Option B | जिंदगी की नई शुरुआत कैसे करे ?

Option B | जिंदगी की नई शुरुआत कैसे करे ?
Option B | जिंदगी की नई शुरुआत कैसे करे ?

Option B: Facing Adversity, Building Resilience, and Finding Joy Book Summary In Hindi-

क्या आपने कभी किसी अपने के अचानक से खो जाने का दर्द महसूस किया हैं ? क्या आपने कभी ये महसूस किया है , जैसे ये दुनिया अचानक से रुक गयी हो , और हम सिर्फ़ उनकी यादों के सहारे रह गए हों ! शेरिल सैंडबर्ग , जो पहले Facebook की Ceo रह चुकी हैं और इस बुक की राइटर भी , ने ये सब महसूस किया था ! वो अपने पति डेविड ब्रूस गोल्डबर्ग के साथ कुछ दिनों के लिए छुट्टियाँ मनाने गयी थी . उन्होंने अपने बेटे और बेटी को घर पर दादा दादी के पास रहने के लिए , वो दोनों अपने एक दोस्त का बर्थडे सेलिब्रेट करने के लिए मेक्सिको गए थे ! ”

मुझे नींद आ रही है ” , ये आखिरी शब्द थे जो शेरिल ने सोने से पहले और अपने पति की मौत से पहले उनसे कहे थे ! जब वो उठी तो उन्होंने देखा की , उनके पति जमीन पर गिरे हुए थे और उनके सिर से बहुत सारा खून बह चुका था ! पर वहाँ मोजूद लोग उसे बचाने के लिए डॉक्टर को बुला रहे थे और उसे पास के ही हॉस्पिटल में ले कर गए , आखिर में शेरिल के कानों में जो शब्द पड़े वो थे … माफ़ कीजिएगा हम इन्हें बचा नहीं पाए !

उनके पति , डेविड , 47 साल की उम्र में इस दुनिया से जा चुके थे और अपने पीछे 2 छोटे बच्चे छोड़ गए थे ! इस हादसे ने शेरिल की ज़िन्दगी हमेशा के लिए बदल कर रख दी थी , शुरुआत के कुछ महीने के दौरान उस दुःख से बाहर नहीं आ पा रही थी , उसे अपने दिल में एक खालीपन लग रहा था , जिसकी वजह से वो ना कुछ समझ पा रही थी ना ही खुले दिल से सांस ले पा रही थी !

उसे सब कुछ ख़त्म होता हुआ लगने लगा था , तभी उनके परिवार ने उसे मुश्किल की घड़ी में संभाल लिया ! एडम ग्रांट जो एक साइकोलोजिस्ट थे और शेरिल का बहुत अच्छा दोस्त भी उसने भी उसे समझाया की ये दुःख कभी भुलाया नहीं जा सकता पर हम इसे फ्लेक्सिबिलिटी ला कर इन चीजों को कम करने की कोशिश तो कर ही सकते हैं ! हम जन्म से ही गिरकर सँभलने की या किसी दुःख से उभरने की ताकत को सीखकर पैदा नहीं होते , पर हम ये शक्ति खुद के अन्दर ला ज़रूर सकते हैं ! हम कितना दर्द सह सकते हैं ये हमारी काबिलियत नहीं हैं बल्कि हम कितनी जल्दी इस दुःख से उभरते हैं और कितना जल्दी दूर करते हैं ये हमारी असली काबिलियत हैं।

शेरिल और एडम ने ये किताब खास इसलिए बनाई है , ताकि हमें पता चले की हमे कैसे लड़ना हैं और साहस दिखाना हैं ! किताब के शुरुआत में हमें पता चलेगा की जीवन को जीने के लिए हमें कौन सी चीज़े करनी हैं इस बारे में भी बात करेगे की , कैसे हम उन लोगो को सहारा दे सकते हैं , जिनकी ज़िन्दगी में इस तरह के हादसे हो चुके हैं ! इस किताब में ये भी बताया गया हैं की , कैसे एक आदमी इस तरह के हादसों से जल्दी से जल्दी उभर सकता हैं ! अंत में ये बुक हमे बतायगी की कैसे हम आने वाली पीडियो को ऐसे हालतों से निपटने के लिए काबिल बना सकते हैं !

विकल्प बी शेरिल की त्रासदी के इर्द-गिर्द नहीं बल्कि हर व्यक्ति की त्रासदी के इर्द-गिर्द घूमेगा

एक दूसरा तरीका भी होगा वो शेरिल के हादसे के आसपास नहीं घूमेगा बल्कि वो हर एक इन्सान की ज़िन्दगी में घट चुकी परेशानी के लिए होगा ! शेरिल के साथ जो दुखद दुर्घटना हुई सिर्फ़ उसके बारे में नहीं है बल्कि हर इंसान के साथ हुई किसी ना किसी दुखद घटना के बारे में भी है . दुःख और सदमा हमेशा बुरे नहीं होते , कभी हम लोग इन्हें ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं !

हमारी ज़िन्दगी सिर्फ फूलो और गुलदस्तो भरी ही नहीं होती , अगर हम एक आप्शन A खो चुके हैं तो हमे आप्शन B के लिए खुद को तैयार करना ही पड़ेगा !

नई शुरुआत करना

दुर्भाग्यपूर्ण चीज़े हम में से किसी के साथ , कही भी , और कभी भी हो सकती हैं ! एक बुरी घटना हो जाने के बाद खुद को फिर से खड़ा करना और उस मुश्किल की घड़ी से उभर कर निकलना बहुत मुश्किल होता है ! जब कोई बुरी घटना हमारे साथ होती हैं तो हमे कुछ समय के लिए बहुत दुःख होता हैं पर हमे ये समझना चाहिए की ये एक नार्मल बात हैं ! दुःख की घड़ी बहुत मुश्किल होती हैं पर कई बार हम इसे खुद के लिए और ही मुश्किल बना लेते हैं !

हम खुद को उन चीजों के लिए सजा देते हैं जो हमने कभी की ही नहीं , और हम वही से उम्मीद छोड़ने लग जाते हैं ! साइकोलोजिस्ट मार्टिन सेलिग्मैन ने 3 चीजों को ढूंढा जो ऐसे हादसों के बाद इंसान को पहले की तरह नार्मल होने से रोकती हैं जिन्हें 3 P’s कहा जाता है।

पहला P Personalization -कुछ घटनाओं के लिए हम खुद को दोषी मानने लग जाते हैं !

दूसरा P pervasiveness- जिसमे हम सोचते हैं की ये अकेली घटना हमारी जिंदगी के हर पहलू पर अपना असर डालेगी !

तीसरा Permanence जिसमे हम सोचते हैं की इस हादसे का दर्द हमारी ज़िन्दगी के खत्म होने तक बना रहेगा ! यहाँ एक example है की कैसे ये तीनो P हमारे दुःख पर अपना असर डालते हैं और फिर से जीना सीखने के लिए कैसे हम इन तीनो P से छुटकारा पा सकते हैं।

शेरिल को एक औरत का फ़ोन आता है , जिसका रेप हुआ था , वो एक जवान औरत थी , जो बर्थडे की पार्टी से लौट रही थी . जब वो घर जाने के लिए निकलती हैं तो देखती हैं कि उसी के साथ काम करने वाला एक आदमी घर जाने के लिए कैब का वेट कर रहा था इसलिए वो उसे अपनी गाड़ी में लिफ्ट देती है ! उसने कभी सोचा भी नहीं था की , मदद में आगे किया हुआ हाथ ही उस पर हमला कर देगा , कुछ देर के बाद गाडी में बैठे हुए आदमी ने एक हथियार निकाला और उसे डरा धमका कर उसके साथ रेप किया ! ये उसके लिए बहुत ही दर्दनाक घटना थी , जिसे सुनकर शेरिल को भी बेहद दुःख हुआ ! शेरिल और उस औरत ने ऐसे ही कुछ आम बाते की , अपने विचारो और भावनाओं को एक दूसरे से शेयर किया , जिसके बाद उन्हें एक दूसरे के साथ एक जुड़ाव महसूस हुआ !

फ़ोन call के शुरुआत में वो औरत अपनी आप बीती बता रही थी कि उस हादसे के बाद उसे कैसा महसूस हुआ ! पर शुरू में वो घबरायी , डरी हुई और गुस्से में थी , बाद में उस औरत ने उन सब चीजों के लिए खुद को ज़िम्मेदार समझना शुरू कर दिया , और वो सोचने लगी की उसके साथ जो कुछ भी हुआ उसकी दोषी वो खुद हैं ! शेरिल ने उस औरत को शांत करवाया और उसे 3 P के बारे में समझाना शुरू किया !

पहले शेरिल ने कहा खुद के साथ इतना स्ट्रिक्ट होना बंद करो , जब कुछ भी बुरा तुम्हारे साथ होता हैं , तो वो तुम्हारी वजह से नहीं होता , उसने उस औरत को कहा की खुद को दोष मत दो की तुमने क्यों उसे गाडी में बिठाया , क्योंकि ये तो सिर्फ एक तरीका था , जिससे पता चलता हैं की तुम कितनी दयालु हो ! किसी की मदद करने में कोई बुराई नहीं है ! उसके बाद उन्होंने उस औरत के जीवन में हुई अच्छी घटनाओं के बारे में बात की . शेरिल ने कहा दुर्भाग्यपूर्ण घटना या अचानक से हुई चीज़े हमारी ज़िन्दगी के हर हिस्से को बुरा नहीं बना सकती , उसके पास अभी भी अपना परिवार हैं , दोस्त हैं और वो खुद भी अपने साथ हैं !

अंत में शेरिल ने उसे याद कराया की एक हादसा उसके साथ पूरी ज़िन्दगी नहीं रहेगा , वो सिर्फ एक रेप विक्टिम नहीं , बल्कि एक बहुत ही नेक दिल इंसान हैं , जो आने वाले जीवन में कुछ बड़ा या कमाल कर सकती हैं ! कुछ दिन बीत जाने के बाद उसी औरत ने शेरिल को फिर से call किया और कहा की उस रेप के दोषी का केस आगे बढ़ रहा हैं ! उसने ये भी बताया की 3P’s उसे आगे बढ़ने और अच्छा महसूस कराने में बहुत मदद कर रहे हैं ! हम सबको पता हैं की जीवन में कुछ हादसे कुछ उतार चढ़ाव ज़रूर आते हैं , अगर हमे उन चीजों से उभरना हैं तो खुद को फ्लेक्सिबल बनाना होगा , हम इस कला को आने वाले कुछ चैप्टर्स में समझेगे !

इससे पहले की हम आगे बढें , एक चीज़ जो आपको इस चैप्टर से सीखनी चाहिए वो हैं जब ज़िन्दगी आपको एक कांच के गिलास में बंद करना चाहे तब आप उस गिलास को तोड़ कर फिर से सांस ले सकते हैं ! कोई भी हालात तुम्हे बाँध या रोक नहीं सकते क्योंकि तुम में फ़िर से उठने की काबिलियत है , तुम फ़िर से एक नई शुरुआत कर सकते हो !

Kicking the Elephant out of the Room

एक ऐसा ये लाइन ” elephant in the room मुद्दा दिखाता है जिसके बारे में जानते तो सब हैं पर उस के बारे में बात कोई नहीं करना चाहता ! अगर हमारे जानने वाले किसी इंसान के साथ कोई दुर्भाग्यपूर्ण चीज़ घट जाए तो हमारे लिए उनसे सीधे तौर पर पूछना की वो कैसा महसूस कर रहे हैं काफ़ी मुश्किल हो जाता हैं ! शेरिल ने भी अपनी ज़िन्दगी में ये चीज़ महसूस की थी . शुरुआत में तो उसे समझ नहीं आया की लोग उसकी परवाह क्यों नहीं कर रहे ना ही वो उसके पति की मौत के बारे में पूछ रहे थे , और तो और किसी ने ये तक नहीं पूछा की वो उस दर्द से कैसे बाहर निकल रही हैं !

कोई भी उसकी परवाह नहीं कर रहा था यही चीज़े उसके दुःख को और भारी बनाते गए ! अपने पति के अंतिम संस्कार के कुछ महीने बाद , शेरिल अपने पति के रूममेट से मिलने का फैसला लेती हैं , वो भी इसी दुःख से घिरा हुआ था , उसने सोचा की शायद वो उससे कुछ बात कर सके ! जेफ़ जो डेव का रूममेट था , सालो पहले उसे भी लीवर स्क्लेरोसिस नाम की बीमारी होने का पता चला था , शेरिल को याद था की कैसे , डेव जेफ़ की हालत के बारे में बाते किया करते थे , पर शेरिल याद करती हैं की , उसने खुद सामने से कभी भी उसके बारे में जानने में दिलचस्पी नहीं ली थी !

वो दोनों नाश्ता कर रहे थे , तब शेरिल जेफ़ से कुछ आम सवाल पूछती हैं जैसे ” आप कैसे हो ” और ” अब कैसा महसूस कर रहे हो ” , तभी शेरिल जो देखती हैं उससे वो बहुत आश्चर्य में पड़ जाती हैं , जेफ़ की आँखों में आंसू थे , वो उससे बार बार ये सवाल पूछने के लिए शुक्रिया कर रहा था ! इससे पता चलता हैं की , जब से उसे अपनी बीमारी का पता चला , तब से लेकर आज तक किसी ने उससे ऐसे सवाल पूछने और अपनापन दिखाने की ज़रूरत नहीं समझी ! हालांकि उस दिन नाश्ते के वक़्त , जेफ़ ने अपने सारे डाउट , डर , चिंताए बता दिए और अपना दिल हल्का कर दिया , जिससे उसे अच्छा लगे ! जब उन्होंने नाश्ता खत्म कर लिया तब शेरिल को याद आया की कैसे उसने भी वही चीज़ महसूस की थी , जब उसके पति की मौत हुई थी , ऐसा लगता था जैसे वो ऐसे दोस्तों से घिरी हुई थी जिन्होंने उससे एक सवाल तक नहीं पूछा न ही उसकी ज़िन्दगी के बारे में कुछ जानना चाहा ! उसके कुछ दोस्त उसे अपने इवेंट्स पर दूसरे शहरो , में बुलाते थे और बोलने के लिए कहते थे , ये बिना समझे की वो अभी उस मेंटल कंडीशन में नहीं थी ! शेरिल को पार्क में कुछ दोस्त मिले जिनके पास सिर्फ कहने को ये था कि जॉगिंग करने के लिए आज कितना अच्छा मौसम और दिन हैं !

ऐसा लगता था जैसे जो उसके साथ हुआ वो बाकि लोगो को दिख नहीं पा रहा हो , ये ऐसा था जैसे उसके सामने खड़े तो सब थे पर वो कुछ भी देख नहीं सके ! Psychologists इसे “ Mum Effect ” कहते हैं . ये तब होता है जब हम जान कर किसी चीज़ को नज़र अंदाज़ करते हैं , जो हमारी लिए uncomfortable हैं , लोग अपनी निजी चीज़े या बाते किसी को बताने में comfortable महसूस नहीं करते , और वो बुरी खबरे खुद से दूर रखते हैं !

इसी वजह से डॉक्टर भी पेशेंट को उसकी बीमारी बताने में वक़्त लेते हैं , इसी कारण की वजह से मैनेजर भी अपने employees को ये जल्दी नहीं बताते की उन्हें जॉब से निकाल दिया गया हैं ! हर बार जब कभी हम कुछ दुर्भाग्य पूर्ण चीज़े महसूस करते हैं , तब हमे लगता हैं की हमारे साथ कोई भी नहीं खड़ा है , ऐसा लगता हैं जैसे हर कोई अपने जीवन में खुद को आगे बढ़ाने में लगा हो और हम बस एक किनारे में किसी तरह सिर्फ जीने की कोशिश कर रहे हैं ! सबसे कीमती चीज़ जो हम किसी ऐसे इन्सान से कह सकते हैं जिसने अपनी ज़िन्दगी में कुछ खोया हो वो हैं उसे ” स्वीकार करो ” हमे उस टॉपिक से बचने की ज़रूरत नहीं हैं , ना ही परेशानी को रोज़ सुनने की ज़रूरत हैं पर हमे उसकी दर्द और संघर्ष को पहचानना चाहिए , हमे उन्हें हौसला देने की और ऐसे बुरे समय से उभरने के लिए उन्हें हिम्मत देनी चाहिए !

कभी- कभी लोग सोचते हैं की हमे उन्हें अपनापन दिखाने के लिए फूलो से भरे शब्द या बहुत अंदरूनी सलाहे देने की ज़रूरत हैं ! हालांकि , आपको सिर्फ कुछ साफ़ और सीधी तरह से बात करके ही ये करने की कोशिश करनी चाहिए !

Bouncing Forward

शेरिल यकीन करती थी की लोग जो देख नहीं सकते वो बन भी नहीं सकते . कुछ औरतें कंप्यूटर साइंस नहीं लेती क्यूंकि उन्होंने औरतों को कंप्यूटर साइंस लेते हुए नहीं देखा है कुछ औरतें लीडरशिप वाली ज़िम्मेदारी नहीं लेती क्यूंकि वो किसी औरत को लीडर बने हुए नहीं देखा है . हालांकि ये सभी चीज़े बदलने लग जाती हैं जब इंसान खुद पहल करता हैं और पुराने रूल्स और उसूलों को बदलना शुरू करता है ! यही नजरिया था जो एडम ग्रांट ने शेरिल को भी दिखाते थे की ज़्यादातर लोग अपने जीवन में कोई दुर्घटना के बाद वापसी इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें लगता हैं ये उनके लिए संभव नहीं हैं और उन्होंने ये अभी तक अपने जीवन में देखा नहीं होता हैं !

शेरिल के पति की मौत को 4 महीने बीत चुके थे , एडम ने शेरिल को दिखाना चाहा की कैसे लोग अपने जीवन में किसी shock के बाद आगे बढ़ते हैं ! एडम ने बताया की 50 % लोग जिन्होंने अपने जीवन में कोई सदमे जैसी चीज़ महसूस की होती हैं बाद में उनकी पॉजिटिव रिकवरी होती हैं ! ये तब की बात हैं जब शेरिल को एहसास होता हैं की दुर्भाग्य पूर्ण चीज़ होने के बाद आगे बढ़ना एक ऐसी ज़िन्दगी जीने से अच्छा हैं जिसमे सिर्फ दुःख और तकलीफे हो !

शेरिल खुद को मजबूत कर अपने जीवन में बदलाव लाना चाहती थी , तभी उसने joe कैस्पर के बारे में पढ़ा ! जो कैस्पर एडम के psycology स्टूडेंट्स में से एक था जो यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेनसिलवेनिया में पढ़ रहा था , दुर्भाग्यवश joe के बेटे को उसकी बीमारी का पता चलने के 3 साल बाद ही मौत हो जाती हैं ये जो के लिए बहुत भयानक और दुखदाई घटना थी , पर उसने उस हादसे से खुद को टूटने नहीं दिया !

उसकी क्लास में एक बार joe ने एडम से सीखा था की किसी सदमे के बाद के form क्या होते हैं जिसे हम इंग्लिश में पोस्ट ट्रॉमेटिक ग्रोथ कहते हैं पोस्ट ट्रॉमेटिक ग्रोथ एक तरीका हैं जिससे एक आदमी को ठीक होने में और वापस आम ज़िन्दगी जीने में मदद मिलती हैं ! Joe सिर्फ इन तरीको को सीखना नहीं चाहता था बल्कि जीना चाहता था . joe का कॉन्फिडेंस देखकर शेरिल को भी हिम्मत मिली ! पोस्ट ट्रॉमेटिक ग्रोथ के form कुछ इस तरह से हैं पहला स्टेज है Finding personal strength यानी खुद की आपसी ताकत को पहचानो जिसका मतलब हैं खुद की कमियों को मानो पर ये भी जानते हुए की तुम्हारे पास तुम्हारी सोच से भी ज्यादा हिम्मत हैं ।

जब ज़िन्दगी हमारे ऊपर दुःख और परेशानियों के बादल देती हैं और अचानक कुछ घटनाये घट जाती हैं वो हमारे मन में घाव बनकर बैठ जाते हैं पर उसके बाद हम हिम्मत से आगे डट कर खड़े हो जाते हैं , सिर्फ़ अन्दर से ही नहीं बल्कि बाहर से भी ! पोस्ट ट्रॉमेटिक ग्रोथ का दूसरा स्टेज है।

gaining appreciation and finding meaning यानी सराहना लेना और मतलब ढूँढना डेव की मौत के एक महीने बाद शेरिल को उसके एक करीबी दोस्त केविन क्रिम से एक तरह का सहारा मिला ! उसे बहुत हैरानी हुई की कैसे केविन ने उसे सहारा दिया जब की वो जानती थी की वो खुद एक सदमे से गुज़र चुका था ! केविन और उसकी बीवी मरीना के 3 बच्चे थे एक 6 साल का लूलू , 3 साल की नेसी और 2 साल का लिओ अपनी बेटी नेसी को स्विमिंग क्लास कराने के बाद मरीना जब अपने घर वापिस आई तो वो देखती हैं की उसकी नैनी ने उसके दोनों बच्चो लुल्लू और लियो , को मौत के घाट उतार दिया था . 1 शेरिल को पता चला की कैसे केविन ने अपने बच्चो के चले जाने का गम महसूस किया होगा वो जानना चाहती थी की कैसे उसने और उसकी बीवी ने दुःख की घड़ी से खुद को बाहर निकाला।

केविन बताता हैं की लूलू और लिओ को खोना बहुत दुखदायी था पर वो शुक्रगुज़ार हैं की उसके पास मरीना हैं और बेटी नेसी है ! मरीना और नेसी ही उसके जीने का कारण बन गए थे ! ये जो सोच थी इसने केविन का रिश्ता अपनी बीवी से मजबूत बना दिया था जिसके बाद उन्होंने एक और बच्चे को जन्म देने के बारे में सोचा जो फैसला बाद में ठीक साबित हुआ ! अपने बच्चो के नाम से उसने एक नॉन प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन बनायीं जो उन बच्चो के लिए की मदद कर रहा था जिनका कोई नहीं था , वो उन्हें क्रिएटिव चीज़े सिखाते थे ! ये दिखाता हैं की कैसे केविन और मरीना ने उस हादसे के बाद खुद को और अपनी ज़िन्दगी को एक नयी राह देने के लिए इंसानियत और प्यार दिखाया ! उन्हें अपनी ज़िन्दगी के नए मतलब समझ आने लगे थे , वो अब सिर्फ उस घटना में ही रुके हुए नहीं थे !

तीसरा पोस्ट ट्रॉमेटिक ग्रोथ का स्टेज है creating deep relationships यानी गहरे रिश्ते बनाना ! जब आप किसी सदमे को महसूस करते हो तो उसके बाद एक करीबी और गहरा रिश्ता बनाना बहुत मुश्किल होता हैं क्योंकि आप खुद को बाकी दुनिया से अलग देखने लगते हैं ! जैसे किसी सेक्सुअल abuse और हमले के शिकार होने के बाद कोई इंसान अपनी आशा और लोगो पर से विश्वास खोने लगता है !

हालांकि कुछ सदमे गहरे रिश्ते बनाने में भी मददगार साबित होते हैं ! जैसे किसी सिपाही ने जिन्होंने एक साथ एक जंग हारी हैं पर उस जंग के बाद उनमे अच्छी दोस्ती हो जाती हैं ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकि वो ज़िन्दगी की कीमत समझना शुरू कर देते हैं और उन लोगो के साथ वही एक जैसे तजुर्बे बाँटते हैं ! वो लोग जिन्होंने सदमा महसूस किया हो वो वक़्त के साथ आपस में मजबूत रिश्ते बनाते हैं , एक दूसरे के साथ अच्छा महसूस करते हैं , विश्वास करते हैं और एक दूसरे के साथ comfortable हो जाते हैं !

पोस्ट ट्रॉमेटिक ग्रोथ का चौथा स्टेज हैं new possibilities यानी नई सम्भावनाये किसी करीबी की मौत को स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता हैं ! हालांकि जिंदगी का नाम ही दोबारा से शुरू करना है तुम्हारे करीबी या चाहने वाले भी खुश नहीं होगे अगर आप उस पहलु पर रुक ही जाओ और अपनी ज़िन्दगी फिर से नहीं जियो तो ! एक चैप्टर के बाद नया चैप्टर शुरू होता है . किसी आने वाले अवसर को अपनाने का मतलब ये नहीं की जो भी पीछे हुआ हम वो भूल जाएँ . शेरिल कहती हैं कि डेव की उसके दिल में हमेशा एक ख़ास जगह रहेगी !

डेव के ना होने ने भी उन्हें बहुत बदल दिया था ! Joe kasper ने फ़ैसला किया कि अपने बेटे की ज़िन्दगी के लिए वो मास्टर डिग्री करेगा ! केविन और मरीना ने लिओ और लूलू की याद में एक आर्गेनाइजेशन बनाई ! ये जरुरी नहीं की कोई घटना कितना दुखदायी या मुश्किल हो , हम हमेशा आगे बढ़ सकते हैं , हम हमेशा फिर से जीना सीख सकते हैं , खुद के लिए नहीं पर जो लोग हमारे आसपास हैं उनके लिए ! एक बुरे सदमे के बाद हम फिर से उभर सकते हैं।

Raising Resilient Kids

फ्लेक्सिबिलिटी वो नहीं जो जनम के साथ आये . ये तो पूरे जीवन का एक process हैं जो हम धीरे धीरे सीखते हैं अपनी काबिलियत के दम पर और जीवन के उतार चढ़ाव को पार करने के लिए ! हम सब जानते हैं की जीवन में हमेशा खुशी और शान्ति नहीं होती कभी न कभी हम खुद को एक ऐसी जगह पाते हैं जहाँ हम रास्ता खोज रहे होते हैं ! इसलिए हमे बच्चो की आने वाली पीढ़ी को फ्लेक्सिबल बनाने में मदद करनी चाहिए !

ताकि कम उम्र में ही आप सीख जाए की छोटी और बड़ी मुसीबतों को कैसे हल करना हैं जिससे हमें भविष्य में ख़ुशी , कामयाबी , और अच्छी सेहत मिल सकती हैं शेरिल के दोस्तों में से एक दोस्त को पता था कि उसे अपने बेटे को फ्लेक्सिबिलिटी सिखाने की कितनी ज़रूरत है ! वो जानता था की कैसे जिस माहौल में उसका बच्चा रह रहा हैं , वो उसके बच्चे पर कैसा असर डालेगा कि वो भविष्य में प्रॉब्लम को कैसे हैंडल करेगा ! एक छोटे बच्चे में फ्लेक्सिबिलिटी लाने के लिए , पहले हमे उसके वैल्यूज और beliefs को डेवलप करने चाहिए ! पहले ये सोचना की उनका उनकी ज़िन्दगी पर पूरा हक हैं ! दूसरा उन्हें सीखाना की हार और फेलियर से कैसे सीखना हैं

तीसरा उन्हें सिखाना की कैसे खुद की इन्सान के तौर पर असल कीमत को पहचाना जाए ! आखिर में ये सोचना की उनके अन्दर एक असली हिम्मत हैं जो उनकी और दूसरों की मदद कर सकता है ! यहाँ एक example हैं की कैसे टिमोथी ने फ्लेक्सिबिलिटी सीख कर जो उसके पिता ने सिखाया था , कामयाबी हासिल की ! टिमोथी चैम्बर एक पेंटर हैं जिसे 30 साल का काम करने का तजुर्बा है और उसे अपने काम के लिए अवार्ड भी मिल चुके हैं ! हालांकि उसका बचपन थोडा अलग था और सक्सेस की तरफ जाने वाली राह आसान नहीं थी ! टिमोथी 70 % बहरा और लीगली ब्लाइंड नाम की बीमारी से जूझ रहा था जिसमे टीम अगर आपकी आखों पर फोकस करता है तो वो सिर्फ उसी जगह को देख पाएगा जिस पर उसने फोकस किया उसके इलावा वो कुछ और नहीं देख पाएगा !

यहाँ तक की आपका मुहँ भी नहीं देख पायगा ! जब वो जवान हुआ तो उसे सुनने के लिए हियरिंग मशीन की ज़रूरत पड़ती थी .टिम हमेशा परेशान रहा हैं क्यूंकि दूसरे बच्चे उसके कान की ओर अजीब तरह से देखने लगते थे !

इसीलिए उसके पिता उसे बताते की अगली बार अगर ऐसा हो तो तुम्हे अपनी मशीन दबानी हैं , हवा में पंच करना हैं और चिल्लाना हैं , हाँ कबस 2 से एक हैं नौवे में जब टिम ने इसकी शुरुआत की बच्चे काफी हैरान थे और उन्हें जलन भी थी की कैसे टीम बोरिंग क्लास में भी गेम्स को सुन पा रहा हैं ! उस दिन से टिम को पता चला की कैसे कुछ कमी होने के बावजूद उसका खुद पर कंट्रोल है ! वो शर्मिंदगी वाले दिन और पल उसे अन्दर से और मजबूत बनाते गए ! टीम ने अपनी कमियों के बावजूद इस दुनिया में खुद को साबित किया और अपना वजूद पाया ! सबसे ज़रूरी बात ये हैं की उसने अपनी ताक़त को पहचाना जो उसे उन सब चुनौतियों से लड़ने में मदद करती थी . उसकी कहानी दूसरों के लिए inspiration बन गयी !

उसके पिता ने उसे फ्लेक्सिबिलिटी के 4 principle बताए जिसके बाद उसे खुद पर भरोसा होने लगेगा ! टिमोथी चैम्बर एक example हैं कि कैसे फ्लेक्सिबिलिटी मुश्किलों से उभरने में मदद करती हैं , ये बताता हैं की कैसे सहनशक्ति हमारे खुद के अन्दर होती हैं पर कामयाबी हिम्मत करते रहने से मिलती हैं।

हम सबमे आगे बढ़ने की शक्ति हैं इसलिए खुद को रोकना बंद करो और ऊपरउठो खुद में फ्लेक्सिबिलिटी लाओ ताकि आप दूसरों को flexible बनाने में मदद कर सको।

निष्कर्ष

इस बुक में हमने सीखा हैं की जीवन के किसी मोड़ पर हम एक रोड़ा महसूस करते हैं जो हमे नीचे की और खिचता हैं आपने सीखा कि बुरी चीज़े कभी खत्म नहीं होती , जब कभी हम आप्शन A से उम्मीद छोड़ दे तब हमे आप्शन B को देखना चाहिए ! आपने सीखा कि कोई आबुरा हादसा आपकी कहानी का अंत नहीं कर सकती . उसके बाद भी आपके लिए जीवन हैं ! आपने 3 p’s के बारे में सीखा जो आपको आगे बढ़ने से रोकते हैं जो हैं personalization , pervasiveness और permanence . . आपने सीखा की आप अभी भी किसी भयानक हादसे से बाहर आ सकते हैं और फिर से खुद को मज़बूत और शक्तिशाली बना सकते हैं !

आपने ये भी सीखा कि बच्चो को फ्लेक्सिबिलिटी सीखाना और ज़िन्दगी में आ रही मुश्किलों से खुद को बाहर निकालने के लिए फ्लेक्सिबिलिटी सिखाना कितना जरूरी हैं।

इस बुक का मकसद सिर्फ आँखों से आंसू पोंछना नहीं हैं बल्कि धीरे धीरे सब कुछ ठीक करना सिखाना है ये बुक आपके अपनों को फिर आपकी ज़िन्दगी में वापस नहीं ला सकती इस बुक का मकसद आपको ये दिखाना हैं कि अभी भी उम्मीद बाकी हैं और इस सफ़र में आप अकेले नहीं हैं आप फिर से सांस ले सकते हैं , और फिर से खुश हो सकते हैं , और अपना जीवन जी सकते हैं हादसे आपकी कहानी का अंत नहीं हैं बल्कि आप उससे भी ज्यादा चीजों के लिए बने हो !

Sheryl Sandberg

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