
पूरा नाम | मनमोहन सिंह |
जन्म तिथि | 26 Sep 1932 |
धर्म | सिक्ख |
जन्म स्थान | गांव गाह (पश्चिम पंजाब) (पाकिस्तान) |
पार्टी का नाम | Indian National Congress |
शिक्षा/व्यवसाय | सिविल सेवा, अर्थशास्त्री, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक और शिक्षाविद |
पिता का नाम | गुरमुख सिंह |
माता का नाम | अमृत कौर |
जीवनसाथी का नाम | गुरशरण कौर |
जीवनसाथी का व्यवसाय | गृहिणी |
संतान | (3 पुत्री) 1.उपिन्दर 2.दमन 3 अमृत |
अवार्ड व अचीवमेंट | 1987 – पद्म विभूषण |
मनमोहन सिंह एकअर्थशास्त्री हैं, जिन्होंने भारत के प्रधान मंत्री के रूप में दो कार्यकालों तक अपनी सेवाएं दीं। उनसे पहले केवल जवाहर लाल नेहरू ही थे, जो दो बार लगातार पीएम रहे। उनके बाद नरेंद्र मोदी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी सिंह से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट के साथ अपनी युवावस्था में संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया और बाद में हमारे देश के आर्थिक शासन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उन्हें 1991 में देश की अर्थव्यवस्था को फिर से विकसित करने के लिए संरचनात्मक सुधारों की रूपरेखा तैयार करके देश को पूर्ण आर्थिक संकट के कगार से बचाने का श्रेय दिया जाता है।
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मनमोहन सिंह का शुरुआती जीवन
(Manmohan Singh Initial Life)–
मनमोहन सिंह का जन्म अखंड भारत के पंजाब प्रान्त (वर्तमान पाकिस्तान) स्थित गाह में 26 सितम्बर, 1932 को एक सिख परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरुमुख सिंह था। छोटी उम्र में ही उनकी माता का निधन हो गया और इसलिए उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया। बचपन से ही उन्हें पढाई में रूचि थी और वह कक्षा में अक्सर अव्वल आते थे।
मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गए जहा उन्हने स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की।
आजादी के समय हिंदुस्तान पाकिस्तान विभाजन के बाद उनके परिवार को अमृतसर आना पड़ा. आगे की पढ़ाई मनमोहन सिंह जी ने यही की, यहाँ के हिंदु कॉलेज में उन्होंने दाखिला लिया. ग्रेजुएशन के लिए मनमोहन सिंह जी चंड़ीगढ़ गए, जहाँ उन्होंने पंजाब युनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया. आगे की पढाई के लिए वे कैंब्रिज व ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी चले गए. पढाई पूरी करने के बाद भारत लौट कर वे पंजाब यूनिवर्सिटी व दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर बन गए.
1971 में भारत सरकार द्बारा मनमोहन सिंह जी को आर्थिक सलाहकर वाणिज्य मंत्रालय के लिए नियुक्त किये गए, इसको देखते हुए 1972 में उन्हें मुख्य सलाहकार, वित्त मंत्रालय में नियुक्त किया. इनकी नियुक्ति बहुत से पदों के लिए हुई जैसे की वित्तमंत्री, उपसभापति, योजन मंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में, प्रधानमंत्री के सलहाकार के रूप में. 1991 से 1996 के बिच पाच वित्त मंत्रीयो ने मिलकर आर्थिक मंदी हटाकर भारत को पुन्ह स्थापीत किया. इन्होने भारत के लिये आर्थिक योजना बनाई जो पुरे विश्व में मान्य है. उन्होंने अपने कार्यालय के दौरान अपने सहयोग से विकट परिस्थितियों से भारत को निकला था.
मनमोहन सिंह जी का राजनितिक करियर (Manmohan Singh Political career)
1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने निरन्तर पाँच वर्षों तक कार्य किया, जबकि १९९० में यह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। जब पी वी नरसिंहराव प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने मनमोहन सिंह को १९९१ में अपने मंत्रिमंडल में सम्मिलित करते हुए वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया। इस समय डॉ॰ मनमोहन सिंह न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे।
लेकिन संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सरकार के मंत्री को संसद का सदस्य होना आवश्यक होता है। इसलिए उन्हें १९९१ में असम से राज्यसभा के लिए चुना गया। मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को उपचार के रूप में प्रस्तुत किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाज़ार के साथ जोड़ दिया। डॉ. मनमोहन सिंह ने आयात और निर्यात को भी सरल बनाया। लाइसेंस एवं परमिट गुज़रे ज़माने की चीज़ हो गई। निजी पूंजी को उत्साहित करके रुग्ण एवं घाटे में चलने वाले सार्वजनिक उपक्रमों हेतु अलग से नीतियाँ विकसित कीं।
मनमोहन जी की सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ कड़े कानून बनाये. 2008 में मुंबई में हुए आतकंवादी हमले के बाद मनमोहन जी ने नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) का गठन किया, जो आंतकवाद पर कड़ी नजर रखती थी. 2009 में इ गवर्नस की सुविधा दी गई, जिससे नेशनल सिक्यूरिटी बढ़ गई, मल्टीपरपस आइडेंटिटी कार्ड बनाये गए, जिससे देशवासियों को सुविधा होने लगी. मनमोहन सिंह जी ने अपने शासनकाल में पड़ोसी देशों व अन्य देशों से संबद्ध सुधारे जिससे देश को बहुत से फायदे हुए. इन्ही सब बातों के फलस्वरूप 15 वें लोकसभा चुनाव में UPA सरकार की एक फिर जीत हुई, जिसके बाद मनमोहन जी फिर से प्रधानमंत्री बन गए. जवाहरलाल नेहरु के बाद मनमोहन जी पहले प्रधानमंत्री थे, जो लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए.
अपनी सादगी और अंतर्मुखी स्वभाव के लिए जाने जाने वाले मनमोहन सिंह बेहद चतुर और बुद्धिमान व्यक्तित्व वाले प्रधानमंत्री रहे हैं। शिक्षा के प्रति रुझान ने उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा दिया किन्तु वह खुद को एक आम इंसान ही मानते रहे हैं। उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें वर्ष 1987 में पद्मविभूषण सम्मान प्रदान किया गया। भारत को उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के रूप में कई मजबूत कदम उठाए जिनका देश की जनता को तो लाभ हुआ ही साथ ही विश्व पटल पर भी भारत एक मजबूत राष्ट्र बनकर उभरा है।
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डॉ. सिंह एक ईमानदार और कर्त्तव्यनिष्ठ व्यक्ति है । उनको यूपीए ( संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ) सरकार का समर्थन प्राप्त है तथा पूरा देश उन पर विश्वास करता है । उनकी छवि एक सुशील और ईमानदार व्यक्ति के रूप में विख्यात है और अपनी ईमानदार छवि के कारण उनको कुछ लोग डॉ. ऑनेस्ट भी कहते हैं । उनका रिकॉर्ड बेदाग रहा है । वह सादगी की मूर्ति हैं और मूल्यों में विश्वास करते हैं । उनके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए देश ने उनके प्रधानमंत्री बनने का स्वागत किया और जिस प्रकार से प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने किसानों और श्रमिक वर्ग के लिए दो घोषणाएँ की हैं उससे यह साबित हो चुका है कि यह व्यक्ति समाज के निम्न वर्ग का हितैषी है ।
2004 के आम चुनाव में लोक सभा चुनाव न जीत पाने के बावजूद मनमोहन सिंह को यूपीए की अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अनुमोदित किया। अपनी साफ़ सुथरी और ईमानदार छवि के चलते आम जनता में वे काफी लोकप्रिय बन गए। 22 मई 2004 को उन्होंने पद की शपथ ली। वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के सहयोग से मनमोहन सिंह ने व्यापार और अर्थव्यवस्था के विकास की दिशा में काम किया।
वर्ष 2007 में भारत का सकल घरेलू उत्पादन 9% रहा और भारत दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्था बन गया। उनके नेतृत्व में ग्रामीण नागरिकों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत हुई। इस कार्य की दुनियाभर में लोगो ने सराहना की। उनके कार्यकाल के दौरान शिक्षा-क्षेत्र में भी काफी सुधर हुआ। 15वी लोक सभा के चुनाव नतीजे यूपीए के लिए बहुत सकारात्मक रहे और मनमोहन सिंह को 22 मई 2009 को एक बार फिर से भारत के प्रधानमंत्री के पद पर चुना गया। जवाहरलाल नेहरु के बाद मनमोहन सिंह एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्हें 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से प्रधानमंत्री चुना गया।
मनमोहन सिंह जी के अवार्ड्स व अचीवमेंट (Manmohan Singh Awards and achievements)–
डॉ. सिंह को मिले कई पुरस्कारों और सम्मानों में से सबसे प्रमुख सम्मान है – भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण(1987); भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995); वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994); वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (1956) का एडम स्मिथ पुरस्कार; कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955)। डॉ. सिंह को जापानी निहोन किजई शिम्बुन एवं अन्य संघो द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. सिंह को कैंब्रिज एवं ऑक्सफ़ोर्ड तथा अन्य कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद उपाधियाँ प्रदान की गई हैं।
मनमोहन सिंह के बारे में ताजा खबर (Manmohan Singh Latest News)
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती हैं। बुधवार को अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया। बीते गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी उनका हालचाल जानने के लिए एम्स गए थे।
मनमोहन सिंह इसी साल कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे. उन्हें 19 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव होने के बाद एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था. इसके बाद 29 अप्रैल को उन्हें एम्स के ट्रॉमा सेंटर से छुट्टी दे दी गई थी. पूर्व प्रधानमंत्री ने चार मार्च और तीन अप्रैल को कोरोना के टीकों की दो खुराक ली थी.
उनकी उम्र 88 साल है और उन्हें शुगर की भी बीमारी है. पूर्व पीएम की दो बायपास सर्जरी भी हो चुकी है. उनकी पहली सर्जरी साल 1990 में यूनाइटेड किंगडम में हुई थी. जबकि 2009 में एम्स में उनकी दूसरी बायपास सर्जरी की गई थी. पिछले साल एक नई दवा के कारण रिएक्शन और बुखार होने के बाद भी मनमोहन सिंह को एम्स में भर्ती कराया गया था. कई दिनों के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनमोहन सिंह फिलहाल राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं. सिंह साल 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे हैं.