100 Ways to Motivate Others Book Summary In Hindi

परिचय

आप दूसरों को कैसे मोटिवेट करते है ? एक अच्छे मैं नेचर की क्या खूबी होती है ? दूसरों को सेल्फ डिसप्लीन और responsibility कैसे सिखाई जा सकती है ? अगर आप एक मैनेजर है तो कैसे अपनी टीम में सहयोग और एकता को बढ़ावा देंगे ? क्या आप जानना चाहते हैं कि एक अच्छा लिस्नर और एक ग्रेट गिवर कैसे बनें ? इस तरह के कुछ सवाल है जिनके जवाब आपको इस किताब में पढने को मिलेंगे . आप भी एक ग्रेट लीडर बन सकते है . आप चाहे तो आप भी एक बेस्ट मैनेजर बन सकते हो जो आपको ये बुक सिखा सकती है।

100 Ways to Motivate Others Book Summary In Hindi
100 Ways to Motivate Others Book Summary In Hindi

Know where motivation comes from

एक बार एक मैनेजर स्टीव चैंडलर के सेमीनार में कुछ जल्दी ही आ गया था . उसने हरे रंग की पोलो शर्ट और सफेद ट्राउजर पहने थे . उसे देखकर लगता था कि वो गोल्फ खेलने जा रहा है . मैनेजर जल्दी से स्टीव के पास पहुंचा और बोला ” देखिए इस सेमिनार की जरूरत नहीं है और मैं अटेंड करने वाला नहीं हूँ ” . इस पर स्टीव ने उसे कहा ” कोई बात नहीं , लेकिन आप ये बताने के लिए कुछ ज्यादा ही जल्दी आ गए ? कुछ तो बात है जो आप जानना चाहते है ? “

” वेल , हाँ बात तो है ” , मैनेजर बोला . मैं बस ये जानना चाहता हूँ कि अपनी सेल्स टीम को कैसे इम्प्रूव करूँ . तो बताइए कैसे अपनी टीम को मैनेज करूँ ? ‘ “ आप बस यही जानने आए है ? ‘ स्टीव ने पूछा ” हां , बस यही जानना था ” उसने जवाब दिया . “ वेल , अभी काफी वक्त है , आप आराम से गोल्फ खेलने भी जा सकते है ” मैनेजर गौर से स्टीव की बात सुनता रहा . वो इंतज़ार कर रहा था कि स्टीव उसे टीम मैनेजमेंट पर कुछ टिप्स वगैरह देंगे . लेकिन जब स्टीव ने कहा ” तुम नहीं कर सकते ” तो वो हैरानी से बोला ” क्या ? स्टीव ने बात जारी रखते हुए कहा ” जी हाँ , आप किसी को मैनेज नहीं कर सकते और अब आप जा सकते हो ” “ आप क्या बोल रहे है ? मैनेजर बोला ” मुझे लगा आप ये सेमीनार लोगों को मोटिवेट करने के लिए रखी गई है . लेकिन आप तो मुझे डीमोटिवेट कर रहे है ?

स्टीव बोले “ जो पहली चीज़ हम मैनेजर्स को सिखाते है वो ये कि अपनी टीम को आप डायरेक्टली कण्ट्रोल नहीं कर सकते . आपकी टीम को मोटिवेशन आप से नहीं बल्कि खुद उनके अंदर से मिलेगी ? ” हम मैं नेजर्स को सिखाते है कि उन्हें अपनी टीम को मोटिवेट होने के मौके देने है . यह सीक्रेट है जिसके बारे में हम इस सेमिनार में बात करने जा रहे है।

” मैनेजर ने बड़े ध्यान से सारी बाते सुनी . वो जाकर फ्रंट रो में बैठ गया और पूरा सेमिनार अटेंड किया . वो अपनी पूरी जिंदगी दूसरों का बिहेवियर कण्ट्रोल करने की कोशिश करता रहा था , चाहे घर हो या दफ्तर और इस वजह से वो हमेशा निराश रहता था . मैनजर ने फाइनली ये सीख लिया था कि मोटिवेशन बाहर से नहीं मिलती बल्कि हमे अपने अंदर से मिलती है।

Teach Self – Discipline

कई लोग सोचते है कि सेल्फ डिसप्लीन इन्सान को पैदाईशी तौर पर मिलती है या फिर जेनेटिक होती है . कुछ लोगों काफी सेल्फ डिसप्लींड होते है जबकि कुछ लोग बिल्कुल नहीं होते . लेकिन ये एक मिथ यानी गलतफहमी है . सच । ये है कि सेल्फ डिसप्लीन सीखा जा सकता है।

हम रोज़ इसकी प्रेक्टिस करके इसे डेवलप कर सकते है . सेल्फ डिसप्लीन कोई नई लेंगुएज़ सीखने जैसा है . यानी जितना आप प्रेक्टिस करोगे उतना ही बैटर रिजल्ट मिलेगा . मान लो आपको स्पेन जाना पड़ा और वहां आपको एक साल के लिए फील्ड वर्क का काम मिला है . तो ज़ाहिर है आपको लोकल लोगों से बात करने के कई मौके मिलेंगे और जितना आप स्पेनिश बोलोगे उतना ही इस लेंगुएज़ पर आपकी पकड़ मजबूत होगी। आप चाहे तो एक इंग्लिश टू स्पेनिश डिक्शनरी साथ रख सकते है।

साथ ही आपको ज्यादा से ज्यादा फ्रजेज़ यूज़ करने चाहिए . आप लोगों से डायरेक्शन पूछ – पूछ कर शहर में घूम सकते है . तो आपने देखा , कोई न्यू लेंगुएज सीखने के लिए पैदाईशी स्पेशल लेंगुएज स्किल का होना जरूरी नहीं है . ठीक यही चीज़ सेल्फ डिसप्लीन के साथ भी है . आप खुद को ट्रेन कर सकते है . रोजाना अपनी लाइफ में सेल्फ डिसप्लीन की प्रेक्टिस कीजिये , फिर धीरे – धीरे ये आपकी हैबिट में शुमार हो जाएगा . एक सेल्स मैं नेजर ये नहीं कह सकता है कि ” जॉन एक टॉप सेल्समेन बन सकता था पर उसमे सेल्फ डिसप्लीन की कमी है ” . लेकिन ये सच नहीं है . सेल्फ डिसप्लीन डेवलप की जा सकती है इसलिए अपने टीम मेंबर्स को एनकरेज करे कि वो अपने अदंर सेल्फ डिसप्लीन लेकर आये . आप अपने टीम मेंबर्स को बताए कि उनमे वो सारी खूबियाँ है जो उन्हें सक्सेसफुल बना सकती है।

अपनी टेंशन्स , इन्सिक्योरिटीज़ से बाहर निकले और और बहाने बनाने की आदत छोड़ दे . एक अच्छा मैंनेजर वही है जो मानता है कि अगर उसकी टीम के अंदर सेल्फ डिसप्लीन है तभी उन्हें सक्सेस मिल सकती है . इसलिए सेल्फ डिसप्लीन की प्रेक्टिस करना जरूरी है जैसे हम नई लेंगुएज़ सीखते वक्त करते है।

Tune In Before You Turn On

अगर आप चाहते है कि लोग आपकी बात सुने तो पहले आपको दूसरों की बात सुनने की आदत डालनी होगी . यानी दूसरे शब्दों में कहे तो अगर आप अपनी टीम की बात नहीं सुनेंगे तो वो भी आपकी बात नहीं सुनना चाहेंगे . उन्हें एहसास दिलाइए कि आप एक ही वेललेंग्थ में है और उनकी फीलिंग्स समझते है . एक बार स्टीव के पास एक कंपनी के सीईओ अपनी प्रॉब्लम लेकर आये . उसका नाम था लांस और वो फाइनेंशियल सर्विस बिजनेस में था . लांस के अंडर में चार औरतें बड़े अकाउंट टीम में काम कर रही थी।

लेकिन समस्या ये थी कि वो औरतें लांस पर भरोसा नहीं करती थी . वो औरतें मीटिंग अटेंड करने से कतराती थी क्योंकि लांस हमेशा उनकी गलतियों को पॉइंट आउट करते थे . लांस ने स्टीव से पूछा कि इस कम्यूनिकेशन प्रॉब्लम को सोल्व करने का क्या तरीका है ? स्टीव ने कहा ” उन सबसे वन टू वन बात करो , सबके साथ एक घंटे की मीटिंग रखो ” ” लेकिन मैं उनसे कहूं क्या ? सीईओ ने पुछा ” कुछ नहीं , सिर्फ उनकी बात सुनो ” स्टीव बोले . “ और मेरा एजेंडा क्या होगा ? ‘ स्टीव ने कहा ” कोई एजेंडा नहीं है . उनसे सिर्फ ये सवाल पूछना ” लाइफ कैसी चल रही है ? इस कंपनी में काम करके कैसा लग रहा है ? आप क्या बदलाव चाहती है ?

एक टीम मेंबर के तौर पर आप एकदम कमज़ोर लीडर है . इस केस में आप अपने टीम मेंबर्स के साथ बोन्डिंग तो कर लेते है पर इससे ट्रस्ट प्रॉब्लम क्रिएट होती है और ऑर्गेनाईजेशन के अंदर एक डिसरिस्पेक्ट का माहौल भी बनता है . आप शायद अपनी आँखे नचाते हुए कुछ इस तरह के कमेन्ट देते होंगे ” मुझे समझ नहीं आ रहा ये लोग ऐसा क्यों कर रहे है . ये लोग आपकी प्रॉब्लम कभी नहीं समझ पायेंगे ” और आप बार – बार अपर मैं नेजमेंट के लिए ” ये लोग ” वर्ड यूज़ करते है , यानी ये शो करते है कि एक टीम मैनेजर के तौर पर आप और आपकी टीम विक्टिम है और अपर मैनेजमेंट के अत्याचारों का शिकार बन है . पर ये अप्रोच एकदम गलत है , एक अच्छा लीडर अपर मैनेजमेंट को रीप्रेजेंट करता है , वो अपनी टीम को भरोसा दिलाता है कि उनकी समस्याएं सुनी जायेंगी और उन्हें दूर करने का प्रयास किया जायेगा।

दरअसल एक मैं नेजर अपर मैं नेजमेंट और टीम के बीच एक ब्रिज़ की तरह काम करता है . इसके अलावा एक अच्छा लीडर कभी सीनियर्स को कभी भी ” ये लोग या वो लोग ” कहके एड्रेस नहीं करेगा बल्कि वो हम वर्ड का यूज़ करेगा . ” हम ” वर्ड का मतलब है कोलाब्रेशन और यूनिटी . इसमें अपर मैनेजमेंट और बाकि टीम भी शामिल है . खुद को हम कहकर बोलने से आप टीम के अंदर कांफिडेंस और ट्रस्ट की फीलिंग को मजबूत करते है और साथ ही टीम को एहसास दिलाते है कि वो ऑर्गेनाईजेशन का एक बेहद इम्पोर्टेट पार्ट है जिनके बिना कंपनी का काम नहीं चल सकता . आप इन टिप्स को अप्लाई करके देखिए , आपके टीम मेंबर्स अपने काम में और भी ज्यादा मोटिवेटेड और लॉयल बनेंगे।

Do the One Thing

एक काम करने का मतलब है कि एक वक्त में उसी काम पर फोकस करो जो आपके सामने है . चाहे आपको कितने ही प्रोजेक्ट्स क्यों ना मिले हो , एक वक्त में एक ही चीज़ पर फोकस करो , वरना ऐसा ना हो कि मल्टी टास्किंग के चक्कर में आपके काम अधूरे रह जाए या बिगड़ जाए . जैसे कोई फोन कॉल लेते वक्त पूरे ध्यान से कॉल करने वाले की बात सुनो . अपना मूड अच्छा रखो ताकि सामने वाले को भी पॉजिटिव वाइब्स मिले . कभी कोई उलझन या कशमकश की स्थिति आये तो उस प्रॉब्लम के हर पहलू पर गौर करो।

अक्सर वर्कप्लेस में स्ट्रेस का रीजन होता है कि हम बेकार में ही कई सारी चीजों की टेंशन लेते है , हम अपने माइंड में ऐसी इमेजीनरी प्रॉब्लम क्रिएट कर लेते है जो असल में होती ही नहीं है . लेकिन माइंड सब कुछ अपने आप नहीं कर सकता , आज से ही स्टार्ट करो , एक चीज़ चूज़ करो जिस पर आप अभी फोकस करना चाहते हो . पेपर वर्क करते वक्त दिमाग को एक जगह रखो और वही करो जो आँखों के सामने है . जेसन एक नेशनल सेल्स मैनेजर है . उसकी अभी – अभी अपनी टीम के साथ में एक लंबी वीडियो कांफ्रेंस खत्म हुई है . जेसन ने अपनी टीम को ज्यादा से ज्यादा नंबर अचीव करने को बोला और उन्हें वार्न भी किया कि वो अपने गोल से काफी पीछे चल रहे है।

जैसन ने ही ये मीटिंग बुलाई थी क्योंकि उसके सीनियर्स उससे उसकी टीम की कमज़ोर परफोर्मेंस के पीछे की वजह जानना चाहते है . दिन के 12 घंटे काम पर देने के बावजूद प्रॉब्लम जहाँ की तहां है , उसके सुपीरीयर्स ने अपनी टेंशन उसे पास कर दी और जैसन वही टेंशन अपनी टीम को पास कर रहा है . इसे हम मोटिवेशन नहीं बोल सकते , एक लीडर शांत रहकर सबके व्यूज़ और प्रॉब्लम को सुनता है . इसलिए एक टाइम में एक ही काम करो . इससे आपका माइंड शांत रहेगा . आपको अपने एम्प्लोईज़ के सामने एक अच्छा एक्जाम्पल सेट करना है।

Keep Giving Feedback

लोग फीडबैक चाहते है , अगर आप किसी 3 साल के बच्चे को भी इन्नोर करोगे तो वो एक पॉजिटिव वे में आपकी अटेंशन ग्रेब करने की कोशिश करेगा . लेकिन आप अगर लगातार उसे इग्नोर करते रहोगे तो वो शायद गुस्सा हो जाए , आप पर चिल्लाने लगे या चीज़े उठाकर दे मारे . क्योकि हर कोई चाहता है कि उसकी बात सुनी जाए . नो फीडबैक से तो अच्छा है कम से कम नेगेटिव फीडबैक मिल जाये . यही बात बडो पर भी लागू होती है . सबसे बुरी सजा है सोलीटेरी क्न्फाईनमेंट यानी एक ऐसे कमरे में बंद किये जाना जहाँ एक खिड़की तक नहीं है।

जो लोग ऐसी जगह में कैद होते है , कुछ नहीं कर पाते . फिर ऐसी सिचुएशन से बचने के लिए वो अपने व्यवहार में सुधार लाते है . अच्छा बर्ताव करने की कोशिश करते है . अगर किसी को एकदम अधेरी कोठरी में बंद किया जाये तो वो थोड़ी देर बार दिमागी कल्पनाएँ करने लगता है , उसे कई तरह के वहम होने लगते है , उसके मन में बैठे डर कई रूपों में उसके सामने आने लगते है , हालाँकि ये सच नहीं होता पर इन्सान का दिमाग उसे बुरे से बुरा सोचने पर मजबूर कर देता है . उनका माइंड खुद का ही फीडबैक क्रिएट कर रहा होता है , और कई बार एब्सेंस ऑफ़ फीडबैक इन्सान को पागल तक कर सकता है।

मान लो कोई कपल है जो शाम की पार्टी में जाने के लिए तैयार हो रहा है , वाइफ तैयार होकर हजबैंड से पूछती है ” ये ड्रेस मुझ पर कैसी लग रही है ? और हजबैंड जवाब में कहता है ” अच्छी है , चलो चलते है ” इस पर वाइफ कहती है ” मुझे पता है , मैं इसमें अच्छी नहीं लग रही , पर मेरे पास पहनने के लिए कुछ और नहीं है ” इस बातचीत में हजबैंड ने ड्रेस के बारे में कुछ भी कमेंट नहीं किया है लेकिन फिर भी वाइफ ने इसे एक नेगेटिव फीडबैक की तरह ले लिया . फीडबैक ज़रूरी है , ख़ासकर एक प्रोडक्टिव टीम बिल्ड करते वक्त तो ये और भी जरूरी हो जाता है . जो मैनेजर्स फीडबैक नहीं देते उनकी टीम में मोटिवेशन की कमी वाले और लो परफोर्मिंग वर्कर्स होते हैं।

इमेजिन कीजिये टीम आपसे पूछ रही है ” हमारी परफोर्मेंस कैसी है ? और मैनेजर बोलता है ” वेल , मुझे नहीं पता , मैंने रिपोर्ट नहीं देखी है , मुझे लगता है इस महीने हम अच्छा कर रहे है और बाकि मैं कुछ कह नहीं सकता ” क्या आपको लगता है टीम मेंबर्स ऐसे मैनेजर से मोटिवेट होंगे ? लोगों को इम्प्रूवमेंट के लिए फीडबैक चाहिए और वो भी टाइम से , साथ ही सोच – समझ कर फीडबैक दे।

आपकी फीडबैक लोगों को एनकरेज करने वाली हो . एक मैनेजर होने के नाते रिजल्ट का ट्रैक रखे और एक्सप्लेन करे कि क्यों ये आपके मेंबर्स के लिए इम्पोर्टेट है . क्योंकि आप अपनी टीम के लिए एक कोच या पेरेंट की तरह है जो उन्हें गाईड और इंस्पायर करने के लिए हमेशा उनके साथ रहेंगे।

Get Input From Your People

एक अच्छा लीडर अपने टीम मेंबर्स से इनपुट लेता रहता है . ये प्रेक्टिस ना सिर्फ कंपनी के लिए फायदेमंद है बल्कि एम्प्लोईज को मोटिवेट भी करती है . एक अच्छा लीडर कुछ इस तरह के सवाल अपनी टीम से करेगा ” हम अपनी कस्टमर सर्विस इम्प्रूव करने के लिए और क्या – क्या करे ? आपका इस बारे में क्या ख्याल है ? अपनी टीम से इस तरह सवाल पूछकर आप उन्हें मोटिवेट करते है . अब इसे किसी मीडियोकर यानि आम मैनेजर से तुलना कीजिये जो कुछ इस तरह कहेगा ” कैसे हो ? क्या चल रहा है ? क्या हाल है आपके डिपार्टमेंट का ? क्या आप लोग मेंटेन कर पा रहे हो ? इसी तरह लगे रहे ? मैं बस यहाँ से गुज़र रहा था तो सोचा चेक कर लूं ?

ज्यादा टेंशन मत लो , आपके लिए ये मुश्किल नहीं होगा क्योंकि आप अपना काम जानते हैं . ” अब ज़ाहिर है ऐसे मैनेजर होंगे तो टीम की परफोर्मेंस भी कुछ ख़ास नहीं होगी . ऐसे मैनेजर कभी प्रॉब्लम की जड़ तक नहीं पहुंच पाते . सच तो ये है कि इस तरह के सवाल पूछकर आप एक मैं नेजर के तौर पर अपने एम्प्लोईज़ की परफोर्मेंस अफेक्ट कर रहे है . एक ग्रेट लीडर के सवाल कुछ अलग होते है . वो ऐसे सवाल करेगा जिससे एम्प्लोईज़ को ग्रेट आईडिया आये . जैसे एक्जाम्पल के लिए ” हम अपने बाईंग एक्सपिरियेस अपने कॉम्पटीटर्स से डिफरेंट कैसे रखे?

अपने एम्प्लोईज़ को अपने कस्टमर्स के साथ एक फ्रेंडली रिलेशन बनाने में हम कैसे उनकी हेल्प करे ? हम ज्यादा से ज्यादा कस्टमर्स को attract करने के लिए क्या करे ? कोई एम्प्लोई अगर कस्टमर का नाम याद रखे तो उसे कैसे रिवॉर्ड करना है ? कैसे हम अपने एम्प्लोईज को और ज्यादा मोटिवेट करे कि वो हमारे स्टोर की सक्सेस में अपना controbution दे सके ? आप लोगों का इस बारे में क्या ख्याल है ? प्लीज़ शेयर योर आईडियाज़ ” अच्छे सवाल पूछने का मतलब है कि आप अपने टीम मेंबर्स के आईडियाज को वैल्यू देते है , इससे उनकी हौसलाअफजाई होती है और वो आपके पास बैटर आईडियाज और सोल्यूशन लेकर आते है साथ ही उन्हें ये भी लगने लगता है कि कंपनी उनकी बात पर ध्यान दे रही है।

Accelerate Change

एक मैनेजर होने के नाते आपका काम है अपनी टीम को हर चेंजिंग सिचुएशन में चीयरफुल और ऑप्टीमिस्टिक बनाये रखना . उन्हें किसी भी बदलाव के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी आपकी है . पर होता क्या है कि ज़्यादातर मैनेजर्स इसे अपनी जॉब का पार्ट नहीं समझते . वो मानते है कि ये काम उनका नहीं है , क्योंकि वो कोई प्रॉब्लम सोल्वर , फायर फाईटर या बेबी सिटर नहीं है . तो होता क्या है ऐसे लोगों की टीम में ही सबसे ज्यादा प्रोब्लम्स , फायर्स और क्राइंग बेबीज़ होते है ।

बदलाव के वक्त ही टीम की सारी कमजोरी उभर कर आती है . इसलिए आपको उन्हें पहले से तैयार करना होगा . जिसे हम ” चेंज साइकिल ” भी कहते है जिससे एम्प्लोईज़ को गुजरना पड़ता है , और ये स्वाभाविक भी है . इसमें चार स्टेजेस होती है और लोगों के कुछ ऐसे रिएक्शन होते हैं :

पहला है ऑब्जेक्शन : ” ये अच्छा नहीं होगा ” . दूसरा है reduced consciousness ” मैं ये सच में नहीं करना चाहता ” तीसरा है एक्सप्लोरेशन ” इस बदलाव से मुझे क्या फायदा होने वाला है ” ? और चौथा है Buy – in ” मुझे समझ आ गया है कि इससे मुझे और मेरी टीम को क्या फायदा होगा ” पर कई बार पहले से तीसरे स्टेज में लोगों को काफी टाइम लग जाता है . वो किसी भी तरह के बदलाव को स्वीकार करने से डरते है इसलिए विरोध करते है , ये एक नैचुरल रिएक्शन है . हम सब शावर लेने से डरते है पर एक बार शावर के नीचे आ गए तो बाहर आना अच्छा नहीं लगता।

एक ग्रेट लीडर अपने अंडर काम करने वालो को फोर्स नहीं करता बल्कि गाईड करता है . वो समझता है कि चेंज साइकल एक नैचुरल चीज़ है इसलिए वो टीम को स्टऔर अपनी बात को काफी पॉजिटिव तरीके से पेश करेगा . अब क्योंकि वो खुद अंदर से बदलाव के लिए तैयार है तो एक तरह से वो चेंज का स्पोकपर्सन बनकर बोलेगा . प्रॉब्लम ये है कि ज्यादातर मैनेजर ऐसा नहीं करते . यहाँ तक कि वो खुद बदलाव का विरोध करते नजर आते है।

अपनी टीम को एनकरेज करने के बजाये वो उनसे हमदर्दी जताते हुए ये कहते है कि अभी इस बदलाव की जरूरत ही क्या है ? इससे क्या फायदा होगा ? ये बेकार का सिरदर्द है , वगैरह – वगैरह . लेकिन उनकी ये अप्रोच सरासर गलत है और ऑर्गेनाईजेशन को नुकसान पहुंचा सकती है . इंटरनल चेज कंपनी की इफेक्टिवनेस को इम्प्रूव करने के लिए लाये जाते है . इसे ऑर्गेनाईजेशन मजबूत होती है . इसलिए एक अच्छे मैं नेजर को चाहिए कि वो अपनी टीम को इंफ्लुएंस करके उन्हें चेंज स्वीकार करने के लिए तैयार करे ताकि टीम समझ सके कि चेंज से उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि ये उनकी ही भलाई के लिए है।

Know Your Owners and Victims

आपकी टीम में दो टाइप के लोग होते है . एक ओनर्स और दूसरे विक्टिम . ओनर्स वो लोग होते है जो अपनी खुशियों के खुद जिम्मेदार होते है जबकि विक्टिम वो लोग होते है जो ह्येशा शिकायतों का पुलिंदा लेकर घुमते हैं , उनके पास सुनाने के लिए सिर्फ दुःख भरी कहानियां होती है , वो या तो दूसरों को ब्लेम करते है या सिचुएशन को ब्लेम करते है . कुल मिलाकर ऐसे लोगों को हैंडल करना बड़ा मुश्किल होता है . एक सेमीनार में स्टीव एक सीईओ से मिले जिसका नाम मार्कस था , वो उनके पास एडवाईस लेने आया था . मार्कस ने उन्हें बताया ” मेरी टीम में सारे विक्टिम हैं , उन्हें मैं कैसे हैंडल करूं और उनकी विक्टिम टेंडेंसी से उन्हें कैसे बताऊँ ?

इस पर स्टीव ने उनसे कहा ” कुछ और ट्राई कीजिए , जब वो विक्टिम कार्ड ना खेल रहे हो तो उस वक्त आप उनके सामने बेहद खुश रहे , उन्हें ईशारों में समझाए कि जब वो शिकायत करने के बजाये खुद ही प्रॉब्लम का सोल्यूशन ढूंढ लेते है तो आपको कितनी ख़ुशी होती है . उनके ओनरशिप एक्श्न पॉइंट आउट कीजिये . जब वो responsible और प्रोएक्टिव बनते है तो उनकी तारीफ कीजिए . इस पर मार्कस ने कहा ” वैसे मेरी टीम में ओनर्स भी है . तो मैं उन्हें अलग तरह से ट्रीट कैसे करूं ?

” स्टीव ने कहा ” अपनी टीम के ओनर्स के साथ आपको किसी टेक्नीक की जरूरत नहीं है . बस उन्हें एप्रीशिएट करते रहिए। लेकिन विक्टिम के साथ आपको काफी सब्र से काम लेना होगा , बेशक आप उनकी फीलिंग्स को समझते है पर उन्हें हमेशा एक विक्टिम की तरह बिहेव करने से रोके . उन्हें उनकी पोटेंशियल्स याद दिलाये और चीजों को दूसरे पॉइंट ऑफ़ व्यू से देखने के लिए एनकरेज करे ” . ” क्या मैं आपको इनवाईट कर सकता हूँ कि आप आकर मेरी टीम के लिए ओनरशिप पर एक सेमीनार रखे ? मार्कस ने कहा “ एक मैनेजर के तौर पर एंड ऑफ़ द डे आपको अपनी टीम को हर रोज़ गाईड करना पड़ेगा।

ऐसा कोई मैं जिक फ़ॉर्मूला नहीं है जो विक्टिम को ओनर्स में बदल दे . सिर्फ वही लोग सक्सेसफुल मैं नेजर् बनते है जो अपनी टीम को एक responsible और मोटिवेटेड लोगों की टीम बनाने के लिए कमिटेड होते है , जबकि जो लीडर्स अपनी टीम के साथ मेहनत नहीं करना चाहते , बुरी तरह से फेल होते है . ऐसी तीन चीज़े है जो आप अपनी टीम में ओनरशिप एनकरेज करने के लिए कर सकते है . पहला है रिवॉर्ड , जब आप टीम में किसी को ओनरशिप लेते देखे तो उन्हें इनाम दें . दूसरा है खुद एक ओनर बने . और तीसरा है अपनी टीम की परफोर्मेंस और मोरल ज़िम्मेदारी अपने कंधो पर ले।

Tell the Truth Quickly

सभी ग्रेट लीडर्स में एक कॉमन हैबिट होती है , वो दूसरे मैनेजर्स के मुकाबले सच्चाई जल्दी बता देते है . ट्रेनिंग सेशन के दौरान अक्सर लोग स्टीव को अपनी लिमिटेशन के बारे में बताया करते थे तो वो ध्यान से उनकी बात सुनते और उन्हें रिएलाईज़ कराने की कोशिश करते कि उनकी असल में कोई लिमिटेशन है ही नहीं . पर लोगों को यकीन नहीं आता था , उन्हें लगता था कि उनके अंदर कुछ लिमिटेशन है जो उनकी पोटेंशियल को रोक रही है।

एक दिन स्टीव एक सेल्स पर्सन के साथ वन ओन वन कोचिंग सेशन में थे . सेल्समेन अपनी लिमिटेशन के बारे में बता रहा था कि तभी स्टीव ने उसे बीच में टोका ” तुम्हें पता है , तुम मुझसे साफ झूठ बोल रहे हो ” ” क्या ? ” सेल्समेन को कुछ समझ नहीं आया कि स्टीव क्या कहना चाहता है . स्टीव ने उसे समझाया ” तुम सरासर झूठ बोल रहे हो , ये मत बोलो कि ‘ तुम कुछ नहीं कर सकते क्योंकि तुम बहुत कुछ कर सकते हो।

तो इस सच को तुम जितनी जल्दी एक्स्पेट करोगे उतनी जल्दी तुम्हें सफलता मिलेगी ” . सेल्समेन हैरानी स्टीव का मुंह देखता रह गया , बात कड़वी जरूर थी पर सच थी . स्टीव लोगों की ये लिमिटेशन वाली कहानी सुन – सुनकर पक गए थे जबकि ये एकदम झूठ था . स्टीव कहते है ” लिमिटेशन नाम की कोई चीज़ नहीं होती “।

स्टीव को लगा सेल्समेन शायद बुरा मान गया है कि स्टीव ने उसे झूठा बोला . लेकिन सेल्समेन ने जरा भी बुरा नहीं माना बल्कि वो मुस्कुराता हुए वापस अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गया और बोला ” आपको पता है स्टीव , आपकी बात एकदम सही है 14 ” वाकई ? ” स्टीव बोले ” हां , आपकी बात सही है , मैं चाहूँ तो बहुत कुछ कर सकता हूँ ” तो देखा आपने ! आप भी शायद अपने ऑफिस या बिजनेस में रोज़ यही झूठ सुनते होंगे , इसका एक और वर्ज़न है ” मैं मज़बूर और कमजोर हूँ , मैं कर ही क्या कर सकता हूँ ” अब अगर कोई सेल्समेन खुद से रोज़ सुबह उठकर ये कहे कि ” अगर मैं खुद को ही कोच करूं तो मैं खुद को क्या एडवाईस देता ? मेरे किस एक्शन से मुझे सबसे ज्यादा फायदा पहुंचेगा ? अगर मैं अपने कस्टमर की जगह होता तो मेरी खुद से क्या एक्स्पेक्टेशन होती ?

तो इसका जवाब है गिव . एक मोस्ट सक्सेसफुल सेल्सपर्सन बल्कि एक मोस्ट सक्सेसफुल इन्सान वही है जो एक ग्रेट गिवर है . जो सिर्फ देना और देना जानता है , जिसके लिए क्लाइंट्स नीड्स ही सबसे बढ़कर वही एक सक्सेसफुल सेल्सपर्सन बन सकता है . लेकिन देने के लिए हमारे पास है क्या ? कुछ भी हो सकता है , कोई हेल्पफुल इन्फोर्मेशन , सिंसियर एकनॉलेजमेंट , चीयरफुल फ्रेंडली मुलाक़ात या किसी को सर्विस ऑफर करना यानी वो हर चीज़ जिससे किसी का भला हो।

एक बार फिर हम याद दिला दे , कभी ये मत बोलिए कि आप कुछ नहीं कर सकते क्योंकि आपके पास देने के लिए बहुत कुछ है।

निष्कर्ष

चलिए , हमने इस बुक समरी में दूसरों को मोटिवेट करने के जो 10 मेथड सीखे हैं , उन्हें एक बार फिर दोहरा लेते है ये जानने के लिए कि हमें ये मोटिवेशन कैसी मिलती है।

  1. सेल्फ डिसपलीन की प्रेक्टिस करो।
  2. अपने टीम मेंबर्स और अपने अंडर काम करने वालो को ध्यान से सुनो।
  3. हायर मैनेजमेंट को कभी क्रिटीसाईंज़ मत करो।
  4. जो टास्क सामने है पहले सिर्फ उस पर ध्यान दो।
  5. दूसरो को एनकरेज करने के लिए तुरंत फीडबैक दे।
  6. अपने अंडर काम करने वाले लोगों का इनपुट ले।
  7. अगर बदलाव की जरूरत लगे तो बदलाव लेकर आये।
  8. विक्टिम को ओनर में बदल दो।
  9. बड़ा दिल रखो एक अच्छा मैनेजर बनने के लिए एक और टिप है , हमेशा खुद पहल करे . जैसा कि गांधी ने कहा था “ You cannot change people , you must be the change you want to see in people ” ” यानि जो बदलाव आप दूसरों में देखना चाहते हो , वो बदलाव पहले खुद में लेकर आओ ” . अगर आप चाहते है कि आपकी टीम के अंदर positivity बनी रहे तो उससे पहले आपको पॉजिटिव बनना होगा . अगर आप उन्हें प्रॉपर फॉर्मल ड्रेस में देखना चाहते है तो पहले आप खुद फॉर्मल ड्रेस पहनना शुरू करो।
  10. अगर आप अपने स्टाफ को punctual देखना चाहते हो तो खुद टाइम पर ऑफिस आने की आदत डालो . आपको दूसरों को मोटिवेट करना है तो इंस्पायरिंग बनना होगा क्योंकि लोग टोके जाने से ज्यादा इंस्पायर होना पसंद करते है . लीड बाई एक्जाम्पल यानी जो आप दूसरों से चाहते है , वो खुद अप्लाई करो और बेहतर से बेहतरीन बनने की कोशिश करो .

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