Difficult Conversations Book Summary In Hindi

ऑथर के बारे में

हावर्ड लॉ स्कूल के लेक्चरर डग्लस स्टोन , Triad Consulting Group के पार्टनर हैं । फिलहाल वे ट्रॉमा ‘ और ‘ माफी ‘ इस बीच के बातचीत के मार्गदर्शन का काम कर रहे है । हावर्ड नेगोसिएशन प्रोजेक्ट के डेप्युटी डायरेक्टर ब्रूस पैटन , CMI / vantage Partners LCC के पार्टनर हैं । उन्होंने “ Getting to Yes ” भी लिखा है । शीला हीन हावर्ड लॉ स्कूल में लेक्चरर हैं और वहाँ नेगोशिएशन के बारे में सिखाती हैं । वह अपने पति और बेटे के साथ कैंब्रिज में रहती हैं ।

Introduction:-

Difficult Conversations Book Summary In Hindi
Difficult Conversations Book      Summary In Hindi


क्या आपको लगता है कि आपको अपने रिश्तों पर थोड़ी मेहनत करने की जरूरत है ? क्या आपको लगता है कि आप हमेशा , मानो किसी आदत की तरह , लोगों के साथ बहस कर रहे हैं और अपने मन की बात कह नहीं पा रहे हैं ? क्या आपको ऐसा लगता है कि आप की बात सुनी नहीं जाती है ? अगर हां , तो यह बुक आपकी सारी परेशानियों का जवाब है ।

यह बुक आपको सिखाएगी कि आपको बातचीत में कैसे शामिल होना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए और आपको किन चीजों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है ।

इस बुक में आप बातचीत करने के लिए ज़रूरी सभी स्किल्स के बारे में जानेंगे जो आप के रिश्तों को मजबूत कर सकती हैं और किसी भी तरह के डिसएग्रीमेंट से आपको बचा सकती हैं । यह पर्सनल रिश्तों से लेकर फॉर्मल रिश्तों तक हो सकते हैं , चाहे वह आपका बॉस हो , आपके बच्चे हों , आपका दोस्त हो , या आपका जीवन साथी हो ।

इस बुक में , आप जानकारी का पता लगाने , किसी दूसरे के बारे में अपने मन से ही कोई वहम ना पालने और दोष न देने से बचने के importance को समझेंगे । आप बातों के तीसरे साइड को देखना सीखेंगे । एक अच्छे लिसनर बनने के साथ – साथ आप खुद की बात लोगों के सामने रखना भी सीखेंगे ।

यहां आप ऐसी बातों के बारे में जानेंगे जो दूसरों को पता है लेकिन शायद आपको नहीं और उनके अलग – अलग ओपिनियन को जानने की अपनी चाहत के इम्पोर्टेस को समझेंगे ।

आप परेशानियों को सुलझा पाएंगे और मुश्किल लगने वाली बातचीत आप आसानी से कर पाएंगे । किन बातों को और ज्यादा ध्यान से समझने की जरूरत है और किन बातों को छोड़ देने की जरूरत है , इन सवालों के जवाब यह बुक आपको दे सकती है ।

बातचीत को सुलझाइये:-


आप जो कहना चाहते हैं ‘ और ‘ जो आप कहते हैं ‘ , उसके बीच का फर्क बातचीत को मुश्किल बनाता है । हर इंसान को अपने जीवन में कभी ना कभी बातचीत करने में परेशानी होती ही है । बातचीत तीन तरह के होते हैं :

1.जो हुआ उससे जुड़ी हुई बातचीत ।

2.आप जो महसूस कर रहे हैं उससे जुड़ी हुई बातचीत मतलब ‘ भावनाओं की बातचीत।

3. पहचान की बातचीत मतलब ‘ आइडेंटिटी बातचीत ‘ । पहली तरह की बातचीत में किसी disagreement के कारण आपके मन में डाउट पैदा कर सकता है । दूसरी तरह की बातचीत में आपकी भावनाओं के बारे में बात की जाती है । आप को डाउट होने लगता है कि आपकी भावनाएं सही है या नहीं ।

आप सोच में पड़ जाते हैं की आपको उन्हें समझना चाहिए या उन पर ध्यान ही नहीं देना चाहिए । तीसरी तरह की बातचीत यानी ‘ आइडेंटिटी बातचीत ‘ वह होती है जिसमें आप खुद से बात करते हैं । यहां आप किसी सिचुएशन के बारे में सोच कर कि वह आपके लिए कितनी जरूरी है यह समझते हैं ।

यह तीनों तरह की बातचीत काफी चुनौती भरी हो सकती है , और आपको इन्हें हैंडल करना आना चाहिए । चलिए , इन तीनों तरह की बातचीत को समझने के लिए एक example लेते हैं । यह जैक और माइकल नाम के दो दोस्तों के बीच हो रही एक परेशानी भरी बातचीत की कहानी है ।

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एक दिन , माइकल मदद मांगने के लिए जैक को कॉल करता है । माइकल को जल्दी ही एक फाइनेंशियल ब्रोशर तैयार करने की जरूरत थी क्योंकि उनके डिज़ाइनर ने नौकरी छोड़ दी थी । जैक ने माइकल की मदद करने के लिए अपना सारा काम छोड़ दिया और अगले दिन ब्रोशर तैयार करने के लिए देर रात तक काम किया ।

माइकल ने डिज़ाइन को मंजूरी दे दी और जैक को प्रिंट करने के लिए कहा । जैक ने दोपहर तक वह काम पूरा कर लिया । माइकल के लिए उस रात देर तक काम करने के कारण जैक थक गया था । जैसे ही जैक अपने ऑफिस में वापस गया उसने माइकल का भेजा हुआ एक वॉइस मेल देखा जिसमें कहा गया था कि ब्रोशर में अर्निंग की चार्ट क्लियर नहीं थी।और उसे इसे फिर से करने की जरूरत थी ।

जैक ने उसी वक़्त माइकल को फोन किया और उनमें बात होने लगी की माइकल ने इसे पहले मंजूरी दी थी । बात करते समय जैक खुद के साथ एक आयडेंटिटी बातचीत कर रहा था कि उसने माइकल की मदद करने के लिए अपनी पत्नी के साथ एक डिनर डेट तक कैंसल कर दी थी और माइकल ने उसे थेंक यू भी नहीं कहा ।

इस तरह की मूरों जैसी गलती करने के लिए जैक खुद पर गुस्सा भी था । उसने ये सब जोर से नहीं कहा , ये सब वह अपने मन में खुद से कह रहा था।और ये ‘ आइडेंटिटी बातचीत ‘ का एक example है । उसके मन में ऐसी भी भावनाएं आ रही थी कि माइकल ने उसे एक प्रूफरीडर की तरह देखा था ना कि एक दोस्त की तरह । एक पल के लिए वह माइकल से लड़ना भी चाहता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया । यह उसकी भावनाएं थी , और यह एक भावनाओं की बातचीत है।

माइकल और जैक जिस बात पर सहमत नहीं थे उसे लेकर उनमें जो बात हुई की क्या ‘ चार्ट में ज़्यादा काम करने की ज़रुरत है ? ‘ या ‘ किसे पहले गलती को समझना चाहिए था ? ‘ यह बातचीत के ‘ जो हुआ उसपर बातचीत ‘ का example है । हम इन तीन तरह की बातचीत को हैंडल करने में गलती करते हैं ।

आपको हमेशा किसी बात को लेकर अपना नजरिया समझाना आना चाहिए । भावनाओं को बताने की और समझने की कोशिश कीजिए और अपना काम सफाई से कीजिए ।

कौन सही है इस बात पर लड़ना बंद कीजिए :


एक दूसरे की कहानी जानने की कोशिश कीजिए।
कई बार हम लोगों की राय से सहमत नहीं होते हैं । भरोसा करने की बजाय कि कहानी का एक और साइड हो सकता है , हम उन लोगों को ही प्रॉब्लम समझ लेते हैं और वे लोग भी कुछ ऐसा ही समझते हैं।

किसी एक कहानी को लेकर हर किसी के अपने – अपने एक्सपीरियंस और राय होते हैं और उसी बात को लेकर दूसरों के विचार बहुत अलग हो सकते हैं , वे सब ही सही है । जिस तरह कोई इंसान अपने आसपास के माहौल पर गौर करता है , उसे समझने की कोशिश करता है और उसे समझ कर किसी कनक्लुजन पर आता है ।

ये उसी बारे में सोचने वाले दूसरे इंसान से अलग भी हो सकता है , इसीलिए तो ये झगड़े होते हैं । रैंडी और डैनियल एक असेंबली लाइन में साथ काम करते हैं । रैंडी व्हाईट है और डैनियल कोरियन – अमेरिकी है । रैंडी का मानना है कि उनकी कंपनी माइनॉरिटी में आने वाले लोगों के साथ परायों की तरह बरताव नहीं करती है और उनका अलग – अलग जाति के लोगों को नौकरी देने के बारे में बहुत अच्छा रिकॉर्ड है ।

उनकी अपनी टीम में दो लोग अफ्रीकी- अमेरिकन है और एक लैटिनो भी है जो यूनियन का हेड है । उनके सुपरवाइजर भी एक फिलिपिनो है और उन्होंने कई बार अलग रंग के यानी काले रंग के लोगों के प्रमोशन को देखा है । दूसरी और डैनियल को अपने काम करने की जगह पर अलग – अलग जाति के भेदभाव पर एक अलग ही एक्सपीरियंस और राय मिली है ।

उन्हें अपनी काबिलीयत साबित करने के लिए तरह – तरह के अजीब सवालों का सामना करना पड़ा है और उन्हें साथ काम करने वाले लोगों से ही उनकी जाति के बारे में की गई बातों का शिकार भी बनना पड़ा है ।

उन्होंने देखा कि कंपनी के टॉप ऑफिसर्स ज्यादातर गोरे रंग के हैं और काले रंग के लोगों की प्रमोशन पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया जाता । उनकी कहानी के दोनों भागों में जरूरत के हिसाब से पूरी जानकारी नहीं है । जबकि रैंडी और डैनियल के पास अपनी राय को सही साबित करने के लिए सबूत है , लेकिन वह सबूत काफी नहीं है और उसे लेकर एक अलग नजरिये की जरूरत है।

कई बार हम जो नतीजे निकालते हैं , वह हमारे खुद के मतलब के हिसाब से निकालते हैं । जैसा कि कहानी में है , हम उस राय को मानते हैं जो हमारे हिसाब से हमारे लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है । रैंडी को लगता है कि कंपनी अन्य जातियों के खिलाफ भेदभाव नहीं करती है क्योंकि वह गोरे है और यह आमतौर पर उनकी बात का सपोर्ट करता है क्योंकि उन्होंने खुद इसका सामना नहीं किया है ।

डैनियल ठीक इस बात से उलटी बात पर भरोसा करता है क्योंकि , उसने हमेशा भेदभाव सहा है और हमेशा यही देखा है कि खिलाफ भेदभाव करती है और जाती के बेसिस पर भेदभाव के बारे में बनी हुई राय का सपोर्ट करती है ।

इसलिए यह सलाह दी जाती है की सिर्फ अपनी खुद की बात को सही मानने के बजाए दूसरे लोगों की राय को जानने की भी इच्छा होनी चाहिये । बात के सभी भागो को जानने के बाद ही कोई भूमिका लेनी चाहिये । वैसे , यह जरूरी नहीं है की सभी के विचार सही होंगे । यह सीखना जरूरी है की किसी भी मामले को हाथ में लेकर कैसे सम्भाला जाए और उसके बाद तय करें की किसके विचार बेहतर या सही है ।

 

Don’t assume they meant it : Disentangle intent from impact(मेन आइडिया):-

कभी – कभी कुछ बातचीत से किसी को चोट या शर्मिंदगी हो सकती है , लेकिन यह जरूरी नहीं है कि असर और इरादे एक दूसरे के साथ मेल खाते हो या समान हों । इस बात की बहुत हद तक संभावना होती है कि लोग किसी बात का उन पर जो असर हुआ है उस से किसी के इरादों का अंदाजा लगाते हैं ।

यह शायद ही सही है , और इस बात पर विचार करने के आधार पर यह समझते हैं कि उस इंसान के इरादे खराब है । हम खुद के साथ ठीक इस बात से उलटा करते हैं । हम यह मानते हैं की हमारे इरादे सबसे अच्छे हैं । यह जानना भी जरूरी है की इरादे सिर्फ अच्छे ‘ या ‘ बुरे ‘ नहीं होते है , वो अच्छे और बुरे दोनों का मिक्सचर भी होते हैं ।

कहानी :

लॉरी और लियो दोनों दो साल से एक दूसरे के साथ है । वे दोनों एक पार्टी में थे । लॉरी दोबारा आईसक्रीम लेने जा रही थी तब लियो ने उसे और ज्यादा आईसक्रीम नहीं खाने के लिए कहा । बाद में शाम को , उन्होंने इस बात पर फिर से बातचीत की और लॉरी ने लियो को बताया कि उन्होंने लॉरी के साथ पार्टी में जैसा बरताव किया वह उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा ।

लॉरी ने लियो से कहा की उसे किसी पिता की तरह बरताव करने की कोई जरूरत नहीं है और ना ही उसे बताने की।कि वह क्या कर सकती है और क्या नहीं । अपने वजन को कंट्रोल में रखना लॉरी के लिए किसी स्ट्रगल से कम नहीं था और कोई उसे इस बारे में टोके तो उसे अच्छा नहीं लगता था । लियो ने उससे कहा की वह तो सिर्फ उसे उसके डाएट प्लान पर अड़े रहने में मदद कर रहा था ।

लॉरी को फिर भी लगता है की इसकी वजह से उसे लोगों के सामने शर्मिंदगी महसूस हुई थी । लियो आगे लॉरी को समझाता है की अगर वह लॉरी को ज्यादा खाने से ना रोके तो वह खुद ही आकर लियो से शिकायत करती है और खुद की इच्छा से वह छोटी – छोटी बातों पर बहस करती है । लियो ने लॉरी से जो कहा उस वजह से लॉरी को बहुत बुरा लगा था ।

उसका असर यह हुआ की लॉरी ने अपने आप ऐसा मान लिया की लियो के इरादे ही गलत थे , भले ही यह बात सही नहीं थी । लियो यह समझने के बजाय कि लॉरी अपने डाइट प्लान के साथ स्ट्रगल कर रही है और इसलिए खुद का बचाव करती है , लियो ने मान लिया कि वह जानबूझकर झगड़े करने के लिए ऐसा करती है । जिस तरह से लॉरी उससे बात करती है उसे ऐसा लगता है की उसके इरादे ही गलत थे ।

खुद का बचाव करना इंसान का स्वभाव है । यह जरूरी है कि हम दूसरों के मन को कैसा लग रहा है और उन्होंने जो कहा वह उन्होंने क्यों कहा इस बात को समझे और उनके इरादे ही गलत थे इसीलिए उन्होंने ऐसा कहा होगा इस विचार को अपने दिमाग पर हावी ना होने दें ।

यहाँ , भले ही दूसरे के शब्द दोनों को चोट पहुँचाते है , वे दूसरे इनसान की फीलिंग्स को ध्यान में रख कर सिचुएशन को समझने की कोशिश नहीं करते ।

उनकी खुद की फीलिंग्स उन्हें दूसरों के इरादे नापने – तोलने पर मजबूर करती है । किसी के इरादों पर विचार करना और उनके इरादे पूरी तरह साफ थे या नहीं यह बात देखना भी बहुत जरूरी है ।

भावनाओं को कंट्रोल में रखे या वे आपको अपने कंट्रोल में रखेंगी ।

(मेन आइडिया) :-


रिश्तों को सही और सुखी बनाए रखने के लिए अपनी भावनाओं को बताना बेशक जरूरी है । यह सिर्फ पॉजिटिव भावनाओं के बारे में नहीं है बल्कि कुछ निगेटिव भावनाएँ जैसे जलन , शर्मिंदगी , गुस्सा , निराशा के बारे में भी है ।

उतना ही जरूरी है इन्हें संभालना । अनकही भावनाएँ हमारी बॉडी लैंग्वेज , टोन या हावभाव का इस्तेमाल करते हुए किसी भी तरह बातचीत का रास्ता ढूंढ़ ही लेती है । अनकही भावनाएं हमें दूसरों की बात सुनने में भी नाकाम कर सकती है |

वह जो कह रहे हैं इस बात पर ध्यान देने की बजाय हम सिर्फ हमारे दिमाग में दबी हुई भावनाओं के बारे सोचते रहते हैं और उन्हीं पर ध्यान देते है । हम जो महसूस कर रहे हैं वह सिर्फ बताना जरूरी नहीं है।

बल्कि बताते समय हमें सहानुभूति और प्यार से बात करनी चाहिए । यह भी जरुरी है कि हम पहले अपनी भावनाओं को समझना होगा और जानना होगा कि हम जैसा महसूस कर रहे हैं वह क्यों कर रहे हैं , सिर्फ उसके बाद ही हमें अपनी भावनाएँ बतानी चाहिये ।

कहानी :


कैथी , एमा की एक दोस्त होने के साथ – साथ उसकी सलाहकार भी है । एमा को पता चलता है की कैथी ने एग्जीक्यूटिव टीम से कहा कि एमा प्रमोशन मिलने के काबिल और जिम्मेदार नहीं है । एमा को ऐसा महसूस होता है की कैथी ने उसका भरोसा तोडा है , उसके दिल को चोट पहुंचती है और वह उससे नाराज हो जाती है ।

एमा खुद की काबिलीयत पर शक करने लगती है और खुद से सवाल करने लगती है कि क्या सच में वह प्रमोशन पाने के लायक है या नहीं । बाद में , जो हुआ उस पर दोनों के बीच बातचीत होती है । एमा कैथी को बताती है कि उसने पहले क्या सुना था ।

कैथी कहती है कि उसने यह नहीं कहा कि एमा प्रमोशन नहीं देना चाहिए , बल्कि उसने यह कहा कि एमा का प्रमोशन काफी जल्दबाजी से हो रहा है । एमा कैथी को कहती है की अगर ऐसी बात थी तो कैथी ने पहले आकर उससे बात करनी चाहिए थी क्योंकि वह उसकी दोस्त है ।

वह कैथी को बताती है कि उसे लगता है कि कैथी ने उसके करियर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है । कैथी यह मानने से इनकार कर देती है और कहती है कि उसने हमेशा से ही एमा का साथ दिया है और वह ऐसा नहीं सोचती की एमा का प्रमोशन कभी ना हो , वह बस इतना चाहती है कि एमा का प्रमोशन सही समय पर हो ।

यहाँ एमा साफ तरीके से अपने दिल की बात नहीं कहती है । एमा कैथी को नहीं बताती है कि कैथी ने जो कहा उससे उसे बुरा लगा है या जो हुआ है उसकी वजह से उसके मन में खुद को लेकर कई सवाल पैदा हो गए थे ।

अपने इमोशन्स को दूसरों के सामने ना रख पाने की वजह से , आगे हम बातों की बजाए हाव – भाव को देख कर उससे जुड़ी गलतफहमियां पालने लगते है और उसके बेसिस पर फैसले करने लगते है । दूसरा इनसान आपकी बात समझ पाए इसके लिए यह जरूरी है कि आप अपनी बात शांति से और विनम्रता से उसके सामने रखें ।

एमा अगर कैथी को ये बताती थी कि उसे ऐसा महसूस हुआ कि कैथी ने उसका भरोसा तोड़ा है तो हो सकता था कि कैथी उसे अच्छी तरह समझ पाती और वो उस हिसाब से एमा से बात करती ।

अपनी भावनाएं ना बता पाने के कारण कैथी की सारी बातें सुनकर भी एमा उसे समझ नहीं पाई । इसीलिए healthy और करीबी रिश्ते रखने के लिए अपनी भावनाओं को समझना और उन्हें दूसरों के सामने कैसे रखा जाए ये सीखना बहुत जरुरी है ।

आपका क्या इरादा है ? उसे कब उठाना है और कब जाने देना है ।

मेन आयडिया :-

हम कई बार इस उलझन में होते है की क्या किसी बात को आगे रखकर उसका सामना करना चाहिये भी या नहीं । क्या बात करनी है और क्या नहीं इनमें फर्क करने वली कोई लकीर नहीं होती है । किसी को पहले से पता नहीं होता है कि मुद्दों को उठाने से हालात कैसे बदलेंगे । इस प्रकार लोग अपने अन्दाज़ के हिसाब से फैसले लेते हैं और ये तय करते है के कौन सी बात उठानी चाहिये और कौन सी नहीं । किसी भी मामले को आगे बढ़ाने से पहले या छोड़ देने से पहले हमें अपनी भावनाएं , हमें जो फिल हो रहा है और हमारे अनुभव , इनको समझकर , ‘ हमें क्या पता है और क्या नहीं ये सोचना चाहिये और फैसले लेने के लिए इनका इस्तेमाल करना चाहिए । हमें अपनी शांति के लिये कुछ नेगेटिव भावनाओं को छोड़ देना चाहिये । यह जानना भी जरूरी है कि हम लोगों को नहीं बदल सकते ।

कहानी :


एक आदमी ने डेविड के भाई को गोली मार दी । जिसने उसे मार डाला उस इंसान पर गुस्सा होने के साथ – साथ , जिस जगह वो हादसा हुआ था वहां अपने भाई के जाने के कारण वो अपने भाई से भी नाराज़ था । डेविड ट्रायल में शामिल नहीं हुआ । उसके मन में तरह -तरह के विचार और भावनाएं दौड़ रही थी । उसे लगा कि उसके भाई के साथ अन्याय हुआ है ।

उसका भाई उसे छोड़कर चला गया इस वजह से वह अपने भाई पर गुस्सा था । उसे इस बात का भी दुख हुआ की उसने अपने भाई को खो दिया था । मन ही मन में उसकी अपने भाई के साथ बातचीत चल रही थी और तभी उसने यह सब कहा था ।

आखिरकार , उसने अपने दिल में उन दोनों के लिए जो गुस्सा था उसे जाने दिया । जाने देने का मतलब यह नहीं था की उसे अपने भाई के लिए जो प्यार था या उसके चले जाने से जो दर्द उसे महसूस हुआ था , उसे भूल जाना था , बल्कि , जाने देने का मतलब यह था की अब उसने इस बात को मान लिया था की जो हो चुका है वह उसे बदल नहीं सकता ।

उसने उस नेगेटिव फीलिंग्स को जाने दिया जो उसके मन की शांति को बिगाड़ रही थी । उन्होंने मन ही मन में फिर से अपने भाई के साथ बातचीत की पर इस बार वे नाराज या सख्त नहीं थे । अब वह अपने नुकसान की भावना महसूस करते हैं , लेकिन किसी गुस्से या अन्याय कि नहीं । इससे पहले डेविड यह तय नहीं कर पा रहे थे के इस बात को उठाना सही है या नहीं ।

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उन्होंने पहले जो फैसला लिया था उसकी वजह से उन्होंने खुद की शांति को दांव पर लगा दिया था और जब उसे अपने भाई की याद आती थी और वह उससे मन ही मन बात करता था , तब ये सब उसके लिए और मुश्किल हो गया था । इसीलिए , बाद में उसने , इन बातों को जाने देने का सही फैसला किया।

जाने देने का मतलब यह नहीं है के उसके दिल में उसके भाई के लिए जो प्यार है उसे जाने देना था । उसका प्यार बना हुआ है और वह अभी उसे याद करता है । लेकिन उसने उन भावनाओं को जाने देने का फैसला किया , जिनका उस पर नेगेटिव असर हुआ था ।

डेविड समझ गया की हालात पर उसका कितना कंट्रोल है और कैसे वो अपने भाई को वापस नहीं ला सकता । उन्होंने अपनी भावनाओं को समझा , उस पर काम किया , और फिर किन बातों को उठाना है और किन बातों – भावनाओं को जाने देना है इस बात का फैसला किया ।

लर्निंग : लिसन फ्रॉम द इनसाइड आउट । मेन आइडिया :


सुनना एक खूबी है और ज्यादातर लोग ऐसा समझते हैं कि वह इसमें अच्छे हैं । सुनने की वजह से बातचीत बदल भी सकती है और गलत भी हो सकती है । जब हम , सामने वाला इंसान क्या बात कहना चाह रहा है यह समझने की और सुनने की कोशिश करते हैं , तब किसी कारण से , वो इंसान भी ऐसा ही करता है ।

सुनते समय पेशंस के साथ बैठने की और फिर एक बार आपने जो सुना है वही कहा गया है या नहीं इस बात की जांच करने की सलाह दी जाती है । अपने मन के अंदर जो सवाल उठ रहे हैं उनको दबाना भी जरूरी है , देखा जाए तो ऐसा करना आसान नहीं है ।

अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके दिमाग में चल रहे विचार या आपके दिमाग में बन रही राय को सुनना बहुत जरूरी है तो आपको इसे सामने वाले इंसान के सामने बहुत ही शांति और विनम्रता से रखना चाहिए । हमें और जानकारी के लिए पूछना चाहिए और हमेशा ज़्यादा जानने की इच्छा रहनी चाहिए ।

हमने कही हुई बात सच में सुनी है यह बात दिखानी चाहिये , ऐसी भी सलाह दी जाती है । ऐसा करने से वह आप पर भरोसा कर पाते हैं ।

कहानी :-


यह एक छोटी सी कहानी है जो हमें बताती है कि कैसे हम कई बार दूसरे लोगों के विचारों को गलत समझ लेते हैं और अपने मन में हम जो सोच रहे है उस हिसाब से अचानक फैसले कर लेते हैं ।

ऑड्रे की छह साल की छोटी बेटी , जॉसी ने , अपनी माँ को आधी रात में नींद से जगाया । वह डरी हुई थी क्योंकि उसने एक फिल्म देखी थी जिसमें एक कुत्ते की माँ उसके पिल्ले को छोड़ देती है । ऑड्रे ने सोचा कि जॉसी इसीलिए डरी हुई है क्योंकि उसे लगता है कि उसे भी इस तरह छोड़ दिया जाएगा , इसलिए वह जॉसी को बताती है की वह अपनी बेटी के साथ ऐसा कभी नहीं करेगी । लेकिन हकीकत में , जॉसी अपने पालतू कछुए के बारे में परेशान थी ।

उसने सोचा कि उसका पालतू कछुआ भी किसी की माँ होगी और उसके बच्चे को छोड़ दिया गया होगा । यहाँ , ऑड्रे अपने बेटी की बात ना सुनने की गलती करती हैं । वह मानती है कि वह पहले से ही जानती है कि उसकी बेटी के दिमाग में क्या चल रहा है और उसके हिसाब से उसका सामना करने की कोशिश करती है ।

उम्र में बड़े उम्र में बड़े लोग ज्यादातर यह गलती करते हैं । यह सच है कि लोग सोचते हैं कि वह पहले से ही जानते हैं कि दूसरा इंसान क्या सोच रहा है । किसी परेशानी का हल कितना ही साफ और आसान क्यों ना हो , यह जरूरी है कि हम सामने वाले इंसान की बात को शांति से सुने ।

ऑड्रे के मन के विचार उसकी बच्ची को सुनने की उसकी योग्यता पर हावी हो गए । वह अपनी बेटी के विचारों और उसके डर के बारे में जाने के लिए उत्सुक नहीं थी । उसने अपनी बेटी की बात सुने बिना ही खुद अपने मन से फैसला कर लिया कि वह अपनी बेटी को अच्छा महसूस कराने के लिए उससे क्या कहने वाली है ।

अगर ऑड्रे के दिल में अपनी बेटी की बात सुन लेने की जरा सी भी रुचि होती और वह अपनी बेटी से पूछना जरूरी समझती तो वो कभी जल्दबाजी में कोई गलत फैसला नहीं करती । अपनाया जाना हर इंसान की जरूरत होती है ।
हर कोई चाहता है कि उनकी बात सुनी जाए और उनकी बात को मान्य किया जाए । किसी की कही गई बात को ‘ अच्छे से सुनना ‘ ये एक ऐसी कला है जो हर किसी के पास होनी चाहिए ।

अपनी बात को साफ और दमदार तरीके से कहे ।

मेन आइडिया :-


अपनी बात कहना उतना ही जरूरी है जितना कि दूसरों को सुनना । ये जरूरी नहीं होता कि किसी ने एक बहुत अच्छा ‘ या ‘ बहुत मजाकिया ‘ स्पीकर होना चाहिए , जरूरी तो ये होता है कि हम जो फील कर रहे हैं वह बात हम साफ तरीके से बता पाएं और उसके बारे में एक्सप्लेनेशन दे पाएं । हमें दूसरों की तुलना में खुद को कम नहीं समझना चाहिए ।

यह समझना भी उतना ही जरूरी है कि हमारे विचार , राय और भावनाएं भी उतने ही कीमती हैं । हमारी बातें बेकार है या उनकी कोई कीमत नहीं है इस बात की फिक्र करें बिना हमें अपने दिल की बाते साफ तरीके से कहनी चाहिये । हमें अपने विचारो को सिर्फ फैक्ट्स के रुप में कहने की जरूरत नहीं है ।

यह जरूरी है कि हम उन्हें ऐसे रूप में रखें जिसकी वजह से वह अलग -अलग विचारों से जोड़े जाने के लिए और हमें अलग- अलग विचारो को मान्य करने के लिये भी खुले होने चाहिये ।

यह बताना भी जरूरी है कि आप अपने नतीजे पर कैसे पहुंचे है । और जब हम सुनते हैं , हमें उनके कहे गए शब्दों को दोबारा कहना चाहिए ताकि उन्हें ये महसूस हो कि हमें उनकी बात समझ में आ रही है । हमें दूसरों से कही गई बात को भी उनसे दोबारा कहलवाना चाहिए ताकि हमें यह पता चले कि उन्हें हमारी बात समझ में आई है या नहीं ।

कहानी :


चार्ली और गेज दोनों भाई है जो सालों से एक दूसरे से दूर पले – बढ़े हैं । गेज डिस्लेक्सिक है और डिस्लेक्सिक होने के कारण उसे शब्दों को कहने में और पढ़ने में कई सालों से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है । चार्ली अपने छोटे भाई की मदद करना चाहता है पर वो जो भी कहता है वह बेकार हो जाता है ।

चार्ली अपने भाई को गाइड करके उसकी मदद करने के लिए अपने एक्सपीरियंस का इस्तेमाल करता है और उसे डिबेट टीम में शामिल होने के लिए कहता है पर गेज अपनी खुद की insecurities के कारण उसे लगता है की उसे जज किया जा रहा है । उसके सभी भाइयों ने हाई स्कूल से ग्रेजुएशन किया है और उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली है । चार्ली बाद में अपने दिल की भावनाएं गेज को बताता है और कहता है कि वह मानता है की गेज बहुत मेहनत करता है।

और बचपन में उसके साथ जैसा बर्ताव करना चाहिये था वैसा ना करने के लिए चार्ली गेज से माफी मांगता है । इससे उनका रिश्ता बदल गया । गेज को लगातार यह बताने की जरूरत थी की उनकी मेहनत को अप्रिशियेट किया जाता है , पर जब चार्ली गेज को गाईड करने की कोशिश करते थे , तब गेज को लगता का की वह खुद चीज़ों को करने के काबिल नहीं है।

चार्ली ने अपनी भावनाओं को बताकर ना सिर्फ अपने रिश्तों को बेहतर बनाया , बल्कि गेज को सेल्फ- कॉन्फिडन्स बढ़ाने में भी मदद की । यह जरूरी नहीं था की चार्ली अपने भाई को अच्छा महसूस कराने के लिए बहुत अच्छे शब्दों का इस्तेमाल करें या चिकनी – चुपडी बाते करें या बहुत शानदार शब्दों का इस्तेमाल करें ।

उसे सिर्फ अपनी भावनाएं बताने की और गेज को ये महसूस करवाने की जरूरत थी कि वह जैसा है वैसा ही उसे एक्सेप्ट किया जाता है । अपने मन की सारी भावनाएं अपने भाई को बताकर उसने अपने भाई के साथ अपना रिश्ता अच्छा कर लिया ।

इससे यह पता चलता है कि केवल दूसरे इंसान की बात सुनना ही जरूरी नहीं होता , बल्कि खुले दिल से अपने मन की बात कहना और अपनी असली भावनाओं को दबा कर ना रखना भी जरूरी होता है ।

परेशानी हल करना : लीड कीजिए मेन आइडिया :-


रिफ्रेमिंग हमें बातचीत में लीड लेने के लिए मदद करता है । किसी इंसान ने अपनी बात समझाने के लिए जो कहा है उसे फिर से कहना , इसे ‘ रिफ्रेमिंग ‘ कहते हैं । यह , हमें उस इंसान की बातें मान्य है , ऐसा उसे महसूस कराने में हमारी मदद करता है ।

इसके साथ ही हमें उनकी बातें सुननी चाहिए और उनके शब्दों का हमारी भाषा में मतलब समझते हुए यह तय करना चाहिए कि इससे आगे की बातचीत किस तरह आगे बढ़ेगी ।

यह दोनों ट्रिक्स बातचीत को लीड करती है जिसके बाद परेशानियों को हल किया जा सकता है । यहाँ दोनों की तरफ से कॉम्प्रोमाईज या समझौता करने की जरूरत होती है और दोनों का एक ही बात पर सहमत होना भी उतना ही जरूरी है ।

सलाह मांगी जानी चाहिए और मुश्किलों को हल करने के लिये समय परेशानी नहीं बनना चाहिये । चीज़ों को धीरे – धीरे होने देना चाहिये ।

कहानी :-


लीड लेने के पीछे के विचार को समझने के लिए , यहाँ एक कहानी है । हरप्रीत और मोनिशा अलग – अलग विचारों वाले कपल है और यह दोनों के बीच हो रही बातचीत में देखा जा सकता है ।

हरप्रीत मोनिशा से पूछता है कि वह क्या सोचती है जब वह उसे बताता है कि वह उससे प्यार करता है । वह कहती है की “ वो भी उससे प्यार करती है ” ये कहने के लिये उसे मजबूरी महसूस होती है जिसकी वजह से वो ये कह नहीं पाती है । वो उससे कहती है कि वो जानता है कि वो उससे प्यार करती है ।

हरप्रीत को इस बात पर भरोसा नहीं होता है और वह उससे पूछता है कि उसे इस बात पर यकीन कैसे है कि उसे पता है । वह उसे बताती है कि वह उसके साथ है क्योंकि वह उसे प्यार करती है ।

मगर हरप्रीत के लिए इस बात की इतनी अहमियत नहीं थी क्योंकि उसने अपने माता – पिता की शादी देखी थी , और वे एक दूसरे से प्यार नहीं करते थे , फिर भी वे एक दूसरे के साथ रहते थे । मोनिशा का एक अलग अनुभव रहा है क्योंकि उसने अपने माता – पिता को हर समय प्यार का इजहार करते देखा है । इस वजह से उसे शर्म आती थी ।

उसे लगता है कि प्यार सिर्फ बातों से नहीं बल्कि हमारे एक्शन के जरिए भी दिखाया जा सकता है । वो उसे बताती है कि उसके लिए दिल में दया होना और उसके माँ की तबीयत खराब होने पर मोनिशा का उसके पास चले आना यह दिखाता है कि वह उससे कितना प्यार करती है ।

अलग – अलग विचार होने के बाद भी बाद भी उनके बीच बहुत अच्छे से बातचीत होती है । दोनों ने एक दूसरे की बात अच्छे से सुनी । हरप्रीत ने मोनिशा की बात सुनने के लिए बहुत उत्सुकता दिखाई । ऐसा करने से होने वाले झगड़े से बचा जा सकता है । उसने मोनिशा की बात को अच्छे से समझा और बातचीत को सही राह दी थी ।

कन्क्लूज़न:-


इस बुक में , आपने सीखा की , ” बातचीत को कैसे सुलझाया जाए और उनका सामना कैसे किया जाए ” । आपने सीखा की आप जो महसूस कर रहे हैं उन बातों को , ” कैसे बताया जाए ” और ” कब उन बातों को ना बताया जाए ” |

आपने , “ सुनने की जरूरत”  “ बात करने की जरूरत ” और ” बात कब करनी है इस बात का फैसला करने की जरूरत ” इसे सीखा । हमेशा यह मानने की कोशिश करें कि दूसरे इंसान को बातचीत करने के तरीकों का पूरी तरह से पता नहीं है और इस तरह आप बातचीत को सही रास्ता दिखाया करें ।

आपने , दूसरे की बात को सुना गया है और उनकी बातों को मान्य किया गया है , ऐसा उन्हें महसूस करवाना कितना जरूरी है यह भी सीखा । हमेशा दूसरे इंसान की बात को सुनें , उनकी बात सुने बिना ही कोई फैसला ना करें ।

दूसरों की बात को समझा गया है यह बात उन्हें बताना इतना जरूरी क्यों है , यह आपने सीखा । आप यह समझ चुके हैं कि अपनी खुद की राय को कम या गलत नहीं समझना चाहिए और आपको जो सही लगता है उस बात पर भरोसा करना चाहिये ।

इस बुक में आपने , शांति से मुश्किल और ना टाले जाने वाली बातचीत को कैसे किया जाए और छोटी – मोटी बहस से कैसे बचा जाए यह सीखा । आपने आपके मन के विचारों को काबू में करना सीखा । आपने यह भी सीखा कि आप उन विचारों को इस रुप में कैसे बदले की जिससे वह आपको सामने वाले इंसान की नजरों में भरोसे के लायक बना सके ।

सही राह में जाने के लिए अगर आपको सही दिशा मिले तो डरिए मत । हमेशा याद रखें की , पहले परेशानी को सुनें , फिर फैसला करें और उसके बाद उसका हल निकाले । अपने रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए खुद पर भरोसा रखें और दूसरों को भी समझे और फिर देखिए कि बाकी सब कैसे अपने आप ठीक होता है ।

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