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Tokyo Paralympics: अवनि लखेड़ा ने किया कमाल, निशानेबाजी में जीता गोल्ड मेडल
‘मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है
कुछ ऐसा ही सच कर दिखाया 15 वर्षीय अवनी लेखरा ने। जयपुर की पैरा निशानेबाज अवनी लेखरा ने दुबई में आयोजित पैरा शूटिंग विश्व कप के 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में रजत पदक जीतने का गौरव हासिल किया है। इस शानदार परफॉर्मेंस के बाद अवनी मंगलवार को जयपुर लौट आईं। ‘घर वापसी’ पर इस टैलेंटेड प्लेयर का शानदार स्वागत-अभिनन्दन किया गया।
बात दें कि अवनि लेखरा जब 11 साल की थीं तो उनके साथ एक भयानक हादसा हो गया था. जिसमें उन्हें स्पाइनल कोर्ड इंजरी हो गई, लेकिन अपनी कमजोरियों के बावजूद भी अवनि आज इस मुकाम पर है।

जन्म | 8 November 2001 |
पिता | प्रवीण लेखरा |
माँ | श्वेता लेखरा |
कोच | चंदन सिंह |
निवासी | जयपुर |
शिक्षा | लॉ यूनिवर्सिटी राजस्थान |
शूटिंग की शुरुआत | 2015 जगतपुरा स्पोर्ट काम्प्लेक्स जयपुर |
पहला अंतरराष्ट्रीय खेल | 2017 वर्ल्ड कप, दुबई |
दिव्यांगता | रीढ़ की हड्डी में चोट |
कौन हैं अवनि लेखरा – Who is Avani lekhara?
अवनि लेखरा मूल रुप से राजस्थान के जयपुर की रहने वाली है. अवनी लेखरा के पिता का नाम प्रवीण लेखरा है. अवनी लेखरा की माता का नाम श्वेता लेखरा है. अवनी लेखरा के कोच का नाम चंदन सिंह है.जब 11 साल की थीं तो उनके साथ एक भयानक हादसा हो गया था. जिसमें उन्हें स्पाइनल कोर्ड इंजरी हो गई, उन्होंने शूटिंग और आर्चरी दोनों में अपने हाथ आजमाए. लेकिन अंत में शूटिंग को अपना करियर बनाया.
एक हादसे ने बदली जिंदगी
अवनी के पिता प्रवीण लेखरा ने बताया कि 2012 में वह धौलपुर में कार्यरत थे। उसी दौरान जब वह जयपुर से धौलपुर जा रहे थे तो सड़क दुर्घटना में पिता-पुत्री दोनों घायल हो गए। प्रवीण लेखरा तो कुछ समय बाद स्वस्थ हो गए लेकिन अवनी को तीन महीने अस्पताल में बिताने पड़े फिर भी रीड की हड्डी में चोट के कारण वह खड़े होने और चलने में असमर्थ हो गई।
सदमे से उबरने में लगा थोड़ा समय
लेखरा ने बताया कि इसके बाद वह बहुत निराशा से भर गई और अपने आप को कमरे बंद कर लिया। माता-पिता के सतत प्रयासों के बाद अवनी में आत्म विश्वास लौटा और अभिनव बिन्द्रा की बायोग्राफी से प्रेरणा लेकर वह निशानबाजी करने लगी।
शूटिंग चुनने की कहानी
अवनि की मुताबिक चोट लगने के बाद उनके पिता ने उन्हें खेल में अपनी किस्मत आजमाने के लिए प्रेरित किया। शुरुआत में उन्होंने शूटिंग और तीर धनुष दोनों को try किया। लेकिन उन्हें शूटिंग ज्यादा मजेदार लगा।
अभिनव की बायोग्राफी से मिली प्रेरणा
जिंदगी भर के लिए दिव्यांग होने के बाद अवनी लेखरा काफी निराश हो गई थी. अवनी ने बताया एक्सीडेंट के बाद उनके पिताजी ने उन्हें अभिनव बिन्द्रा की बायोग्राफी लाकर दी। उससे उनकी निशानेबाजी में रुचि जगी और वह घर के पास में ही स्थित शूटिंग रेंज पर जाकर अभ्यास करने लगी। उन्होंने बताया कि कोच के निर्देशन के अनुसार अभ्यास करने के साथ मैंने अपना शत-प्रतिशत देना शुरू किया तो मुझे सफलताएं मिलती चली गईं।
मां-पिता-कोच को दिया सफलता का श्रेय
अवनी ने कहा कि यदि कोई भी किसी भी काम में अपना शत-प्रतिशत देता है तो उसे सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेया अपनी मां श्वेता लेखरा, पिता प्रवीण लेखरा और कोच चंदन सिंह को दिया।
अवनी के पिता प्रवीण लेखरा और मां श्वेता लेखरा ने कहा कि पेरेंट्स को अपने बच्चों पर भरोसा करना चाहिए, तो वो किसी भी लक्ष्य को पा सकते हैं। अवनी के परिजनों ने विश्व कप में पहली बार पैराशूटर्स की टीम भेजने के लिए पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राव इंदरजीत सिंह का आभार जताया और पैरालंपिक में भी भारतीय टीम भेजने की आशा जताई।
अपने आप को किया साबित
अवनी के कोच चंदन सिंह का कहना है कि डिसेबल होने के बावजूद अवनी में गजब का आत्मविश्वास है। उन्होंने कहा कि दो साल के बहुत कम समय में अवनी ने विश्व कप में व्यक्तिगत रजत पदक जीत कर अपने आप को साबित कर दिया है।
कोच सिंह का कहना है कि अवनी पैरालंपिक तक का सफर तय करने की क्षमता रखती है और उन्हें विश्वास है कि वह ओलंपिक में पदक जीतकर लाएगी। अवनी और उनके कोच ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
अवनी लेखरा की उपलब्धियां (Avani Lekhra achievements)
- अवनी लेखरा ने साल 2015 में राष्ट्रीय पैरालंपिक शूटिग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता.
- अवनी लेखरा ने साल 2019 में दुबई में आयोजित पैरा शूटिंग विश्व कप के 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में रजत पदक अपने नाम किया. साथ ही पैरालंपिक के लिए भी क्वालिफाय कर लिया.
- अवनी लेखरा पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी है.
- अवनी लेखरा ने साल 2021 में टोक्यो में आयोजित पैरालंपिक में स्वर्ण पदक अपने नाम किया.
- अवनी लेखरा पांच बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत चुकी है.
उपलब्धियों ने बनाया फेमस
यहां जगतपुरा स्थित आशियाना अपार्टमेंट के स्थानीय लोगों ने तो अवनी का शानदार तरीके से स्वागत किया। अपार्टमेंट के मुख्य द्वार पर अवनी का स्वागत बैंड और ढोल-ताशे की मधुर ध्वनि के साथ हुआ। इसके बाद यहां के निवासियों ने उन्हें गुलदस्ते देकर और माला व साफा पहना कर अभिनन्दन किया। ये सिलसिला यहीं नहीं थमा। इसके बाद वर्ल्ड कप में पदक विजेता अवनी की आरती उतारी गई और फिर कार से पूरी सोसाइटी का चक्कर लगाकर उन्हें बधाइयां दीं। इस अवसर पर अवनी के साथ दुबई से लौटीं उनकी मां का भी स्वागत किया गया।
इस विजेता खिलाड़ी की इस उपलब्धि पर उसकी पीठ थपथपाने के लिए यहां जगतपुरा शूटिंग रेंज के निदेशक अजय सिंगा, राजस्थान पैरालंपिक समिति के महासचिव दिनेश उपाध्याय सहित कई प्रशासनिक अफसर भी पहुंचे।
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