजी नहीं थी , और ना ही कोई प्लान था . ” लेकिन वो तब की बात थी.यहाँ हम तीन सही कारण बताते है जिससे अलीबाबा की सक्सेस इतनी अधिक मिली.:

1 ) द ई – कॉमर्स एज ( The E – commerce Edge ) :

ऑनलाइन शोपिंग करना उतना ही इंटरएक्टिव है जितना कि रियल लाइफ में। ताओबाओ ने हमेशा ग्राहक को प्रायिकता दी , इसीलिए ये इतना सफ़ल है , इसने कस्टमर्स को ऑनलाइन शोपिंग में सेम वाइब्स दी जो चाईनीज लोगो को स्ट्रीट शोपिंग करते वक्त फील होती है . कस्टमर्स अलीबाबा के चैट अप्लिकेशन से प्रोडक्ट चेक कर सकते है या प्राइस भी डिस्कस कर सकते है . कुछ पैकेज एक्स्ट्रा सैंपल्स या टॉयज के साथ भेजे जाते है जो कस्टमर्स को बड़ी सेटिसफाइंग देता है।

2 ) द लोजिस्टिक एज ( The Logistics Edge ) :

अगर अलीबाबा ने लो – कास्ट डिलीवरी सर्विस नहीं दी होती तो शायद आज इतना सक्सेसफुल नहीं होता . 2005 में अलीबाबा ने चाइना पोस्ट को ई – कॉमर्स साथ मिलकर काम करने का ऑफर दिया . जैक याद करते है कि उन्होंने जब ये प्रोपोजल रखा तो उनका मज़ाक उड़ाया गया था और अपने काम से काम रखने को बोला गया . लेकिन आज ई – कॉमर्स की वजह 8000 से भी ज्यादा प्राइवेट डिलीवरी कंपनीज बिजनेस कर रही है।

अलीबाबा का होम डिविजन ऑलमोस्ट सारे चाइना में लार्जेस्ट कूरियर फर्म है . तो इस तरह अलीबाबा ने इन कंपनीज और बाकियों के साथ चाइना स्मार्ट लोजिस्टिक नाम की फर्म में इन्वेस्ट किया और आज ये सब मिलकर पर डे 30 मिलीयन से भी ज्यादा पैकजेस करते है और सिक्स हंड्रेड सिटीज के 1.5 मिलियन से भी ज्यादा लोगो को जॉब प्रोवाइड करता है . इसके पीछे आईडिया ये था कि आपस में ऑर्डर्स ,डिलीवरी स्टेट्स , और फीडबैक शेयर करने से हर एक कंपनी अपनी सर्विस क्वालिटी और एफिशियेंशी इम्प्रूव कर सके . और रीजल्ट ये निकला कि अलीबाबा के कस्टमर्स बढ़ने लगे और इसने मर्चेन्ट्स का ट्रस्ट भी गेन कर लिया।

.3 ) द फाइनेंस एज ( The Finance Edge :

आईरन ट्राईएंगल का फाइनल एज फाइनेंस है . फाइनेंशियल सर्विस में अलीबाबा की ताकत है अलीपे . चाइना में अलीपे पर इयर ट्रिलियन डॉलर का तीन चौथाई से भी ज्यादा हैंडल करता है वो भी सिर्फ ऑनलाइन ट्रांजिक्शंन . अलीबाबा के ई – कॉमर्स वर्ल्ड में अलीपे एक ट्रस्टेबल पेमेंट सोल्यूशंन माना जाता है . कन्यूमर्स को इस बात का भरोसा रहता है कि अलीपे के शू पेमेंट करने से उनके अकाउंट से पैसे तभी डेबिट होंगे जब प्रोडक्ट उन्हें डिलीवर हो जायेगा।

हालाँकि अब अलीपे अलीबाबा के अंडर ने नहीं रहा , लेकिन अभी भी ये कंपनी की लार्जेस्ट एसेट है जिसे जैक पर्सनली मैनेज करते है . चाइना की ई – कॉमर्स मार्किट में अलीबाबा की सक्सेस में आयरन ट्राइएंगल एक मेन फैक्टर है . लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि ये ” जैक मैजिक ” था जिसने लोगो को कनेक्ट किया और कैपिटल जो इन फाउन्डेशंस को आगे तक ले गयी।

अध्याय 2 : जैक मैजिक ( Chapter Two : Jack Magic )

Jack Ma के बारे में एक बात जो मुझे सबसे अच्छी लगती है वो ये कि उसने उस फील्ड में अपना करियर बनाया जिसे हमेशा कम आका गया . वैसे उसका कहना है कि वो इतना भी स्मार्ट नहीं है जितना लोग समझते है , लेकिन शायद वो डम्ब होने की एक्टिंग करता है।

Jack Ma ने एक बार बताया था कि वो मूवी फोरेस्ट गंप के लीड केरेक्टर का बहुत बड़ा फैन है , क्योंकि सबको लगता है कि वो मूर्ख है लेकिन उसे पता होता है कि वो क्या कर रहा है . Jack Ma चार्मिंग है , उसने अपना फेम तो क्रियेट किया ही साथ ही उसकी चार्मिंगनेस भी एक बड़ा रीजन है कि हर तरफ से टेलेंट अलीबाबा की तरफ आकर्षित हुआ . उसकी बात करने का लहजा कमाल की है ; उसके बोलने का स्टाइल इतना कमाल है क्योंकि उसकी बातो में क्लियेरिटी रहती है और हर कोई उसकी बात से एग्री कर लेता है।

उसने अपनी लाइफ में किस तरह के चेलेंजेस फेस किये , कैसे कठनाई को ओवरकम किया , इस बारे में कई कहानी है जो उनके सुनने वालो की आँखों में आंसू ले आती है . जैक का मंत्रा अलीबाबा के हर एम्प्लोई को मालूम है , जो है .: “ कस्टमर्स फर्स्ट , एम्प्लोईज़ सेकंड और शेयर होल्डर्स थर्ड ” . जैक इसे अलीबाबा की फिलोसिफ़ी बोलते है . वैसे जैक अगर एम्प्लोईज को सेकंड भी रखते है तो भी उनकी यही कोशिश रहती है कि उनकी टीम हमेशा मोटीवेट रहे कि किसी भी ओब्सटेकल से निकल सके।

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और यही चीज़ स्पेशिफिकली कंपनी की सक्सेस के लिए क्रिटिकल है । जैक की लिस्ट में शेयरहोल्डर्स थर्ड पोजीशन में आते है क्योंकि उसे प्रॉफिट कमाने के लिए शोर्ट टर्म प्रेशर बिलकुल भी नहीं चाहिए जो उसे अपने एम्बिशन से डाईवेर्ट करे . इसके अलावा , बड़ी बात ये है कि अलीबाबा का कल्चर वर्कप्लेस में एक सेंस ऑफ़ इन्फोर्मेलिटी को एंकरेज करता है .; जैसे एक्जाम्पल के लिए अलीबाबा के हर एम्प्लोई ने अपना एक निकनेम रखा हुआ है और सब उसे उसी नाम से बुलाते है।

स्टार्टिंग से ही अलीबाबा एक टीम एफर्ट कंपनी रही है . Jack Ma अपने स्टाफ के साथ कम्यूनिकेशन करते रहते है और वो कभी भी अपना एम्बिशन नहीं भूलते इसलिए तो कंपनी पूरी तरह उनके कण्ट्रोल में है . लेकिन आज तक कोई भी कंपनी चेलेंजेस और ओब्स्टेकल्स से गुज़रे बिना इस उंचाई तक नहीं पहुंची है . तो एक नजर डालते है उस आदमी पर जो अलीबाबा का फाउंडर है।

अध्याय 3 : फ्रॉम स्टूडेंट टू टीचर ( Chapter Three : From Student to Teacher )

Jack Ma जैक मा 10 सितम्बर , 1964 में पैदा हुए थे . उनकी माता की वेन्काई “ Cui Wencai ” एक फेक्ट्री प्रोडक्शन लाइन में काम करती थी . Jack Ma के फादर मा लिफा ( Ma Laifa ) हन्ग्ज़हौ फोटोग्राफी एजेंसी में फोटोग्राफर थे . Jack Ma ऐसे टाइम में पैदा हुए थे जब प्राइवेट एंटरप्राजेस ऑलमोस्ट खत्म होने के कगार पर थी . ज्यादतर इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शंन स्टेट के कण्ट्रोल में ले लिए गए थे . बचपन में ही Jack Ma को इंग्लिश लीटरेचर और भाषा से प्यार था और जब वो 14 साल का हुआ तो देश ने ” ओपन डोर ” पोलिसी शरू कर दी थी जिससे फॉरेन ट्रेड और इन्वेस्टमेंट को एंकरेज किया जा सके . Jack Ma अपनी इंग्लिश प्रेक्टिस का कोई मौका नहीं छोड़ता था . उसने 9 सालो तक बहुत से अमेरिकन्स और यूरोपियंस को टूअर कराया था . इसके अलावा वो मार्शल आर्ट्स में भी माहिर था।

लेकिन मैथ्स में नहीं . चाइना में जो हाई स्कूल स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन लेना चाहते थे उन्हें एक मेरिट बेस्ड नेशल हायर एजुकेशन एंट्रेंस एक्जाम पास करना होता है जिसे गोकाओ बोलते है . Jack Ma ने एंट्रेंस एक्जाम दिया लेकिन बुरी तरह फेल हो गया . उसके सारे सपने चकनाचूर हो गए , उसने कई सारी जॉब्स के लिए अप्लाई किया लेकिन हर जगह उसे रिजेक्ट कर दिया गया।

यहाँ तक कि के.ऍफ़ . सी ने भी उसे रिजेक्ट कर दिया था . अब उसके पास एक ही ऑप्शन बचा था कि वो स्टडी करके मैथ्स के फोर्मुले और इक्वेशन रट ले ताकि टेस्ट क्लियर कर सके। उसने बीजिंग या शंघाई के किसी प्रेस्टीजियस यूनिवरसिटी में पढ़ाई नहीं की थी लेकिन जब वो 19 का हुआ तो उसके इतने मार्क्स तो आ ही गए कि लोकल यूनिवरसिटी में एडमिशन ले सके . लेकिन आज जैक अपने पब्लिक अपीयरेंसेस में अपने फेलियर्स या गोकाओ को किसी बैज ऑफ़ हॉनर की तरह लेता हैं।

Jack Ma का यूनिवरसिटी टाइम उतना केयरफ्री नहीं था जितना कि लोगो का होता है . पैसे की तंगी हमेशा रहती थी . ट्यूशंन तो फ्री थी लेकिन लिव – इन फीस की प्रोब्लम थी . फिर एक फेमिली फ्रेंड केन मोरले ने हेल्प की जिसे Jack Ma अपना ऑस्ट्रेलियन फादर और मेंटोर बोलता था . इंग्लिश में बैचलर की डिग्री लेने के बाद जैक हन्ग्ज़हौ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रोनिक इंजीनियरिंग में इंग्लिश का लैक्चरर बन गया . और 30 साल का होने से पहले ही उसने डिसाइड किया कि वो खुद का बिजनेस लांच करेगा , अपनी फर्स्ट कंपनी ” होप ” ।

अघ्याय 4 : होप एंड कमिंग तो अमेरिका ( : Hope and Coming to America ) )

जनवरी 1994 में 29 साल के Jack ma ने हनही हैबो ट्रांसलेशन एजेंसी खोली . कंपनी की स्टार्टिंग में सिर्फ पांच स्टाफ मेंबर थे जिनमे से ज्यादर इंस्टीट्यूट के ही रीटायर्ड स्कूल टीचर्स थे . Jack Ma का फर्स्ट बिजनेस एम् था कि वो लोकल कंपनीज को आल ओवर द वर्ल्ड कस्टमर्स ढूँढने में हेल्प करे . Jack Ma पूरी तरह बिजनेस वर्ल्ड में आना चाहता था लेकिन हिचक रहा था क्योंकि अभी उसने अपनी टीचर की जॉब छोड़ने के बारे में सोचा नहीं था।

फिर जल्दी ही उसे फील हुआ कि अकेले ट्रांसलेशन सर्विस से उसका एंटप्रेन्योर बनने का ड्रीम पूरा नहीं हो सकता . लेकिन Jack Ma की रेपूटेशन एक एक्सपर्ट इंग्लिश स्पीकर की बन चुकी थी और उसकी फेमस इवनिंग क्लासेस और होप ट्रांसलेशन एजेंसी की वजह से जैक को एक डिसप्यूट रीज़ोल्व करने का मौका मिला . एक नए हाईवे कंस्ट्रक्शन को लेकर अमेरिकन कंपनीज़ में कंफ्लिक्ट चल रहा था . कई सालो के नेगोसीएशंस के बावजूद दोनों कंपनीज किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँच पा रही थी।

Jack Ma इस डिसएगीमेंट को खत्म करने के लिए यूनाइटेड स्टेट्स के अपने फर्स्ट ट्रिप पर गया जहाँ कंपनी के फंड्स रखे थे . Jack Ma। जिस काम के लिए गया था वो तो हुआ नहीं लेकिन इस ट्रिप का एक फायदा उसे ज़रूर हुआ . उसे इंटरनेट एक्सपोजर मिला जिसने उसे चेंज करके रख दिया था . वो सीएटेल ( Seattle ) में था जब फर्स्ट टाइम उसने इंटरनेट लोग इन किया।

Jack Ma एक जेर्मनी से . और ये जैक की लाइफ का एक टर्निंग पॉइंट था . Jack Ma ने वीबीएन के साथ पार्टनरशिप की लेकिन वीबीएम् के साथ डील करना ईजी नहीं था . स्टुअर्ट ने जैक को बोला कि अगर उसे चाइना में वेब पेजेस बनाने का राइट चाहिए तो उसे 200,000 $ डिपोजिट करने होंगे . लेकिन जैक ने उसे बोला ” मैंने यू.एस. ट्रिप के लिए पैसे उधार लिए थे और अब मेरे पास कुछ नहीं है ” खैर इसके बावजूद स्टुअर्ट ने डिपोजिट के बिना ही एग्रीमेंट साइन कर दिया लेकिन उसने एक कंडिशन रखी कि जैक को जल्दी सारा पैसा वापस करना होगा . और इस तरह जैक इंटेल 486 प्रोसेसर वाले कंप्यूटर के साथ चाइना लौट आया . अब टाइम आ चूका था कि वो अपनी टीचिंग जॉब को बाय – बाय बोल दे .

अध्याय 5 : चाइना इज कमिंग ( Chapter Five : China Is Coming On )

फाइव : चाइना इज कमिंग ( Chapter Five : China Is Coming On )


सीएटेल से लौटने के तुरंत बाद उसने टीचर की जॉब से रीज़ाइन कर दिया . अब टीचिंग या ट्रांसलेटिंग अब उसका ड्रीम नहीं रह गया था , अब उसे एक ऑनलाइन इंडेक्स बिल्ड करना था . अपने एक फ्रेंड यिबिंग जो जैक के फॉर्मर इंस्टीट्यूट में कंप्यूटर साइंस टीचर था उसके साथ मिलकर जैक ने चाइना पेजेस स्टार्ट किया . अपनी इस स्टार्ट – अप कंपनी को फंड करने के लिए जैक को अपनी फेमिली से पैसे उधार लेने पड़े और उसकी वाइफ कैथी उसकी फर्स्ट एम्प्लोई थी . चाइना पेजेस को कस्टमर्स चाहिए थे , पैसे चाहिए थे।jack ma की कम्पनी को एक बूस्ट तब मिला जब हन्ज़हौ को मई में होने वाले फार्मूला वन पॉवरबोट वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए चूज़ किया गया।

ये इवेंट चाइना में फर्स्ट टाइम हो रहा था। और jack ma   की कंपनी ने इस रेस की ऑफिशियल वेबसाईट क्रियेट करने का कांट्रेक्ट जीता था . कंपनी को और आर्डर दिलाने के लिए जैक ने अपने फॉर्मर स्टूडेंट्स को बोला कि वो उसकी कंपनी के बारे में लोगो को बताये . लेकिन फिर भी चाइना पेजेस को कंपनी चलाने के लिए और क्लाइंट्स की ज़रूरत थी . लेकिन चाइना पेजेस करती क्या है , ये एक्सप्लेन करना उतना ईजी नहीं था . रीजन ये था कि उस टाइम तक हनज़्हौ में इंटरनेट पोपुलर नहीं था . लेकिन जैक ने एक डिफरेंट अप्रोच ली : फर्स्ट , उसने अपने फ्रेंड्स और जानने वालो को बोला कि वो सबको बताये कि इंटरनेट क्या है और इससे बिजनेस कैसे करते है . फिर जो लोग उसे मार्केटिंग मेटीरियल्स भेजने में इंटरेस्टेड थे।

उसने उन्हें अपनी कंपनीज और प्रोडक्ट्स को इंट्रोड्यूस करने को बोला . नेक्स्ट , वो अपने कलीग्स के साथ मिलकर इस मेटीरियल ट्रांसलेट करके उसे सीएटेल वीबीएन वापस मेल करता था . वीबीएन वेबसाइट्स डिज़ाइन करके उसे ऑनलाइन कर देती थी , वेबसाइट्स के स्क्रीन शॉट्स लेकर प्रिंट करके वापस उसे हनज़्हौ मेल करती थी।

ये एक बड़ा स्ट्रगल था क्योंकि हनज़्हौ में इंटरनेट नहीं था . लेकिन 1995 में ज्हेजिंग टेलिकॉम ( Zhejiang Telecom ) ने हन्ज़्हौ में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड करनी स्टार्ट कर दी थी . इंटरनेट के बिना जैक का एंटप्रेन्योर्स को वर्ल्डवाइड मार्किट से कनेक्ट करने का सपना कभी पूरा नहीं हो पाता . 1995 के खत्म होते – होते चाइना के टेलिकॉम और इंटरनेट सर्विस को अटेंशन मिलने लगी थी . जैक और उसके कस्टमर्स फाइनली अब हन्ज़हौ से कनेक्ट कर सकते थे . Jack ma ने फिर से यू.एस. का एक ट्रिप लगाया . अब वो वीबीएन के साथ अपना वेंचर खत्म करके खुद का सर्वर और एक न्यू चाइना पेजेस साईट स्टार्ट करना चाहता था ।

अघ्याय 6 : बबल एंड बर्थ ( Chapter Six : Bubble and Birth )

एक कहावत है ” थर्ड टाइम इज़ अ चार्म ” और ये सच है . होप ट्रांसलेशन और चाइना पेजेस चलाने में जो मुश्किलें आई थी उसके अलावा गवर्नमेंट के साथ भी जैक का एक अन्फर्टबल वर्क एक्स्पिरियेश रहा . फिर 1999 की शुरुवात में Jack Ma ने अलीबाबा की शुरुवात की लेकिन इसमें भी कम दिक्कते नहीं आई . 1996 में याहू भी शुरू हुआ था।

शुरुवाती दौर में तो इसे ज्यादा अटेंशन नहीं मिली लेकिन 1998 में कुछ इम्प्रूवमेंट आया जब याहू के शेयर्स सिर्फ फाइव वीक्स में ही 80 % से ज्यादा बढ़ गए और इसके साथ ही स्टेंडफोर्ड के को – फाउंडर्स जेरी येंग और डेविड फिलो बिलेनियर्स के क्लब में आ गए थे . अचानक , याहू के “ पोर्टल ” बिजनेस मॉडल में हाई इंटरेस्ट आ गया था और इसके साथ कई और चाइनीज़ पोर्टल्स भी निकले . सिवाए Jack Ma के जितने भी फाउन्डर्स थे , सब टेक्निकल बैकग्राउंड के थे और अपनी स्टडीज में एक्सीलेंट रह चुके थे।

जैक परेसान हो गया था . उसके देखते ही देखते पोर्टल पायोनियर्स मिलेनियर्स बन चुके थे . उसे रिएलाइज किया कि इंटरनेट के आने से कैसे सब कुछ तेज़ी से चेंज हो रहा था . लेकिन उसकी गवर्नमेंट पर्च ने उसे भी एक अपोर्म्युनिटी दी : याहू के को – फाउंडर जेरी येंग से उसकी फर्स्ट मीटिंग . जेरी येंग और उनके कलीग्स बीजिंग न्यू अपोर्चुनिटी की तलाश में बीजिंग आए हुए थे . Jack Ma को बोला गया कि वो उनसे मिले और टूअर गाइड प्रोवाइड करे।

Jack Ma का चार्म काम कर गया और इस तरह अलीबाबा का अनऑफिशियल लांच हुआ . जब कंपनी का नाम रखने की बारी आई तो Jack Ma ने अलीबाबा चूज़ किया हालाँकि ये डोमेन नेम एक केनेडियन आदमी के नाम रजिस्टर्ड था जो इसके $ 4,000 मांग रहा था . नाम खरीदकर अलीबाबा को फाइनली लांच किया गया।

अलीबाबा में Jack Ma के अलावा 18 और लोग भी थे जिसमे छेह औरते भी थी . इन लोगो में से कोई भी हाई – फाई बैकग्राउंड से नहीं था . ये रेगुलर लोगो की टीम थी जिन्हें जैक एक प्लेटफ्रॉम पर लेकर आया था . इंटरनेट पोपुलर हो रहा था तो अलीबाबा और उसके जैसी कंपनीज को भी एशियन बिजनेस में आने का चांस मिल रहा था . हालाँकि अलीबाबा के लिए अभी भी इन्वेस्टर्स को कन्विंस करना मुश्किल काम था लेकिन मिडिया के साथ कंपनी को अपनी शुरुवाती सक्सेस मिलने लगी थी . सेम टाइम में चाइना इंटरनेट बबल भी धीरे – धीरे ग्रो कर रहा था . मार्किट में न्यू डॉट कॉम वेंचर्स आ रहे थे और अलीबाबा के लिए अब कॉम्पटीशन टफ होने वाला था।

अध्याय 7 : बैकर्स : गोल्डमेन एंड सॉफ्टबैंक ( Chapter Seven : Backers : Goldman and SoftBank ):-

Jack Ma जब मै इंटरव्यू लेने के लिए जैक से मिलने गया तो उसके चार्म और एन्थूयाज्म ने मुझे बड़ा इम्प्रेस्ड किया . मेरे एक कलीग टेड डीन ने जैक के ऊपर एक आर्टिकल लिखा था जिसमे Jack Ma ने कहा था कि ” ” इफ यू प्लान , यू लूज़ . इफ यू डोंट प्लान , यू विन ” . फॉरेन प्रोफेशनल अब जैक के चारो तरफ घूम रहे थे , अलीबाबा को फंड मिलते ही इंटरनेशनल फ्लेवर मिलना शुरू हो गया था अपनी टीम के लिए मेंबर चूज़ करते वक्त जैक ने उन्ही लोगो को लिया जो कभी स्कूल के टॉप पोर्मेर नहीं रहे . इसके पीछे उसका पॉइंट ऑफ़ व्यू ये था कि प्रेस्टीजियस स्कूल्स से निकले हुए लोग रियल लाइफ के चेलेंजेस फेस नहीं कर पाएंगे , ईजिली फ्रस्ट्रेटेड हो जायेंगे।

इसलिए उसे एक टफ टीम की ज़रूरत थी क्योंकि अलीबाबा के लिए काम करने का मतलब पिकनिक नहीं होगी . पेमेंट कम मिलेगी , सेवन डेज ऑफ़ वीक , पर डे सिक्सटीन आवर्स काम करना पड़ेगा . Jack Ma ने उन्हें ये भी बोला कि रहने के लिए कोई ऐसी जगह ढूंढें जो ऑफिस से 10 मिनट की दूरी पर हो ताकि आने – जाने में टाइम वेस्ट ना हो . जैसे – जैसे अलीबाबा.कॉम वेबसाईट की पोपुललेरिटी बढती गयी – फ्री सर्विसेस ऑफर की हेल्प से -टीम पर जैसे इनकमिंग ई – मेल्स की बोम्बार्ड होने लगी थी . वेबसाईट के मेंबर्स बढे तो वर्ल्ड वाइड कंपनीज और एक दुसरे से कनेक्ट करने के लिए चाइना में वेबसाइट का यूज़ भी बढ़ने लगा . लेकिन प्रोब्लम्स अभी खत्म नहीं हुई थी . कुछ कम्प्लेंट करते थे कि कंप्यूटर की कॉस्ट बहुत ज्यादा है और कुछ तो कंप्यूटर ओपरेट करना भी नहीं जानते थे।

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एक और बड़ा चेलेंज था लैक ऑफ़ ट्रस्ट , एक ट्रस्ट जो अभी कंपनी को बिल्ड करना था . बहुत से सप्लायर्स ये सोचकर परेशान थे कि जिन कस्टमर्स से वो कभी मिले नहीं है , वो उनकी पेमेंट नहीं देंगे और कस्टमर्स ये सोचकर परेशान थे कि पता नहीं प्रोडक्ट की क्वालिटी कैसी होगी।jack ma इतनी सारी प्रोब्लम्स का इमिडीएट सोल्यूशन नहीं निकाल सकता था . वो बस ये इंश्योर करना चाहता था कि अलीबाबा लीगल रिसपोंसेबिलिटी नहीं लेता है ये बस एक प्लेटफ्रॉम है जहाँ कंपनीज और बिजनेस पीपल एक दुसरे से कनेक्ट कर सके।

अलीबाबा के करियर में दूसरा माइलस्टोन तब आया जब एक जापानीज इन्वेस्टमेंट फर्म सॉफ्टबैंक ने अलीबाबा में $ 20 मिलियन इन्वेस्ट करने का डिसीजन लिया . ऐसा लग रहा था जैसे सॉफ्टबैंक का फाउन्डर मासयोशी सोन , और जैक एक दुसरे के सोलमेट हो . दोनों फाउन्डर सीईओ ने मिलकर अमेजिंग बिजनेस किया . उन्होंने कई सारी न्यू रिक्रूटमेंट्स की , 188 कंट्रीज में 150,000 से भी ज्यादा लोगो ने अलीबाबा को साइन अप किया . कुल मिलाकर अब बिजनेस में थोड़ी स्टेबिलिटी नज़र आ रही थी।

अघ्याय 8 : बर्ट एंड बैक टू चाइना ( Chapter Eight : Burst and Back to China ) :-


2000 के स्प्रिंग तक अलीबाबा इतना पोपुलर हो चूका था कि पर डेड.  हज़ार से भी ज्यादा लोग अलीबाबा को साइन अप कर रहे थे . पूरे चाइना के सप्लायर्स को वर्ल्डवाइड बायर्स से कनेक्ट करना बेशक एक ग्रेट आईडिया था , लेकिन मुश्किल तब हुई जब दूसरी कंपनीज भी सेम आईडिया लेकर मार्किट में उतर रही थी . अब इतने सारे कॉम्पटीटर्स से निपटने के लिए अलीबाबा ने एक्सपेंड करने का प्लान बनाया।

कंपनी ओवरसीज कंज्यूमर्स को भी अट्रेक्ट करना चाहती थी इसलिए फॉरेन एम्प्लोईज हायर किये गए . और सबसे बड़कर एडवरटाईजिंग पर खास ध्यान दिया गया . फिर क्या था , कंपनी पूरी तरह मार्किट में छा गयी थी . ये पहली बार था जब किसी चाइना बेस्ड टेक स्टार्ट अप कंपनी के एड सीएनबीसी और सीएनएन में आ रहे थे . लेकिन तभी स्टॉक मार्किट डाउन हो गया था . और ये सिचुएशन इंटरनेट बेस्ड कंपनीज़ के अगेंस्ट जा रही थी क्योंकि इससे कांफ्रेंसेस कम होना शुरू हो गया था . इसी बीच कैलीफोर्निया में अलीबाबा के ऑफिस में भी कुछ प्रोब्लम्स चल रही थी . अलीबाबा ने अपने नए फेरमोंट ऑफिस में तीस से भी ज्यादा इंजीनियर्स जोड़ा था।

लेकिन चाइना में अपने कलीग्स के साथ काम करना , वो भी फिफ्टीन आवर्स टाइम डिफ़रेंस में , ये उनके लिए एक बड़ा सरदर्द था . और एक प्रॉब्लम ये भी थी कि दोनों ऑफिस में उनके चाइनीज़ इंजीनियर्स को नॉन – चाइनीज़ कलीग्स के साथ कम्यूनिकेट करने में काफी प्रोब्लम्स आ रही थी . हग्ज़हौ में टीम एक प्रोडक्ट के डेवलपमेंट पर जोर देती तो फेरमोंट ऑफिस में दूसरे प्रोडक्ट पर जिससे टीमवर्क ठीक से नहीं हो पा रहा था . अब Jack Ma को पर्सनली बीच में आना पड़ा।

उसने दोनों टीम को बोला कि इस प्रॉब्लम को जल्द से जल्द फिक्स किया जाए . टेक्नोलोजी टीम को दो जगहों में डिवाइड करने का आईडिया फेल हो गया था . अलीबाबा ने अपना कोर फंक्शन वापस हग्ज़हौ में मूव किया जाए . 200 ] और 2002 के डार्क दिनों पर जैक को प्राउड है क्योंकि वो लास्ट मेन था जो स्टैंड कर पाया था।

डॉट.कॉम क्रेश के बाद आगे आने वाले टाइम में अलीबाबा ने अपनी रेवेन्यू इनक्रीज करने का एक तरीका ढूंढ लिया था . एक्सपेंसिव एडवरटाईजिंग कैपेन्स को बाई – बाई बोलकर वर्ड ऑफ़ माउथ पर फोकस किया गया . कंपनी ने अपनी सेल्स टीम भी एक्सपेंड की ताकि फी पेईंग सर्विस की प्रोमोटिंग पर फोकस किया जा सके . अलीबाबा एक बार फिर से अपने पैरो पर खड़ा हो गया था .

अध्याय 9 : बोर्न अगेन : ताओबाओ एंड ह्यूमिलेशंन ऑफ़ ई – बे ( Chapter Nine : Born Again : Taobao and the Humiliation of eBay )

ऐसे बहुत से एंटप्रेन्योर्स थे जो चाइना का ई – बे बनने का ड्रीम लेकर बिजनेस के मार्किट में उतरे थे . इनमे से एक सबसे फेमस कंपनी थी शंघाई की ईच नेट जिसे शाओ यिबो ( Shao Yibo ) ने स्टार्ट किया था . वो हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से पढकर आया था . ईच नेट की सक्सेस बाकि चाइनीज़ कंपनीज़ से कहीं आगे थी . यूनाइटेड स्टेट्स में ई – बे 100 मिलियंस से भी ज्यादा ऑनलाइन पोपुलेशन को सर्व कर रही थी और जो एक वेल डेवलप क्रेडिट कार्ड मार्किट और रिलाएबल नेशन वाइड डिलीवरी सिस्टम पर डिपेंड कर सकती थी . चाइना में ऐसे कम ही लोग थे जो ऑनलाइन पे करते थे या गुड्स डिलीवरी सिस्टम एक्सेस करते थे।

क्योंकि लोगो में ऑनलाइन शौपिंग को लेकर ट्रस्ट नहीं था . चाइना मार्किट ऑलमोस्ट ना के बराबर था और लोकल कंज्यूमर्स भी बहुत कम थे . ईच नेट को पैसे कमाने के न्यू तरीके ढूँढने थे इसलिए यिबो ने जिसे बो भी कहते थे , ऑनलाइन शौपिंग प्रोब्लम का सोल्यूशन ढूँढने के बारे में सोचा : पेमेंट , पैकेज डिलीवरी , प्रोडक्ट क्वालिटी और लोगो का ट्रस्ट . ईच नेट ई – बे के मुकाबले काफी छोटा था फिर भी इसने ई – बे के सीईओ मेग व्हिटमेन को अट्रेक्ट कर लिया था . और वो बो से मिलने स्पेशली शंघाई आए . मार्च 2002 में ईचनेट ने एक लैंड मार्क डील से मार्किट को सरप्राइज़ कर दिया था।

जब इसने अनाउंस किया कि ईच नेट $ 30 मिलियन में अपना 33 % स्टेक ई – बे को बेच रहा है . व्हिटमेन किसी गुड न्यूज़ के लिए डेस्पेरेट हो रहा था ताकि उसके इन्वेस्टर्स रीएश्योर हो सके . इस अनाउंसमेंट से सिर्फ वन मन्थ पहले ही जापानीज़ मार्किट में याहू जापान को काफी लोस हो चूका था . ई – बे की स्ट्रेटेज़ी शुरू से ही गड़बड़ रही थी . जापान में याहू जापान ने कोई चार्ज नहीं लिया था लेकिन ई – बे कमिशन चार्ज कर रही थी।

और उन दिनों जापान में क्रेडिट कार्ड उतने फेमस नहीं हुए थे फिर भी ई – बे में साइन अप करते वक्त कस्टमर्स को कार्ड यूज़ करने को बोला जाता . इन सब रीजन्स से जापान में ई – बे फेल हो गयी . साऊथ कोरिया और ताईवान में इसको काफी सक्सेस मिली लेकिन चाइना ही था जहाँ सबसे ज्यादा इफेक्ट हुआ . 2002 तक चाइना की इंटरनेट पोपुलेशन 27 मिलियन तक पहुँच गयी थी , यानी दुनिया की फिफ्थ लार्जेस्ट पोपुलेशन . और ये ई – बे के लिए एक चांस था . लेकिन इसके बावजूद एम्प्लोयई के बीच कल्चरल डिफ़रेंस के चलते ई – बे को एशिया से हटना पड़ा . ई – बे को अपने चाइना मार्किट एक्सप्लोरेशन के चक्कर में कुछ हंड्रेड मिलियन का लोस उठाना पड़ा था लेकिन जल्दी ही ये अलीबाबा में एक स्माल चेंज लाने वाला था।

अध्याय 10 : याहू’स बिलियन डॉलर बेट Chapter Ten : Yahoo’s Billion –

Dollar Bet चाइना की मोस्ट फेमस साईट होने के बावजूद याहू भी पीछे जा रही थी – कि तभी अलीबाबा के साथ एक बिलियन डॉलर डील ने सबकुछ चेंज कर दिया . याहू बाहर से देखने पर एक कंटेंट बेस्ड साईट थी और चाइना में ये चीज़ थोड़ी डिफिकल्ट थी क्योंकि वहां हर टाइप के मिडिया पर गवर्नमेंट का स्ट्रिक्ट कण्ट्रोल रहता है . जब याहू ने अपना ऑफिस होन्गकोंग में खोला तो जेरी येंग , जिसने याहू लांच किया था।

उससे इश्यू ऑफ़ सेंसरशिप के बारे में पुछा गया . उसने कहा कि वो लॉ के अंडर में रहेंगे और जितना हो सके उतना फ्री होने की कोशिश करेंगे ” याहू अब सिर्फ एक डायरेक्टरी नहीं थी जो थर्ड पार्टी मैनेज्ड वेबसाइट्स को लिंक करती थी . रायटर्स के साथ एक अर्ली पार्टनरशिप के बाद कंपनी ने अपनी साईट में न्यूज़ कंटेंट एड किये थे , फिर चैट रूम्स एड किये और फिर याहू मेल . याहू का कंट्री में लांच एक अनाउंसमेंट की तरह था जो इंटरनेट में सारे फॉरेन इन्वेस्टमेंट को बैन करने की तरह लग रहा था।

याहू को फाउंडर के साथ एक पार्टनरशिप करने के लिए फ़ोर्स होना पड़ा था . लेकिन ये चाइना का गेटकीपर नहीं था जैसा कि जेरौं ने सोचा था . कंटेंट बोरिंग होने लगा और चाइनीज़ यूजर्स नोटिस कर रहे थे कि याहू चाइना में रेलीवेंट बने रहने की लड़ाई हार रहा है . चाइना में दो बार दो कंपनीज से मार खाने के बाद जेरी ने एक बोल्ड डिसीजन लिया।

उसने अलीबाबा में 40 % स्टेक के बदले जैक को $ 7 बिलियन दिए ,और याहू चाइना के बिजनेस की चाबी पकड़ा दी . हालाँकि उसके बाद भी जैक और जेरी दोनों को ये रिएलाइज करने में कुछ टाइम लग गया लेकिन ये डील अलीबाबा और याहू दोनों के लिए ट्रांसफॉरमेटिव साबित हुई . इस डील ने तुरंत ही अलीबाबा और ताओबाओ को सपोर्ट किया , ताओबाओ एक नयी कंपनी थी जिसे Jack Ma ने अलीबाबा की हेल्प के लिए खोला था . अलीबाबा फाइनली अब अपने एम्प्लोईज को रीवार्ड दे पाई थी जैक ने बताया कि कैसे इस डील ने उन्हें मच नीडेड एक्सपीरीएंश दिया जो आने वाले फ्यूचर में बड़ा इम्पोर्टेट होगा।

अघ्याय 11 : ग्रोइंग पेंस ( Chapter Eleven : Growing Pains ):-

कंपनी पर एक बार फिर मुसीबत के बादल मंडरा रहे थे . अलीबाबा.कॉम हमेशा से फॉरेन ट्रेड पर डिपेंड रही थी लेकिन यू.एस. की इकोनोमी कंडिशन कमज़ोर पड़ती जा रही थी और इसका सीधा असर चाइना एक्सपोर्टर्स के बिजनेस पर पड़ रहा था . अलीबाबा के शेयर तेज़ी से डाउन होने लगे , इतने कम कि मार्च में इनिशियल पब्लिक ओफेरिंग प्राइस से भी नीचे चले गए थे . अलीबाबा .कॉम के सीईओ डेविड वेई जैक से एक्स्पेक्ट कर रहे थे कि वो डाउन होते शेयर प्राइसेस को लेकर टेंशन में होंगे लेकिन डेविड याद करते है कि jack ma ने एक बार भी उन्हें कॉल नहीं किया और ना ही मिलने आये . Jack Ma प्रॉफिट ग्रोथ को लेकर भी कभी नहीं बोले . तो फिर उसने क्या किया ?

जैक को अहसास हुआ कि इन चेलेंजेस ने उन्हें अपने कस्टमर्स की लॉयलिटी इनक्रीज करने का एक चांस दिया है . और उसने उनके सबस्क्रिप्टशन कास्ट में एक ड्रामेटिक रीडक्टशन करने के बारे में सोचा . स्टॉक मार्किट में अफरा – तफरी मच गयी थी लेकिन Jack Ma के इस रिस्की स्टेप में एक मेथड था . इस बारे में याद करते हुए डेविड कहते है कि ये राईट टाइम पर लिया गया डिसीजन था क्योंकि रेवेन्यूज कभी ड्राप नहीं हुए , एक बार भी नहीं . बल्कि कस्टमर्स बढ़ते गए जिससे प्राइस ड्राप बेलेंस हो गया था . फाईनेंशियल क्राइसिस ओवर होने के बाद भी अलीबाबा ने अपने प्राइस नहीं बढाए . लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं हुआ।

7 जनवरी , 2008 में माइक्रोसॉफ्ट के एक सरप्राइज़ इवेंट की वजह से Jack Ma परेशान हो गया . माइक्रोसॉफ्ट ने याहू को $ 44.6 बिलियन का ऑफर दिया लेकिन डील नहीं हो पाई क्योंकि याहू के सीईओ जेरी येंग ने ऑफर रिजेक्ट कर दिया . इस बात से याहू के इन्वेस्टर्स नाराज़ थे और याहू के शेयर प्राइसेस ड्राप होने शुरू हो गए . नवम्बर में जेरीं सीईओ पोस्ट से हट गए और पोजीशन कैरोल बर्ज़ ( Carol Bartz ) को मिल गयी . हालाँकि जैक ने बाज़ी पलट दी थी लेकिन टेंशन कम नहीं हुई क्योंकि बर्ज़ ( Bartz ) येंग के बिलकुल अपोजिट था।

Jack ma और बर्ज़ के बीच वार्म रिलेशन नहीं बन पाया . दोनों काफी टाइम तक एक दूसरे से कांटेक्ट नहीं करते थे . लेकिन Jack Ma को रिलीफ तब मिली जब सितम्बर 2017 में याहू ने कैरोल बर्ज़ को जॉब से हटाया . लेकिन उसके पोस्ट छोड़ने से पहले अलीबाबा के सामने दो ऐसे क्राइसेस आए जो इस कंपनी में लोगो का भरोसा तोड़ सकती थी . फर्स्ट थे एक इन्टरनेट इंसिडेंट , एक फ्रॉड केस . दूसरा था अलीबाबा के ओनरशिप से बाहर अलीपे के ट्रांसफर पर नेगोसीएशन जो कुछ इन्वेस्टर्स के साथ अलीबाबा ग्रुप की रेपूटेशन को कम्प्लीटली बर्बाद कर सकती थी।

अघ्याय 12 : आइकोन ओर इकारस ? ( Chapter Twelve : Icon or Icarus ? ):-

अब तक जैक चाइना के फिलोसिफर सीईओ के रूप में फेमस हो चूका था। और सबसे बड़ी बात ये थी कि उसने एक फिलान्थ्रोपिस्ट और एनवायरमेंटलिस्ट की अपनी एक रेपूटेशन बना ली थी . Jack Ma ने एन्वायरमेंट और लोगो को हेल्थ को लेकर काफी कंसर्न दिखाया और ये सिर्फ कॉर्पोरेट रीस्पोंसेबिलिटी तक लिमिट नहीं है . अलीबाबा को यूज़ सक्सेस मिली कि आज ये चाइना के लीडिंग इन्वेस्टर्स में से एक है जो फिल्म , टेलीविज़न , और ऑनलाइन वीडियो में इन्वोल्व है।

जैक आलरेडी चाइना के कंज्यूमर और एंटरप्रेन्यूरियल रेवोल्यूशंन ( consumer and entrepreneurial revolution ) ) का एक स्टैंडर्ड बियरर था और अब वो न्यू फील्ड्स जैसे फाईनेन्स और मिडिया में भी एक्टिवली इन्वोल्व होने की कोशिश कर रहा है और कोई उसे रोक नहीं सकता . क्योंकि अगर कोई रोकता तो आज वो इतने चेलेंजेस फेस करके , इतने फ्रॉड एनकाउंटर करने के बाद और इतने कॉम्पटीटर्स को पीछे छोडकर इस पोजीशन तक अनहि पहुँच पाता।

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लेकिन उसकी खूबी थी कि उसे कभी गुस्सा नहीं आता था , उसने कभी रेश डिसीजन नहीं लिए . उसकी इमेज हेमशा एक वाइज और पेशेंट सीईओ की रही जिसे अपने एम्बिश्न्स और अपने लोगो पर पूरा ट्रस्ट था . उसने हमेशा अपने कस्टमर्स और लोगो का ध्यान रखा . वो चाहता था कि लोग हेल्दी रहे , खुश रहे , यंग जेनरेशन अपनी लाइफ एन्जॉय करे . लोग फ्यूचर को लेकर ऑप्टीमिस्टिक रहे , यही जैक चाहता था . जैक ने कभी भी चेलेंजेस और ओब्स्टेकल्स से हार नहीं मानी- उसकी सक्सेस स्टोरी आज भी कंटीन्यू है जो लोगो को इंस्पायर कर रही है . एक लीडिंग चाइनीज़ इंटरनेट एंटप्रेन्योर ने इसे कुछ तरह डिसक्राइब किया है : ” ज्यादातर लोगो को अलीबाबा एक स्टोरी लगती है लेकिन ये कोई स्टोरी नहीं , ये एक स्ट्रेटेजी है “

This Post Has One Comment

  1. Manoj

    Thank you sir bahut achhi summary hai.

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