अपनी भाषा पर ज़रा ध्यान दीजिये अन्यथा आप अपने भाग्य खराब कर लेंगे।
-William Shakespeare
परिचय:-
Communicate to Influence Book Summary in Hindi – कम्यूनिकेट टू इन्फ्लुएंस (2015) इस किताब को पढ़ कर आप जानेंगे कि कैसे आप अपने आस पास के लोगों को अपनी बातों से मंत्र मुग्ध कर उन्हें आपके बताये रस्ते पर चलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
चाहे आपकी आवाज़ की तेजी हो या अपने सेंटेंसेस में शब्दों का चुनाव इस किताब में आपको हर वो टिप्स और ट्रिक्स मिलेगी जिसे जान कर आप एक अच्छे स्पीकर बन सकते हैं. इन ट्रिक्स को अपनी बातों में शामिल कर के आप अपने आर्डिनरी सेंटेंस को भी एक प्रेरणा श्रोत बना सकते हैं, जो की इसे सुनने वाले हर इंसान के दिल को छु जाये।
लेखक के बारें में:-
बेन और कैली डेकर बिज़नेस कम्युनिकेशन के क्षेत्र के जाने माने एक्सपर्ट्स हैं. उनकी बेहतरीन कोचिंग से लगभग 500 स्टार्टअप्स और कम्पनीयों ने सफलता की बुलंदियों को छुआ है।
दोनों ने साथ मिलकर डेकर कम्युनिकेशन नाम के फर्म को स्टार्ट किया जिसने न जाने कितने ही युवाओं का कम्युनिकेशन स्किल बढ़ा कर जिंदगी की राह उनके लिए और भी आसान कर दी. अपने इसी एक्सपीरियंस का निचोड़ उन्होंने इस किताब के जरिये पेश किया है।
ये बुक समरी आपको क्यूँ पढने चाहिए ?
चाहे आपका कोई जॉब इंटरव्यू हो या फिर अपने स्टार्टअप के लिए इन्वेस्टर की खोज, चाहे कोई भी फील्ड या जगह हो एक अच्छा और प्रभावी कम्युनिकेशन आपके लिए हर जगह मददगार साबित होगा।
हालांकि अक्सर लोग कम्युनिकेटिंग आइडियाज को कॉमन सेंस के साथ जोड़ देते हैं, लेकिन दोनों में बहुत फर्क है, सही समय पर सही कम्युनिकेशन की कमी से हम सफलता का अवसर खो सकते हैं. इतिहास के जितने भी महान स्पीकर्स थे वे सब अपने प्रेरणादायी शब्दों से लोगों की कल्पनायों को वश में कर लेते थे।
अब जाने माने स्पीकर जॉन एफ कैनेडी (John F.Kennedy) को ही ले लीजिये जिन्होंने अपने विचारों से अमेरिका को अनगिनत उपलब्धियां दिलाई हैं। जिनमें से एक था चाँद पर अमेरिका का पहला कदम. लेकिन, ऐसा जरुरी नहीं की कम्युनिकेशन स्किल हमेशा इतिहास बदलने के ही काम आये, ये आपकी अगली मीटिंग में बॉस से तरीफ दिलाने में भी उतना ही कारगर है।
इन 5 गलतियों के कारण हम एक प्रभावशाली कम्युनिकेशन बनाने में असफल हो जाते हैं:-
अगर आप कोई प्रेजेंटेशन या स्पीच दे रहें हैं तो ऐसा बिलकुल नहीं चाहेंगे कि आपकी ऑडियस या तो आधी नींद में या अपने फोन में मस्त हों, हर किसी की चाहत होती है कि लोग उन्हें ध्यान से सुने, तो उसके लिए आपको इन 5 कॉमन गलतियों से बचना होगा।
पहली गलती:-
अपने स्पीच या प्रेजेंटेशन में जरुरत से ज्यादा फैक्ट्स, फिगर्स और मटेरियल को डालना, ऐसा करने से ये होता है कि आपका सारा ध्यान बस मटेरियल इक्कठा करने और उसके बारे में पढ़ने में होता है और आप अपने प्रेजेंटेशन को पेश करने का दिलचस्प तरीका सोचने का समय नहीं निकाल पाते।
दूसरी गलती:-
आपके प्रेजेंटेशन या स्पीच में तथ्यों का आभाव जिसके कारण आपकी बातों पर ऑडियंस का विश्वास नहीं बन पाता और नतीजा ये होता है कि उनका ध्यान आपसे हट जाता है इसका उदहारण देते हुए लेखकों ने कहा है कि सन 2000 से 2016 तक अमेरिका में जितने भी प्रेसिडेंट पद के चुनाव हुए झमें हारने वाला उम्मीदवार अपने भाषण से काल्पनिक और बनावटी लगता था जबकि जीतने वाला सरल और वास्तविकता के करीब लगता था।
तीसरी गलती:-
तैयारी की कमी, जब तक आप खुद को एक अच्छे कम्युनिकेशन के लिए तैयार नहीं करोगे तब तक आपका दिमाग प्रेरणादायी और प्रभावशाली बातों को नहीं सोचेगा. तो चाहे कोई ऑफिसियल प्रेजेंटेशन हो, बलाईट के साथ लंच या कोई भी ऐसी सिचुएसन जहाँ आपको कम्युनिकेशन की सम्भावन लग रही है तो खुद को पहले से दिमागी तौर पर तैयार कर के ही जाएँ।
चौथी ग़लती:-
अपने बोलने की कला के बारे में सही आंकलन का न होना, ये बहुत जरुरी है कि आपको पता हो की आवाज़ लोगों तक पहुँच रही है या नहीं, आप बहुत तेजी से या बहुत धीरे तो नहीं बोलते और ऐसी ही कई बातें हैं जिसका खुद आकलन करना बहुत मुश्किल है, तो इसके लिए आप ऐसा करें कि किसी अन्य व्यक्ति से उसके विचार पूछ सकते हैं. ताकी आपसे मेन प्रेजेंटेशन वाले दिन कोई गलती न हो जाये।
पांचवी गलती:-
हमेशा एक ही जैसा और एक ही सुर में बोलना. यदि आप हमेशा एक ही तरह के टॉपिक पर या एक ही लहजे में बोलते रहोगे तो चाहे आप कितने ही अच्छे स्पीकर हो एक समय के बाद लोग आपसे बोर हो जानेगे तो लोगों की दिलचस्पी बनाये रखने के लिए अपने बोलने के अंदाज में नए नए बदलाव लाना बहुत जरुरी है. इससे आपके कम्युनिकेशन स्किल्स का विकास होगा।
ऑडियंस मैं कंसंट्रेशन और विश्वास की कमी के कारण कम्युनिकेशन और भी मुश्किल हो गया है:-
अगर आप चाहते हैं की लोग आपकी आवाज़ को सुनें तो आपको अपने आस पास के कम्पटीशन से ऊपर उठाना होगा और आज के ज़माने में आपका सबसे बड़ा कोम्पेटीटर है मोबाइल फ़ोन. लोग मोबाइल के इतने आदि हो गए हैं कि ये लोगों की जिंदगी का एक हिस्सा बन गया है. ऑनलाइन कंटेंट मार्केटिंग के इस ज़माने में लोगों का किसी की बातों की तरफ ध्यान आकर्षित करवाना बहुत ही मुश्किल है।
एक सर्वे के मुताबिक 84% लोग अपने मोबाइल की तरफ आकर्षित होते हैं और इनमे से 20% हर 10 मिनट के बाद अपन मोबाइल चेक करते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि जब भी हम कोई नोटीफीकेशन, री-ट्वीट, या लाइक को देखते हैं तो हमारे शरीर के अन्दर इंडोरफिन नाम के पदार्थ का सिक्रीशन होता है जो की हमारे दिमाग को आनंद का एहसास करवाता है।
साथ ही साथ लोगों का अथॉरिटीज के ऊपर से भरोसा भी कम होते जा रहा है. भरोसे की इस कमी को साल 2008 में आये इकनोमिक क्राइसिस से जोड़ा जा सकता है, जिससे कोई भी एक्सपर्ट अच्छे से डील नहीं कर पाया था।
साइंटिस्ट एदेलमन (Edelman) के ट्रस्ट बैरोमीटर के अनुसार 20% से भी कम लोग किसी पोलिटिकल या बिज़नेस लीडर की बातों को सच मानते हैं. और बिना भरोसे के अच्छा कम्युनिकेशन बन पाना मुमकिन नहीं है।
तो आज कल सीन ये है कि हमारे पास इनफार्मेशन का भंडार है लेकिन उसमे इन्स्पीरेशन की कमी है. तो अगर आप चाहते हैं की लोग आपको सुनें तो अपने प्रेरणादायी विचरों को सही तथ्यों के साथ पेश करें ताकी आपकी ऑडियंस का ध्यान और विश्वास दोनों आपके ऊपर बना रहे।
कम्यूनिकेटर्स रोड मैप में से सही स्टाइल चुन कर आप अपने मेसेज को ज्यादा से ज्यादा प्रेरणादायी बना सकते हैं:-
लेखक कहते हैं कि एक ही बात को कहने के कई अंदाज़ हो सकते हैं. तो इसके लिए लेखक ने एक कम्यूनिकेटर्स रोड मैप तैयार किया है जिसके अनुसार उन्होंने 4 अलग अलग कम्युनिकेशन के अंदाज़ों को बताया है. तो अब आप इनमें से अपना सही अंदाज़ चुन कर अपनी ऑडियंस को अपने विचारों के साथ जोड़ सकते हैं।
पहला है जिसमें आप बस अपनी इनफार्मेशन लोगों तक पहुंचाते हैं. इसे लेखक ने इन्फोमिंग तकनीक का नाम दिया है. इसमें आप ऑडियंस को कोई एक्शन या रीएक्शन करने की इंस्ट्रक्शन नहीं देते बल्कि आपका मकसद सिर्फ इनफार्मेशन देना होता है।
दूसरा हैं कंस्ट्रक्शन मेथड जिसमे आप बस किसी काम को करने का आर्डर देते हैं. ये मेथड उन लोगों के द्वारा अपनाई जाती है जो की किसी पावरफुल पोजीशन पर होते हैं, जैसे की आपका बॉस,
तीसरे स्टाइल को लेखक ने नाम दिया है एंटरटेनिंग स्टाइल, जिसमे की आप अपनी बातों से ऑडियंस के साथ एक इमोशनल कनेक्शन बना कर उन्हें हसने या रोने पर मजबूर कर दते हैं. ऐसा स्टाइल अक्सर अपने टी.वी. शो के होस्ट्स के अन्दर देखा होगा. ये कम्युनिकेशन के सबसे कारगर स्टाइलों में से एक है।
चौथे स्टाइल को लेखक ने इन्सपायरिंग स्टाइल नाम दिया है, इसके अनुसार स्पीकर ऐसी प्रेरणादायी अंदाज़ में बातें करता हैं जिससे ऑडियंस उसके द्वारा बताये हुए रस्ते पर चलने के लिए तैयार हो जाती है. इसमें स्पीकर जरूरी तथ्यों और प्रभावशाली भाषा का प्रयोग करता है. इस तरह की स्पीच ऑडियंस को हमेशा याद रहती है जैसे सर मार्टिन लुथर किंग जूनियर का यादगार भाषण।
तो एक इन्सपायरिंग स्पीच को तैयार करने के लिए आपको जरुरत होती है सही इमोशन और तथ्यों को अपनी स्पीच में इसतेमाल कर ऑडियंस से कनेक्ट करने की. अपनी स्पीच और स्टाइल को इस रोड माप के हिसाब से शिफ्ट करके आप एक प्रेरणादायी, प्रभावशाली और यादगार कम्यूनिकेटर बन सकते हो।
अगर आपकी स्पीच में भावनाएं, अत्मविश्वास और भरोसा है तो आप ऑडियंस से और अधिक जुड़ सकते हो:-
अब जब आपने अपना स्टाइल चुन लिया तो बारी आती है उसे डिलीवर करने की. आपका स्टाइल और आपके मैनर्स ये दोनों डिलीवरी में इम्पोर्टस रखते हैं. इसमें कोई शक नहीं कि ये अनकही बातें भी बहुत कुछ कह जाती हैं. लेखक ने अपनी किताब में इन्ही अनकही बातों को आखों और बॉडी लैंग्वेज के जरिये बताने की तकनीक बताई है,
सबसे जरूरी बात है एक परफेक्ट ऑय कांटेक्ट, जो आपको ऑडियंस के बीच केयरिंग और भरोसेमंद साबित कर सकता है, क्यूंकि लोग खुद को आपसे कनेक्ट कर आपकी बात को और ज्यादा अच्छे से समझ सकते हैं।
ऑय कांटेक्ट बनाने का सही तरीका ये है कि अगर आप एक छोटे से 10-15 लोगों के ग्रुप को हैंडल कर रहें है तो हर एक के साथ कम से कम 5 सेकंडस का ऑय कांटेक्ट बनाएं,
लेकिन अगर आप एक बड़े समूह को हैंडल कर रहे हों तो आपको सभी की तरफ देखने की जरुरत नहीं बस पूरी ऑडियंस को इमेजिनरी ग्रुप्स में बाँट लें और हर ग्रुप में से किसी एक के साथ ऑय कांटेक्ट रखें, इस ऑय कांटेक्ट की पौसिविटी से सारा ग्रुप आपकी ओर आकर्षित हो जाएगा।
दूसरी सबसे जरूरी बात है आपकी बॉडी लैंग्वेज, लेखक कहते हैं कि आपको कॉंफिडेंट और प्रभावशाली दिखने के लिए पूरी स्पीच के दौरान रेडी पोजीशन में खड़े रहना चाहिए।
इस पोजीशन में आपका सर सीधा और ऊँचा होना चाहिए साथ ही साथ आपके कंधे पीछे की तरफ और आपका वजन दोनों पैरों के ऊपर सही तरह से बैलेंस होना चाहिए, सबसे जरुरी बात ये है कि आपका शरीर कहीं से भी झुका नहीं होना चाहिए।
इन दोनों जरुरी बातों के अलवा इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हम अपने अच्छे जेस्चर से अपने बातों में और भी उर्जा और उत्साह भर सकते हैं. इसका उदहारण देने के लिए लेखक कहते हैं कि मान लो आपको कहना है कि इन बातों के 3 कारण है तो आप अपना हाथ उठा कर अपनी उँगलियों की मदद से 3 दर्शा सकते हैं।
एक और बात याद रहे जब भी आप नर्वस फील करें तो बस एक छोटी ही स्माइल दे दें, इस स्माइल से आपकी नर्वसनेस भी छुप जाएगी और लोग आपकी बातों में अपनापन भी महसूस करने लगेंगे।
आपकी स्पीच में आपकी आवाज़ की टोन, पिच और हर एक पॉज का अपना ही महत्त्व है:-
सोचिये कि आप किसी को सुन रहे हो और वो धीरे धीरे एक जैसी आवाज़ में बिना कोई पॉज दिए बोलता चला जा रहा हो तो आपको कैसा लगेगा? आपको यकीनन उसकी बातें नहीं समझ आएगी और आप वहां से उठ कर जाना चाहोगे. तो इसलिए सही आवाज़ और अंदाज़ की कमी से अच्छे से अच्छा मेसेज भी एकदम बोरिंग और डल हो सकता है।
तो इसलिए अपनी आवाज़ और अंदाज़ को इतना प्रभावशाली रखिये कि जब वो आपके विचारों के साथ मिले तो सबके दिल को छु जाये. सही मौका और सेंटेंस के अनुसार आप अपनी आवाज़ को ऊपर या नीचे कर सकते हैं और जहाँ जोर देकर बोलना हो वहां रुक कर बुलंद आवाज़ में कह सकते हैं।
तो ये तय करना आपका काम रहा के कब कहाँ और कैसे आपको अपनी आवाज़ में बदलाव लाना है, ताकि आपका भाषण एकसार और बोरिंग ना लगे।
अगर ऐसा करने में आपको कोई दिक्कत आये तो बस लेखक की बताई हुई ये ट्रिक अपना लें. लेखक कहते हैं कि आपको बस इमेजिन करना है कि आप अपने दोस्तों के बीच बैठे हैं और अपनी बात उन्हें बता रहे हैं फिर आप बड़े ही सहेजता से अपनी बात को कह देंगे आपको किसी भी प्रकार का डर या नर्वसनेस नहीं महसूस होगा।
अंत में लेखक कहते हैं की इस बात का खास ख्याल रखें कि आपको अपने भाषण में कहाँ कहाँ पॉज देना है क्यूंकि इससे आपकी बात की इफेक्टिवनेस बढ़ जाती है और आपकी पूरी स्पीच को एक ड्रामेटिक रूप मिलता है जिससे ऑडियंस का इंटरेस्ट आपकी स्पीच में बना रहता हैं।
अपनी बात में दिलचस्प कहानियाँ और ह्यूमर डाल कर आप लोगों को ध्यान केन्द्रित करने पर मजबूर कर सकते हैं।
अगर आप चाहते हैं कि आपके ऑडियंस का ध्यान इधर उधर नाभटके तो अपनी बातों के जरिये एक इमोशनल कनेक्शन बनाना बहुत जरुरी है. तो इसके लिए आपको लेखक द्वारा बताई हुई SHARP थ्योरी को अपनाना होगा जिसमे कि S का मतलब है स्टोरीज, H है ह्युमर, A है एनालॉग, R है रेफरेन्सेस और है पिक्चर।
सबसे पहले आती है स्टोरीज यानि कहानियाँ जो कि कनेक्शन बनाने और अपनी बात को समझाने का सबसे सरल जरिया है. जैसे की मान लें आपको दोस्ती से रिलेटेड कोई मेसेज देना है तो आप दोस्ती के ऊपर कोई भी पसंदीदा कहानी सुना सकते हैं।
कहानियों से ऑडियंस इमेजिनेशन की दुनिया में चली जाती है और आपके मेसेज का सार भी आसानी से इमेजिन कर लेती है. ठीक इसी तरह मान लें आपको गरीब और अनाथ बच्चों के लिए फंड्स इक्कठा करने हैं, तो अगर आप उन बचों की आप बीती कहानियाँ लोगों को सुनायेंगे तो, ये कहानियाँ उन्हें डोनेशन के लिए प्रेरित करेंगी।
दूसरा तरीका है ह्यूमर, ये भी अपने आप में कनेक्शन का एक बहुत ही अच्छा तरीका है इसका उदहारण देते हुए लेखक ने कहा है कि अमेरिका कि जानी मानी टेक्नोलॉजी कंपनी की सी.इ.ओ. कैटी क्लेन ने अपने एक ऑफिशियल प्रेजेंटेशन की पहली स्लाइड में अपना ड्राइविंग लाइसेंस दिखाते हुए कहा कि मैंने इसमें अपनी हाइट के बारे में झूठ लिखा है।
पहले तो लोगों ने सोचा कि इसका इस प्रेजेंटेशन से क्या लेना देना पर बाद में कैटी ने उसे अपने ऑफिस में ऑनेस्ट होने की आदत से जोड़ कर सबको हैरान कर दिया. तो आप भी ऐसे ही कुछ हँसी मजाक की बातों से ज़िन्दगी के अनमोल मेसेज लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
एनालोजी (उपमान देना), रेफरेन्सेस और पिक्टर आपकी बात को और भी दिलचस्प बना सकते हैं:-
कई बार ऐसा होता है कि हम किसी मुश्किल टॉपिक पर बोल रहे होते हैं जिसके बारे में समझाना शायद ज्यादा मुश्किल या बोरिंग हो सकता है तो आप उसे किसी आसान सी चीज़ के साथ जोड़ के समझायें तो ऑडियंस को आपकी बात समझने में आसानी होगी.
जैसे की एक इंजिनियर ने एक बार स्टैंडडाइजेशन का महत्त्व बताने के लिए उसे ग्रेट बाल्टिमोर (Great Baltimore Fire) में लगी 1904 की आग से जोड़ा उसने कहा की फायरब्रिगेड की पाईपों में स्टैंडाइजेशन की कमी के कारण वो शहर की पानी की सप्लाई वाली टंकी के वाल्व में फिट नहीं हुए और आग ने विकराल रुप ले लिए.
तो ऐसे ही सजग और सरल बातों के साथ जोड़ कर हम कठिन से कठिन बात समझा सकते हैं।
अगला इफेक्टिव तरीका है रेफरेन्सेस और कोट्स का यूज़ करना. लेकिन कोट्स का इसतेमाल करते समय ये याद रखें की वो छोटे और सिंपल हों. रेफरेन्सेस और कोट्स दोनों ही आपकी बात का वजन बढ़ाते हैं और लोग आपकी स्पीच को भरोसे से सुनते हैं.
आस्वरी और बहुत जरुरी चीज़ है पिक्चर, वैज्ञानिकों के अनुसार हम जो देखते है वो ज्यादा जल्दी समझ सकते हैं इसलिए पिक्चर की मदद से आपका काम आसान हो सकता है।
तो इस लेसन के अंत में लेखक कहते हैं कि अपनी प्रेजेंटेशन की स्लाइड्स या अपनी स्पीच को आप वीडियोस, प्रोम्स और पिक्चर के जरिये आप सुपर इंटरेस्टिंग बना सकते हैं।
लेकिन इतना याद रखें कि आप जो भी जरिया इसतेमाल कर रहे हों वो लेखक के बताये BBB (बेसिक, बोल्ड और बिग) के रुल को फॉलो करने वाले हो. तो बस इन बातों का ध्यान रखें और अपने कम्युनिकेशन स्किल में नया निखर लायें।
आपके मेसेज को एक्शन में बदलने के लिए जरुरी है कि आपको ऑडियंस की जरूरतों का पता हो:-
लेखक कहते हैं कि अगर आपको पता हो कि आपकी ऑडियंस क्या सुनना चाहती है तो आप अपनी स्पीच को उसके अनुसार डिजाईन कर सकते हैं.
ऐसा करने के लिए सबसे पहले आप अपने आप से ये 3 सवाल पूछे कि आपकी टारगेट ऑडियंस कौन है कैसी है? वो आपसे क्या सुनना चाहते हैं? और उन्हें पहले से कितना और क्या पता होगा? इन तीनों सवालों के जवाब आपको अपनी स्पीच फ्रेम करने में मदद करेंगे।
इस बात को और अच्छे से समझने के लिए लेखक के द्वारा बताये हुए इस उदहारण को देखते हैं, जैसे कि मान लें कि आपकी टारगेट ऑडियंस एक छोटे से बिज़नेस के निराश एम्प्लोयी हैं जो जानते हैं कि उनकी वेबसाइट विसिटर्स को नहीं लुभा पा रही और साथ ही साथ उन्हें ये भी नहीं पता कि आगे क्या किया जा सकता है।
ऐसी सूरत में आप उन्हें सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के फायेदे बता सकते हैं कि कैसे वो थोड़ी सी ऑप्टिमाइजेशन से अपनी वेबसाइट पर विसिटर्स की संख्या बढ़ा सकते हैं. आपकी इस स्पीच को वो सब बहुत ध्यान से सुनेंगे क्यूंकि ये उनकी जरुरत के बारे में है।
लेखक आगे कहते हैं कि जब आपने स्पीच का सब्जेक्ट चुन लिया और आप लोगों से अपने द्वारा बताया गया एक्शन करवाना चाहते हैं तो जरुरी है कि अपनी स्पीच को एक सही पॉइंट ऑफ़ व्यू दें जैसे कि इस उदहारण में आपका पॉइंट ऑफ़ व्यू हो सकता है ‘आप लोग बिको इसके लिए जरुरी है पहले दिखो’.
एक बार ऑडियंस के दिमाग में आपका पॉइंट ऑफ़ व्यू क्लियर हो गया फिर उसके बाद आप स्पस्ट और मजबूत शब्दों में उन्हें एक्शन करने के लिए कह सकते हैं. यही वो समय होगा जब आप उन्हें अपनी सर्विसेज या प्रौक्ट्स के बार में बता सकते हैं और अपनी सेल्स बढ़ा सकते हैं।
डेकर ग्रिड के इस्तेमाल से आप अपने मेसेजेस को और ज्यादा कंसिस्टेंट और फोकस्ड बना सकते हैं:-
जब आपको ये पता चल गया कि आपकी ऑडियंस कैसी है और आपको क्या बोलना है उसके बाद जरुरत है अपनी स्पीच को सही स्ट्रक्चर देने की ऐसे में डेकर ग्रिड आपकी बहुत मदद कर सकता है।
डेकर ग्रिड में 20 बॉक्सेस होते हैं जो की 4 कॉलम्स और 5 रोव्स से मिल कर बने होते हैं. ये बॉक्सेस एक टेम्पलेट की तरह होते है जो आपको अपने मेन पॉइंट्स और थीम्स को सही क्रम में जोड़ने में आपकी मदद कर सकते हैं।
तो आईये इस बात को उदाहरण के जरिये समझते हैं, जैसा की आपको पता है कि आपको अपने सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन से रिलेटेड सर्विसेज के बारे में बोलना है तो पहले बॉक्स में आप अपने इंट्रोडक्शन के साथ लेखक द्वारा बताये गए SHARP’s का इसतेमाल कर सकते हैं।
जैसे कोई कोट या अपने पुराने क्लाइंट की सक्सेस स्टोरी. अगले बॉक्स में आप अपना पॉइंट ऑफ़ व्यू रखें. उसके बाद के बॉक्सेस में आप एस.इ.ओ. के बेनेफिट्स बता सकते हैं और गूगल एनालिटिक्स और मेगाट्रेंड्स के बारे बारे में भी बता सकते हैं. और ये सब बताते हुए आपकी ऑडियंस का ध्यान आपकी तरफ ही रहे इसके लिए बीच बीच में SHARP’s का इसतेमाल कर सकते हैं।
अंत में किसी सफल वेबसाइट ओनर जैसे मार्क जकरबर्ग का कहा हुआ कोई इन्स्पीरेशनल कोट बता सकते हैं और अपने प्रेजेंटेशन को एक्शन पॉइंट पर ला के ख़तम कर सकते हैं. ये एक्शन पॉइंट होगा कि आज ही हमारी एस.इ.ओ. सर्विसेज का लाभ उठाएँ और आपको डिस्काउंट मिल सकता है और आपकी वेबसाइट का ट्रैफिक चंद दिनों में बढ़ सकता है।
अच्छे कम्यूनिकेटर हमेशा खुले विचारों वाले होते हैं जिसके चलते उनके चेहरे से कॉन्फिडेंस झलकता है:-
एक अच्छा कम्यूनिकेटर होने का मतलब बस अपनी बात और अपने पॉइंट को रखना ही नहीं है. बल्कि एक अच्छा कम्यूनिकेटर अपनी बातों से लोगों के समझने और करने की क्षमता को बदल सकता है. इसलिए हम कह सकते हैं की एक अच्छा कम्यूनिकेटर एक पावरफुल इन्फ्लुएंसर भी होता है.
परन्तु ऐसा बनने के लिए जरुरत होती है अपने विचारों को खुला करने की. अपनी सोच को बन्धनों में बांध कर हम अपनी ग्रोथ को खुद ही रोक देते हैं।
तो अपने विचारों से सारी बाधायों, सीमायों और डर को मिटा कर आगे बढे और एक सफल कम्यूनिकेटर बनें.जिम कॉलिंस ने अपनी किताब ‘गुड टू ग्रेट में कहा है कि सारी बड़ी और सफल कंपनियों में एक ही खास बात है के उनके लीडर्स खुले विचारों के धनी थे।
एक हम्बल और कॉंफिडेंट कम्यूनिकेटर लोगों के शशक्तिकरण और फायदे के लिए बोलता है, ना की बस ऊँची आवाज़ से उन्हें डोमीनेट करने के लिए. आप इतिहास के किसी भी इन्फ्लुएंसर को ले लें चाहे नेल्सन मंडेला हो या महात्मा गाँधी दोनों के चेहरे पर एक स्माइल होती थी जो की हम्बल कॉन्फिडेंस को दर्शाती है।
दोनों में से कोई भी कभी ऐरोगंट या सेल-प्रेसिंग बातें नहीं की बल्कि अपनी काँफिडेंट और बेहतरीन भाषण से लोगों की सोच को बदला जिसका नतीजा ये हुआ कि लोगों ने उन्हें सुना, उनके बताये रस्ते पर चले और इतिहास में बदलाव लाया।
तो अब आपकी बारी है कि आप कैसे अपनी बातों से दुनिया पर अपनी छाप छोड़ते हो।
निष्कर्ष:-
आपकी ऑडियंस को किसी एक्शन के लिए प्रेरित करने के लिए जरुरी है उनसे एक इमोशनल कनेक्शन का होना. अपनी आवाज़ में मिठास, चहरे पर स्माइल और बातों में सच्चाई और इमोशन को मिला कर हम ये कनेक्शन बना सकते हैं.डेकर ग्रिड की मदद से हम अपनी बात को एक वेल-अरेंज्ड और प्रभावशाली अंदाज़ में पेश कर सकते हैं।
क्या करें ?
लेखक कहते हैं कि जहाँ तक हो सके तो अपनी स्पीच या प्रेजेंटेशन को रिकॉर्ड करें ताकी उसे सुन कर आपको पता चले की कहाँ सुधर की गुंजाईश है. अपनी आवाज़ को गले से नहीं दिल से निकालें ताकी लास्ट रो में बैठे व्यक्ति को भी सुनाई दे. और सबसे जरुरी बात की अपना मेसेज ऑडियंस की तरफ देख कर बोलें जमीन की तरफ नहीं।